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अब हमेशा रहें सैनिटाइज, IIT के पूर्व छात्र ने बनाया कोरोना वायरस से लड़ने वाला डियो-परफ्यूम

फ्रेगरेंस एंड फ्लावर डेवलपमेंट सेंटर ने परफ्यूम आधारित सैनिटाइजर बनाया है इसे कपड़ों-अंडर आर्म में लगाकर खुशबू से तरोताजा भी रहेंगे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 12:45 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 02:41 PM (IST)
अब हमेशा रहें सैनिटाइज, IIT के पूर्व छात्र ने बनाया कोरोना वायरस से लड़ने वाला डियो-परफ्यूम
अब हमेशा रहें सैनिटाइज, IIT के पूर्व छात्र ने बनाया कोरोना वायरस से लड़ने वाला डियो-परफ्यूम

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। कोरोनावायरस से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं, ऐसे में खुद को सैनिटाइज रखना बेहद कठिन है। वह भी तब जब आप काम पर बाहर निकल रहे हैं या आफिस जा रहे हैं। किसी संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकले ड्रॉपलेट्स वायरस से खुद को बचाने के लिए सैनिटाइजर लगाना मजबूरी हो गया है लेकिन अगर यह डियो और परफ्यूम की तरह महकाए तो सोने पर सुहागा ही कहा जाएगा। आइआइटी के पूर्व छात्र ने कोरोना वायरस से लड़ने वाला डियो-परफ्यूम ईजाद किया है, इसस अब आप हमेशा सैनिटाइज रहने के साथ खुशबू से भी महकते रहेंगे।

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आइआइटी पूर्व छात्र और प्राेफेसर ने बनाया डियो सैनिटाइजर

आइआइटी कानपुर के 2013 बैच के पासआउट आंशिक गंगवार और आइआइटी गुवाहाटी के असिस्टेंट प्रो. हर्ष चतुर्वेदी ने फ्रेगरेंस एंड फ्लावर डेवलपमेंट सेंटर की मदद से ऐसा ही परफ्यूम और डियो आधारित सैनिटाइजर तैयार किया है। उनका दावा है कि त्वचा और पर्यावरण मित्र ये परफ्यूम और डियो ये न सिर्फ मनभावन खुशबू देकर तरोताजा रखते हैं बल्कि कोरोना वायरस से सात से 10 घंटे तक लड़ते हैं। इसे कपड़ों और अंडर आर्म भी लगाया जा सकता है। उन्होंने सैनिटाइजर के कंपोनेंट्स को पेटेंट कराया है। जल्द ही उत्पाद तैयार होकर इसी माह बाजार में आ जाएगा।

ऐसे तैयार किया डियो सैनिटाइजर

आंशिक के मुताबिक डियो आधारित सैनिटाइजर में 80 फीसद ईथाइल अल्कोहल, 10 फीसद फ्रेग्रीन ऑयल, 10 फीसद मॉश्चराइजर और न्यूट्रोजिना ऑयल का इस्तेमाल किया गया है। इसमें तनाव दूर करने वाला फ्रेगरेंस ऑयल (लैवेंडर, यूकेलिप्टस, ओजोन गैस को विधि के द्वारा मिश्रित किया गया) भी इस्तेमाल किया गया है। इसमें न्यूट्रोजिना हाथों और त्वचा को मॉश्चराइज करेगा जबकि फ्रेगरेंस ऑयल महकाएगा। वैसे तो 70 फीसद ईथाइल अल्कोहल संक्रमण पर प्रभावी है, लेकिन इसमें 80 फीसद इस्तेमाल किया गया है।

यूनीसेड भी कर रहा सहयोग

इसके उत्पादन में यूनिट ऑफ साइंस एंड एजूकेशनल डेवलेपमेंट (यूनीसेड) सहयोग कर रहा है। इसके नेशनल प्रोग्राम एडवाइजर अवनीश त्रिपाठी ने बताया कि पूरी तरह से हर्बल होने से इसकी लागत महंगी आ रही है, लेकिन बड़े स्तर पर तैयार होने से अन्य सैनिटाइजर से कोई खास अंतर नहीं होगा। इसकी कीमत करीब 250 रुपये (प्रति 250 मिली.) रहेगी।


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