Behmai Kand के आरोपित डकैत भीखा की भी मौत, अब 13 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
14 फरवरी 1981 को सिकंदरा थानाक्षेत्र के बेहमई गांव में फूलन देवी मुस्तकीम राम औतार व लल्लू गैंग में शामिल 35-36 लोगों ने डकैती की घटना को अंजाम दिया था। डकैतों ने 26 पुरुषों को गांव के बाहर ले जाकर अधाधुंध फायरिंग की थी।
कानपुर देहात, जागरण संवाददाता। बेहमई गांव में करीब 40 वर्ष पहले हुए सामूहिक नरसंहार कांड के आरोपित डकैत भीखा की बीमारी से मौत हो गई। बुधवार को बचाव पक्ष ने न्यायालय में मृत्यु आख्या का प्रार्थनापत्र देकर उसका नाम हटाने की मांग की। वहीं, आरोपित विश्वनाथ उर्फ पुतानी व श्यामबाबू न्यायालय में हाजिर हुए। बचाव व अभियोजन पक्ष को सुनने के बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख तय की है।
14 फरवरी 1981 को सिकंदरा थानाक्षेत्र के बेहमई गांव में फूलन देवी, मुस्तकीम, राम औतार व लल्लू गैंग में शामिल 35-36 लोगों ने डकैती की घटना को अंजाम दिया था। डकैतों ने 26 पुरुषों को गांव के बाहर ले जाकर अधाधुंध फायरिंग की थी। इसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी। मामले में वादी राजाराम ने मुकदमा दर्ज कराया गया था। 24 अगस्त 2012 को चार आरोपितों भीखा, पोसे उर्फ पोसा, विश्वनाथ उर्फ पुतानी उर्फ कृष्ण स्वरूप, श्यामबाबू के खिलाफ कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ था। मामले की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय विशेष न्यायाधीश एंटी डकैती सुधाकर राय की कोर्ट में चल रही है। बुधवार को बचाव पक्ष के अधिवक्ता गिरीशनारायण ने बताया कि मामले में आरोपित जालौन के थाना कुठौंद पाल गांव निवासी भीखा की 19 नवंबर को मौत हो गई थी। बुजुर्ग होने के चलते कई बीमारियों ने उसे घेर रखा था। न्यायालय में मृत्यु आख्या का प्रार्थनापत्र दिया है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता आशीष तिवारी ने बताया कि बचाव पक्ष के प्रार्थनापत्र पर 13 दिसंबर को सुनवाई होगी।
वादी व मुख्य गवाह की हो चुकी मौत: साल भर के भीतर इस कांड से जुड़े वादी राजाराम व मुख्य गवाह जंटर ङ्क्षसह का निधन हो चुका है। फैसला सालों से लंबित है और अब एक आरोपित की भी मौत हो गई है।