पहले से बने हैं कई 'पावर सेंटर', चलती रही गुपचुप टांग खिंचाई
भाजपा में सुलगी गुटबाजी की आग, कमल संदेश यात्रा में खुलकर सामने आई कलह, अब और बढ़ सकती रार।
By Edited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 01:41 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 10:53 AM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। भाजपा नेतृत्व विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए पार्टी की एकजुटता दिखाने का प्रयास कर रहा है और यहां संगठन बिखरता नजर आ रहा है। अलग-अलग 'पावर सेंटर' के साथ खेमेबाजी गुपचुप तो लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन अब गुटबाजी बेपर्दा होती नजर आ रही है। कमल संदेश यात्रा के दौरान हुआ महापौर प्रकरण और कार्यकर्ताओं के बीच हुई मारपीट इसी का नतीजा थी।
भाजपा के दो प्रदेश स्तर के कद्दावर नेताओं में चली आ रही रार किसी से छिपी नहीं है। अब उनके अलावा भी पार्टी गुटों में बंट चुकी है। नगर निगम चुनाव के दौरान टिकट वितरण को खींचतान मची। अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलाने को लेकर शुरू हुई खींचतान जीत के जश्न में छिप तो गई, लेकिन शांत नहीं हुई। इससे पहले विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर हार इसी गुटबाजी की देन मानी जाती है। शनिवार को कमल संदेश यात्रा भी एकजुटता की ताकत दिखाने के लिए ही थी।
मगर, इसमें महापौर प्रमिला पांडेय का अपमान सार्वजनिक रूप से किया गया। अपने पद से ज्यादा संगठन को अहमियत देते वह तो शांति से कार्यक्रम से चली गई। इस घटनाक्रम के बाद कार्यकर्ताओं में नाराजगी फैल गई है। खास तौर पर पार्षद अपनी महापौर के अपमान से आहत हैं और उनके साथ कार्यक्रम में 110 वार्डो से पहुंचे कार्यकर्ता भी। इसी तरह यात्रा के समापन के दौरान मंच पर चढ़ने को लेकर कार्यकर्ताओं में मारपीट हुई। पंजाबी अकादमी के सदस्य गुरविंदर सिंह छाबड़ा पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं।
वह कद्दावर नेता के बहुत करीबी हैं। इसके बावजूद उनके खिलाफ अमरजीत सिंह पम्मी मुकदमा दर्ज कराने में सफल हुए। बताया जा रहा है कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुपचाप पम्मी का साथ देने को खड़े हो गए। इस तरह बड़े नेता भी खेमे में बंटे हुए हैं। चुनाव से पहले कानपुर में सामने आए यह घटनाक्रम हाईकमान तक भी पहुंच चुके हैं।
भाजपा के दो प्रदेश स्तर के कद्दावर नेताओं में चली आ रही रार किसी से छिपी नहीं है। अब उनके अलावा भी पार्टी गुटों में बंट चुकी है। नगर निगम चुनाव के दौरान टिकट वितरण को खींचतान मची। अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलाने को लेकर शुरू हुई खींचतान जीत के जश्न में छिप तो गई, लेकिन शांत नहीं हुई। इससे पहले विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर हार इसी गुटबाजी की देन मानी जाती है। शनिवार को कमल संदेश यात्रा भी एकजुटता की ताकत दिखाने के लिए ही थी।
मगर, इसमें महापौर प्रमिला पांडेय का अपमान सार्वजनिक रूप से किया गया। अपने पद से ज्यादा संगठन को अहमियत देते वह तो शांति से कार्यक्रम से चली गई। इस घटनाक्रम के बाद कार्यकर्ताओं में नाराजगी फैल गई है। खास तौर पर पार्षद अपनी महापौर के अपमान से आहत हैं और उनके साथ कार्यक्रम में 110 वार्डो से पहुंचे कार्यकर्ता भी। इसी तरह यात्रा के समापन के दौरान मंच पर चढ़ने को लेकर कार्यकर्ताओं में मारपीट हुई। पंजाबी अकादमी के सदस्य गुरविंदर सिंह छाबड़ा पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं।
वह कद्दावर नेता के बहुत करीबी हैं। इसके बावजूद उनके खिलाफ अमरजीत सिंह पम्मी मुकदमा दर्ज कराने में सफल हुए। बताया जा रहा है कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुपचाप पम्मी का साथ देने को खड़े हो गए। इस तरह बड़े नेता भी खेमे में बंटे हुए हैं। चुनाव से पहले कानपुर में सामने आए यह घटनाक्रम हाईकमान तक भी पहुंच चुके हैं।
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