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छापा मारने से पहले मरीज बनकर आयकर अफसरों ने की थी डॉक्टरों की रेकी

20 डॉक्टरों के यहां देर रात के लिये गए थे ओपीडी नंबर, इसके बाद सॉत डॉक्टरों को छापे की कार्रवाई के लिए चुना गया।

By Edited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 12:04 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 11:52 AM (IST)
छापा मारने से पहले मरीज बनकर आयकर अफसरों ने की थी डॉक्टरों की रेकी
छापा मारने से पहले मरीज बनकर आयकर अफसरों ने की थी डॉक्टरों की रेकी
कानपुर, जागरण संवाददाता। प्रदेश भर के सात डॉक्टरों पर आयकर विभाग का छापा यूं ही नहीं पड़ गया था। इसके पीछे आयकर विभाग की एक महीने की मेहनत थी। खुद आयकर अधिकारी अलग-अलग मौकों पर डॉक्टरों के यहां मरीज बनकर रेकी करने पहुंचे थे।
आयकर विभाग के पास डॉक्टरों की लंबी कमाई की सूचनाएं काफी समय से पहुंच रही थीं। जानकारियां आ रही थीं कि डॉक्टर अपनी आय का आधा हिस्सा तो बता ही नहीं रहे थे। मामला ऐसे प्रोफेशन का था जिसे नोबल माना जाता है, इसलिए हाथ डालने से पहले आयकर के अधिकारियों ने खुद रेकी करने का निर्णय लिया। इसके लिए जिन डॉक्टरों की शिकायत आ रही थी, उनमें से 20 डाक्टर छांटे गए। इसके बाद आयकर अफसरों और कर्मचारियों ने देर रात तक के ओपीडी नंबर लेकर इन डॉक्टरों के यहां खुद को दिखाया।
देर रात के नंबर इसलिए लिए गए ताकि यह पता चल सके कि कितने मरीज देखे जाते हैं। सभी डॉक्टरों द्वारा रोज देखे जाने वाले मरीजों की संख्या का उनकी आय से आकलन किया गया तो पता चला कि करीब आधी आय डॉक्टर छिपा रहे थे। इसके बाद इनमें से सात डॉक्टरों को छांटा गया और फिर उनके खिलाफ छापे की कार्रवाई की गई।
ट्रस्ट के दुरुपयोग की होगी शिकायत
पूर्व डीजीएमई के मामले में आयकर विभाग ट्रस्ट के दुरुपयोग के मामले की शिकायत करने जा रहा है। इसके लिए पूरी रिपोर्ट तैयार की जा रही है कि कैसे ट्रस्ट के धन का अपने कार्यो के लिए दुरुपयोग किया गया। ट्रस्ट के धन का जिन चीजों में उपयोग होना था, उसके अलावा अन्य स्थानों पर भी उसका खर्च किया गया। अधिकारियों के मुताबिक जल्द ही इस रिपोर्ट को रजिस्ट्रार आफ सोसाइटी को सौंप दी जाएगी ताकि आगे की कार्रवाई वह विभाग कर सके।

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