हादसों के खतरों में घिरी शहरवासियों की जान
शहर को स्मार्ट बनाने के लिए अरबों रुपये का खाका तैयार किया जा रहा है, लेकिन हादसों पर किसी की नजर नहीं है। शहरवासियों की जान हादसों के खतरों में घिरी हुई है। इनकी निजात के बिना स्मार्ट सिटी केवल दिखावा ही रहेगी।
जागरण संवाददाता, कानपुर: शहर को स्मार्ट बनाने के लिए अरबों रुपये का खाका तैयार किया जा रहा है, लेकिन हादसों पर किसी की नजर नहीं है। शहरवासियों की जान हादसों के खतरों में घिरी हुई है। इनकी निजात के बिना स्मार्ट सिटी केवल दिखावा ही रहेगी।
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जीवन पर ग्रहण बने नहीं दिख रहे जर्जर भवन
बारिश में जर्जर भवन गिरने के बाद जागने वाले नगर निगम की फाइल में सिर्फ सवा दो सौ जर्जर भवन ही दर्ज हैं। जबकि इनकी गिनती हजारों में है। शहर में मेस्टन रोड, लाठी मोहाल, हालसी रोड, बादशाहीनाका, हरबंश मोहाल, नयी सड़क, बंगाली मोहाल, धनकुंट्टी, मसाला वाली गली, गम्मूखां हाता, चौक सर्राफा, सुतरखाना समेत कई इलाकों में हजारों मकान गिरने की कंडीशन में है।
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जर्जर मकान गिरने से हुए हादसे
- 2007 अगस्त में परमट में मकान गिरने से कई लोग दबे थे।
- 2009 सितंबर में हालसी रोड में जर्जर मकान गिरने से चार की मौत, दर्जनभर घायल।
- 2010 जून में इफ्तिखाराबाद में मकान ढहने से एक की मौत।
- 2016 जुलाई में जनरलगंज में जर्जर भवन गिरा।
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खुले नाले दे रहे मौत को न्यौता
शहर में खुले नालों से अब तक कई लोगों की मौत और दर्जनों घायल हो चुके हैं। वहीं, सीसामऊ नाला, यशोदा नगर नाला, छपेड़ापुलिया, रफाका नाला, सीओडी नाला, न्यू शिवली रोड कल्याणपुर नाला, गोविंद नगर, औद्योगिक क्षेत्र पनकी समेत कई जगह नाले खुले पड़े है।
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खुले नालों से अब तक हुए हादसे
- 2009 में सरैया नाला की स्लैब धंसने से 24 लोग गिरे थे।
- 2016 में नौबस्ता गल्ला मंडी में एक व्यक्ति की नाले में गिरने से मौत हुई थी।
- 2015 से अब तक किदवईनगर, यशोदानगर, छपेड़ापुलिया समेत कई जगह बारिश में नाला न दिखने में दोपहिया वाहन सवार गिर चुके हैं।
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जानलेवा गढ्डे अफसरों को नहीं दिखते
शहर कई जगहों पर खुले गढ्डे अफसरों को नहीं दिखाई दे रहे हैं। इनको सही करने में मानकों का पालन नहीं हो रहा है। फिर भी अफसर मौन हैं। सीवर, पाइप, केबिल व गैस पाइप शहर में कई जगह डाली जा रही है, लेकिन ये काम भी सही से रही हो रहे हैं। लोगों को सुविधा मिलना तो दूर उल्टे परेशानी और खड़ी हो रही है।
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अब तक हुई घटना
- 2015 में साकेत नगर में एक नर्सिग होम में खुले गढ्डे में टेंपो गिरा था।
- 2010 में बड़ा चौराहा में खुले गढ्डे में एक डॉक्टर का परिवार कार समेत चला गया था।
- 2012 में शिवकटरा में एक दोपहिया वाहन चालक का गढ्डे में गिरने से हाथ-पैर टूटा था।
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इन मानकों का रखा जाए ध्यान
- खोदाई स्थल पर बेरीकेडिंग लगे।
- खोदाई से 10 मीटर दूरी पर लाल रंग लिखा सावधान बोर्ड और झंडी लगाई जाए।
- चौतरफा फैली मिंट्टी और बालू को सड़क से किनारे रखा जाए।
- खोदाई के दौरान फैली गिंट्टी को हटवाया जाए।
- खोदाई स्थल पर प्रकाश की व्यवस्था की जाए।
- बीच सड़क पर खोदाई से पहले ही टिन शेड से रास्ते को चारों तरफ से बंद किया जाए।
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बेतरतीब बेसमेंट की खोदाई, मजदूर के लिए खतरनाक
भूखंडों के निर्माण के लिए बेतरतीब बेसमेंट की खोदाई में लगे मजदूर व पड़ोसियों के लिए खतरनाक हो गयी है। केडीए अफसरों व कर्मचारियों को सुविधा शुल्क के आगे मानक नहीं दिखायी देता है। जबकि खोदाई से पहले शट¨रग लगाई जाए। बेसमेंट में खोदाई के समय चारों तरफ बेरीकेडिंग लगायी जाए। मजदूरों को हेलमेट और सेफ्टी बेल्ट दी जाए। अब तक हुई घटना
- 2018 अप्रैल में कैनाल पटरी में बेसमेंट खोदाई में मिंट्टी गिरने से दो मजदूर मरे थे और दो घायल हुए थे।
- 2018 मई में फीलखाना में बेसमेंट की खोदाई में बगल का मकान गिर गया था, छह से ज्यादा घायल हुए थे।
- 2016 में जनरलगंज में एक मकान की बेसमेंट खोदाई में बगल का मकान गिरने कई घायल हुए थे।
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स वर सफाई में मानक ताक पर
सीवर सफाई में मानकों को ताक पर रखा जाता है यह हाल तब है जब कई मजदूरों की मौत हो चुकी है। जबकि मानक है कि सीवर सफाई से पहले मैनहोल को आधा घंटे खोलकर छोड़ दिया जाए। इसके बाद जलती माचिस डाली जाए अगर आग लगती है तो मजदूरों को न जाने दिया जाए। अगर नहीं निकल रही है तो भी मास्क और सेफ्टी बेल्ट पहनाकर भेजा जाए।
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अब तक हुई घटनाएं
- 2012 में पीरोड में सीवर सफाई में एक मजदूर की मौत हो चुकी है।
- 2008 में फजलगंज में सीवर सफाई में तीन मजदूरों की मौत हो चुकी है।
- 2008 में चन्द्रिका देवी में दो मजदूरों की मौत हो चुकी है।