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मकान से आई गोली चलने की आवाज, अंदर लहूलुहान पड़े थे बैंक मैनेजर

रिश्तेदार को फोन पर बताने के बाद लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को मारी गोली, हालत गंभीर होने पर पड़ोसियों ने अस्पताल में भर्ती कराया। धर्मेंद्र काफी समय से अवसाद में थे।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 03:50 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 08:32 PM (IST)
मकान से आई गोली चलने की आवाज, अंदर लहूलुहान पड़े थे बैंक मैनेजर
मकान से आई गोली चलने की आवाज, अंदर लहूलुहान पड़े थे बैंक मैनेजर

कानपुर (जागरण संवाददाता)। नौबस्ता के वसंत विहार कालोनी के एक मकान से अचानक गोली चलने की आवाज से सनसनी फैल गई। पड़ोसी और एक रिश्तेदार मौके पर पहुंचे तो अंदर एसबीआइ के मैनेजर लहूलुहान हालत में पड़े थे। लोग उन्हें तत्काल अस्पताल ले गए, जहां उन्हें आइसीयू में भर्ती कर उपचारित किया जा रहा है। पुलिस ने भी घटना की छानबीन शुरू की है।

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रिश्तेदार को फोन पर बताया, फिर लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को मारी गोली

उन्नाव पाटन स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर के पद पर कार्यरत धर्मेंद्र सिंह (45) वसंत विहार स्थित अपने घर में अकेले रहते हैं। सुबह ऑफिस जाने के बाद शाम तक घर आ जाते थे। रविवार को अचानक उन्होंने अपने रिश्तेदार गुरुदयाल को फोन किया। कुछ देर बात करने के बाद उन्होंने रिश्तेदार से कहा कि वह आत्महत्या करने जा रहे हैं। इसपर गुरुदयाल ने फोन पर समझाने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने फोन कट कर दिया। गुरुदयाल आनन फानन तैयार होकर उनके घर को निकल पड़े। इधर घर के अंदर धर्मेंद्र ने लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली। मौके पर पहुंचे रिश्तेदार और पड़ोसी उन्हें तत्काल अस्पताल ले गए और भर्ती करा उपचार शुरू कराया।

क्यों थे अवसाद में

पड़ोसियों और रिश्तदार ने बताया धर्मेंद्र काफी समय से अवसाद में थे। वर्ष 2003 में उनकी पत्नी संगीता की हत्या हो गई थी। इसके बाद वह अपने बेटे उत्कर्ष को ही जिंदगी मानकर जीने लगे थे। अठारह वर्षीय उत्कर्ष पढ़ाई में अच्छा था और पुणे के किसी इंस्टीट्यूट से बीटेक कर रहा था। अप्रैल में पुणे से वह ट्रेन से कानपुर आ रहा था। इस बीच रेलवे ट्रैक पर उसका शव पड़ा मिला था। पुलिस घटना को हादसा मान रही थी, जबकि धर्मेंद्र ने दुर्घटना न होने की बात कह जांच कराने को कहा था। बाद में पुलिस ने जांच रिपोर्ट में हादसा होने का ही उल्लेख किया था। बेटे की मौत के बाद से धर्मेंद्र अवसाद में चले गए थे।


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