कन्नौज में हवा-पानी शुद्ध करने के लिए सरकार करने जा रही ये पहल, मिलेंगे कई फायदे Kannauj News
बायो एनर्जी मिशन के तहत काली नदी के किनारे 77 किमी में दोनों किनारों पर बांस के खेती करने की तैयारी।
कन्नौज, [प्रशांत कुमार]। हवा और पानी को शुद्ध करने के लिए सरकार ने नई पहल की है। इसके तहत काली नदी के किनारे दोनों ओर बांस के पौधे लगाएं जाएंगे। तटवर्ती गांवों के किसानों को बांस की खेती करने के लिए जागरूक किया जाएगा। इससे न सिर्फ पर्यावरण शुद्ध होगा बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी होगी।
शासन की जैव ऊर्जा नीति के अनुसार काली नदी के प्रदूषण को रोकने की विस्तृत कार्ययोजना तैयार हुई है। मनरेगा कंजर्वेंस के अंतर्गत बायो एनर्जी मिशन सेल के तहत काली नदी के तटवर्ती गांवों में बांस की खेती की जाएगी। कन्नौज में काली करीब 77 किमी में बहती है। इस पूरे दायरे में नदी के दोनों छोर पर बांस लगाए जाएंगे। तट किनारे करीब 46 ग्राम पंचायतें आतीं हैं। जहां बांस की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
पर्यावरण मित्र है बांस
- एक हेक्टेयर में रोपित बांस प्रति वर्ष वातावरण से 17 टन कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर सकता है।
- बांस के झुरमुट खतरनाक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा भी प्रदान करते हैं।
- बांस अन्य पेड़ों के मुकाबले 30 फीसद अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है।
- बांस के पौधे मिट्टी की उपजाऊ ऊपरी परत का संरक्षण करते हैं।
- पत्तियां भूमि पर चादर की तरह फैली रहती हैं, इसलिए नमी का संरक्षण भी रहता है।
- बांस में बंजर भूमि को सुधारने की भी क्षमता है।
- बांस से मृदा का संरक्षण और जल का शुद्धिकरण होता है।
बांस के औषधीय गुण
- पतली टहनी को दातून के रूप में प्रयोग करने से पायरिया, मुंह से खून एवं दुर्गंध की समस्या दूर होती है।
- जड़ एवं तना के सेवन से प्रमेह, पेट रोग एवं ल्यूकोरिया रोग दूर होते हैं।
- फूल से शक्तिवर्धक दवाएं एवं वटी बनती हैं। हृदय एवं दमा रोग नियंत्रित होते हैं।
- मादा पशुओं को प्रसव के समय बांस की पत्तियां खिलाना लाभदायक है।
- पत्तों से बने जूस में फेनोल एसिड, फ्लैवोनौयडस, इन्नर इस्टर्स, एंथ्राक्वीनोन्स, पॉलीसक्कारइड्, अमीनोएसिड, पेप्टासाइड्स, मैंगनीज, ङ्क्षजक और सेलेनियम जैसे सक्रिय यौगिक होते हैं।
- बांस की पत्तियां के सेवन से खून में लिपिड की मात्रा घटती है, हृदय मजबूत होता है।
कैंसर रोकने में प्रभावी
बांस की जड़ में भूमिगत कंद (राइजोम) ही नया तना (बांस का शूट) निकलता है। इसे ताजा या प्रोसेस करके खाया जाता है। इसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार बांस के शूट कैंसर रोकने में भी प्रभावी होते हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी
बरसात में बांस की खेती कर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। बांस आधारित कई उद्योग हैं। बांस का उपयोग अगरबत्ती, पेंसिल, माचिस, टूथ-पिक, चॉपस्टिक्स आदि में किया जा सकता है।
--मनरेगा के तहत इस योजना को वित्त पोषित किया जाएगा। कार्य योजना बनकर तैयार है। जल्द ही ये धरातल पर होगी। बांस की खेती से न सिर्फ किसानों की आय दोगुनी होगी, बल्कि बांस उद्योग भी विकसित होंगे। इसके लिए लोगों को मदद की जाएगी, उन्हें जागरूक किया जाएगा। - रवींद्र कुमार, जिलाधिकारी कन्नौज।