कानपुर, जागरण संवाददाता। बेकनगंज के डा. बेरी चौराहा पर वर्ष 1990 के आसपास पूर्व तक यहां हिंदू आबादी भी थी। बाबरी मस्जिद विवाद के बाद दंगा भड़का तो लोग दुकानें मकान बेचकर चले गए। जिन लोगों ने अपने मकान और दुकान छोड़ दिए थे उन्होंने बाद में संपत्ति बेच दी। चूंकि मंदिर संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता था लिहाजा उस पर कब्जा कर लिया गया।
शत्रु संपत्ति की खोजबीन करते हुए 17 नवंबर 2021 को एसडीएम ने जो रिपोर्ट तैयारी की थी उसके मुताबिक रामजानकी मंदिर ट्रस्ट का चौकीदार इशहाक बाबा था जो मंदिर परिसर की देखभाल करता था। मंदिर के चबूतरे पर ही इशहाक का बेटा मुख्तार बाबा पंचर जोड़ने का काम करता था। मुख्तार ने संपत्ति छोड़कर जाने वालों का फायदा उठाया और पाक नागरिक के नाम से संपत्ति अपने नाम करा ली। दुकानों में जो यदा कदा कब्जेदार बचे थे, उनसे डरा धमकाकर संपत्ति खाली करा ली और मंदिर की जमीन पर बाबा बिरयानी रेस्टोरेंट बना डाला। बाबा बिरयानी के दस आउटलेट शहर भर में हैं।
विवादित जमीनों का बड़ा सौदागर है मुख्तार : मुख्तार बाबा विवादित जमीनों का काम करता है। चमनगंज, बेकनगंज, कर्नलगंज और इसके आसपास विवादित जमीनों को कम कीमत पर खरीदना और डरा धमकाकर संपत्ति खाली कराना इसका मुख्य काम है।बिठूर, उन्नाव, चकेरी, लालबंगला, जाजमऊ में भी इसने प्लाटिंग कर जमीनों की खरीद फरोख्त की है।
वकीलों का भी पी गया था पैसा : बिठूर की एक संपत्ति को लेकर मुख्तार ने वकीलों से 15 लाख रुपये में सौदा किया था लेकिन रजिस्ट्री करने से बचता रहा। जिसके बाद कचहरी में वकीलों ने उसे पकड़ लिया। तीन घंटे के अंदर पैसा वापस कर मुख्तार ने अपनी जान बचायी थी।
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