औरैया डबल मर्डर : छह लोगों के नाम दर्ज है मंदिर की विवादित जमीन, रामू ने एक एकड़ भूमि का कराया था बैनामा
कोलकाता मध्य प्रदेश के पन्ना व फर्रुखाबाद में रह रहे हैं जमीन के मालिक मंदिर के आसपास है 0.0609 हेक्टेयर भूमि।
औरैया, जेएनएन। पंचमुखी हनुमान मंदिर की जिस जमीन को लेकर दोहरा हत्याकांड हुआ वह राजस्व विभाग के रिकार्ड में छह लोगों के नाम दर्ज है। वह लोग कोलकाता, मध्य प्रदेश के पन्ना व फर्रुखाबाद में रह रहे हैं। कुछ नामों के आगे औरैया जिले का पता भी दर्ज है, लेकिन वह उस पते पर नहीं मिले। मंदिर और आसपास की करीब 0.0609 हेक्टेयर (0.91 एकड़) भूमि पुराने अभिलेखों के अनुसार सुरान गांव की है जो नगर पालिका क्षेत्र में आता है। जिला प्रशासन अब जमीन मालिकों से संपर्क करने का प्रयास कर रहा है।
इनके नाम दर्ज है जमीन
तहसील प्रशासन को दी गई रिपोर्ट में लेखपाल क्षमानंद ने बताया कि पंचमुखी हनुमान मंदिर की जमीन गाटा संख्या 128 में 0.069 हेक्टेयर दर्ज है। इस जमीन के तीन हिस्सेदार उर्मिला पत्नी राम सुंदर त्रिपाठी निवासी पन्ना, मध्य प्रदेश, सुरेंद्र बहादुर पुत्र गौरीशंकर निवासी चौधरी सराय पोस्ट मकरंदपुर जिला फर्रुखाबाद और रतन कुमार पुत्र सुशील निवासी विधिचंद्र औरैया हैं। वहीं, मंदिर के आसपास की जमीन गाटा संख्या 128 (क) में 0.0109 हेक्टेयर व गाटा संख्या 128 (ख) में 0.081 हेक्टेयर जमीन कमला देवी पत्नी गिरिजांशकर, सीता देवी पत्नी सुशील कुमार निवासीगण 108 कॉटन स्ट्रीट कोलकाता और उर्मिला पत्नी रामसुंदर के नाम दर्ज है। गाटा संख्या 128 (छ) में 0.0109 हेक्टेयर जमीन दर्ज है जिसके दो हिस्सेदार सुरेंद्र बहादुर पुत्र गौरीशंकर व मेवाराम पुत्र रामनरायन निवासी मदार दरवाजा औरैया दर्ज है। यह आंकड़े 1319 फसली वर्ष के अनुसार हैं, वर्तमान में 1427 फसली वर्ष चल रहा है।
विवादित जमीन है भूमिधरी
मंदिर की जमीन भूमिधरी है। यह एक तरह से निजी भूमि होती है। जमींदारी के अंतर्गत आने वाली जमीन को खेवट कहते हैं। खेवट एक दस्तावेज होता है जो जमींदारी प्रथा में प्रयोग किया जाता था। इस दस्तावेज में कास्तकारों के नाम होते थे।
2012 में पुरानी रसीद के आधार पर कराया था बैनामा
पंचमुखी हनुमान मंदिर की जिस जमीन को लेकर विवाद हुआ वह पालिका में दर्ज है। मंदिर सार्वजनिक घोषित है जहां बुढ़वा मंगल पर मेला लगता है। मंदिर के आस पास करीब एक एकड़ जमीन का बैनामा रामू पाठक ने वर्ष 2012 में कराया था। बैनामा किसी पुरानी रसीद के आधार पर कराया गया तो शिकायत हो गई। जांच के चलते दाखिल खारिज नहीं हो सका और रामू को जमीन पर कब्जा नहीं मिल सका था। मोहल्ले के ही प्रभाकर दुबे के पास मंदिर की चाबी रहती थी। रविवार को कमलेश पाठक के पक्ष के लोग चाबी मांगने पहुंचे तो मंजुल के भाई व पिता ने विरोध किया।
मंजुल के ही परिवार ने की थी शिकायत
मंदिर की बेशकीमती जमीन का जब रामू पाठक ने बैनामा कराया तो मंजुल के ही परिवार ने शिकायत की थी। जांच की गई तो तहसील से बैनामे का दाखिल खारिज नहीं हो सका। खसरा खतौनी में यह जमीन सार्वजनिक ही बनी रही। मंजुल के पिता शिवकुमार चौबे ने बताया कि मंदिर का परिसर करीब एक एकड़ का है। यह जमीन नगर पालिका में पोखर ङ्क्षसह बगिया नाम से दर्ज है। 2012 में रामू पाठक ने फर्जी तरीके से पत्नी ज्योति पाठक समेत तीन के पक्ष में बैनामा करा लिया था। रविवार को मंदिर के पुजारी वीरेंद्र स्वरूप पाठक का निधन होने के बाद जब वहां भू समाधि नहीं बन सकी तो विवाद हुआ। प्रभाकर दुबे ने चाबी नहीं दी तो आरोपित मारपीट करने लगे।
इनका ये है कहना
मंदिर और उसके आसपास की जमीन की जानकारी कर ली गई है। यह भूमिधरी जमीन है, जिसमें किसी का कब्जा नहीं है। जमीन मालिकों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है।
-अभिषेक सिंह, डीएम