कानपुर की वैशाली पुराने टायरों से बना रहीं आकर्षक कुर्सी, मेज, मूर्तियां व झूले
हाल ही में वैशाली बियानी की कंपनी को केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से सम्मानिक किया गया। नई दिल्ली में हुए स्वच्छता स्टार्टअप सम्मेलन में उनकी कंपनी को देश के बेहतरीन 30 स्टार्टअप में चुना गया और 20 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया।
चंद्र प्रकाश गुप्ता, कानपुर : नवरात्र में चौथे स्वरूप में मां कूष्मांडा की अर्चना की जाती है। मां का यह स्वरूप रचनात्मकता के प्रचार-प्रसार का संदेश देता है। यही संदेश अंगीकार कर वैशाली बियानी ने आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा लिखी है।
कानपुर के आर्यनगर क्षेत्र में रहने वाली वैशाली ने अपनी मेहनत, लगन और रचनात्मक सोच से पुराने टायरों से आकर्षक बैग, कुर्सी, मेज, खिलौने, मूर्तियां, झूले आदि उत्पाद तैयार करने का काम शुरू किया। उन्होंने आइआइटी कानपुर में अपने स्टार्टअप को इन्क्यूबेट कराया। धीरे-धीरे इसका विस्तार हुआ और अब उनकी कंपनी के बनाए उत्पादों की मांग देश के कई भागों में है। अपने स्टार्टअप के माध्यम से वैशाली 50 लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।
पर्यावरण की भी चिंता
वैशाली बताती हैं कि उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री ली थी। उसके बाद प्रबंधन में डिप्लोमा कोर्स किया। वर्ष 2003 में उनकी शादी राहुल बियानी से हुई। राहुल दिल्ली में एक आइटी कंपनी चला रहे थे। पति के साथ रहकर वैशाली ने भी दिल्ली में एक रिक्रूटमेंट कंपनी शुरू की। वर्ष 2017 में पारिवारिक कारणों से उनको कानपुर लौटना पड़ा और अपनी कंपनी बंद करनी पड़ी। यहां आने के बाद उन्होंने शहर की आबोहवा पर अध्ययन शुरू किया तो पता लगा कि कई क्षेत्रों में पुराने टायरों को जलाकर तेल बनाया जाता है। इससे निकलने वाला धुआं जनमानस के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। तब उन्होंने आइआइटी के विशेषज्ञों की मदद से पुराने टायरों का सदुपयोग कर आकर्षक सजावटी वस्तुओं को बनाना शुरू किया। शुरुआत में दो कर्मचारियों से डेकोर डिजाइन नाम से कंपनी बनाई। आज बड़े पैमाने पर पुराने टायरों से खिलौने, मूर्तियां, झूले, गमले, बैग आदि उत्पाद बनाकर आफलाइन और आनलाइन बिक्री कर रही हैं। वैशाली ने बताया कि वर्ष 2018 में उन्होंने आइआइटी सहायता से स्टार्टअप आरंभ किया था।
मोतीझील पार्क सजाया, आइआइटी को सजा रहीं
वैशाली ने बताया कि कानपुर नगर निगम व जिला प्रशासन की ओर से पिछले वर्ष उन्हें शहर के प्रसिद्ध मोतीझील पार्क को थीम पार्क के तौर पर सजाने का आर्डर मिला था। उन्होंने पूरे परिसर में पुराने टायरों से बने झूले, कुर्सी, मेजें, चिंपैंजी, हाथी, शेर आदि पशुओं की मूर्तियां लगवाकर इसकी सज्जा की। अब आइआइटी प्रशासन भी परिसर में इसी तरह के झूले, मूर्तियां आदि स्थापित करा रहा है। लखनऊ, रायपुर, तेलंगाना, फिरोजाबाद, प्रयागराज में भी इसी तरह के थीम पार्क बनाने का कार्य उनकी कंपनी को मिला है।
हाल ही में वैशाली बियानी की कंपनी को केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से सम्मानिक किया गया। नई दिल्ली में हुए स्वच्छता स्टार्टअप सम्मेलन में उनकी कंपनी को देश के बेहतरीन 30 स्टार्टअप में चुना गया और 20 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।