स्मृति शेष : कानपुर में अटल जी ने मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल को समझाया था, कहा था- मैं अच्छा, मेरी पार्टी भी अच्छी
वर्ष 1986 में फूलबाग में आयोजित जनसभा को संबोधित करने से पहले भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। उनकी बातों को सुनने के बाद अपने अंदाज में बहुत अच्छी तरह से समझाया भी था।
कानपुर, जेएनएन। तर्कों के साथ अपनी बात रखने और उसे मनवाने की पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अद्भुत प्रतिभा का हर कोई कायल था। कानपुर में वर्ष 1986 में उन्होंने मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल को न सिर्फ संतुष्ट किया बल्कि अपनी बातों पर उनसे हामी भी भरवा ली। दरअसल मुस्लिम समाज के ये लोग उन्हेंं तो अच्छा मान रहे थे लेकिन भाजपा को पसंद नहीं कर रहे थे। अटल जी ने उनसे कहा कि वह तो अच्छे हैं ही, उनकी पार्टी भी अच्छी है। सर्किट हाउस में हुई इस मुलाकात की स्मृतियां कानपुर में भाजपा के पहले जिलाध्यक्ष रहे गोपाल अवस्थी आज भी संजोए हैैं।
वह बताते हैं कि बाबूराम शुक्ल के साथ मेस्टन रोड पर भारत रेस्टोरेंट में बैठते थे। यह रेस्टोरेंट राजनीतिक लोगों के बैठने का एक तरह से अड्डा था। कानपुर में अटल जी की 1986 में जनसभा तय हुई तो रेस्टोरेंट में अक्सर आने वाले मकबूल व मुस्लिम समाज से जुड़े कुछ अन्य लोगों ने उनसे मिलने की इच्छा जताई। जिस दिन सभा थी, अटल जी जैसे ही सर्किट हाउस पहुंचे तो उन्हेंं बताया गया कि एक मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलकर कुछ सवाल करना चाहता है और जवाब भी चाहता है।
अटल जी ने हामी भरी तो गोपाल अवस्थी मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल को लेकर पहुंचे। चर्चा के दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कि अटल जी आप अच्छे हैं, हम आपको पसंद भी करते हैं लेकिन आपकी पार्टी अच्छी नहीं है। इस पर अटल जी ने कहा कि जब मैं अच्छा हूं तो मेरी पार्टी भी अच्छी है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी चल रही है।
उनकी अध्यक्षता में ही रीति-नीति बनती है। उसी पर पार्टी काम कर रही है। पार्टी का उद्देश्य राष्ट्रसेवा है और उसी पर सबको साथ लेकर चलने का प्रयास कर रही है। ऐसे में पार्टी कैसे खराब हो सकती है। उन्हें एक बार फिर वचिार करना चाहिए। गोपाल अवस्थी के मुताबिक अटल जी की बातों के आगे प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को भी मानना पड़ा कि वह सही कह रहे हैं।