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Coronavirus की हाईरिस्क श्रेणी में अस्थमा पेशेंट युवा भी, इन बातों का रखें विशेष ध्यान

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. सुधीर चौधरी की सलाह

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 05 May 2020 10:11 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2020 10:11 PM (IST)
Coronavirus की हाईरिस्क श्रेणी में अस्थमा पेशेंट युवा भी, इन बातों का रखें विशेष ध्यान
Coronavirus की हाईरिस्क श्रेणी में अस्थमा पेशेंट युवा भी, इन बातों का रखें विशेष ध्यान

कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस (कोविड-19) के लिए हाईरिस्क श्रेणी में बुजुर्ग एवं गंभीर रूप से बीमार रखे गए हैं। अस्थमा पीड़ित युवा भी खुद को बुजुर्गों की श्रेणी में रखें तो बेहतर होगा। अस्थमा पीड़ितों को चलने वाले कार्टकी स्टेरॉयड इनहेलर से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि कोरोना के डर से अस्थमा की दवाएं लेना ही छोड़ दें। लॉकडाउन और शारीरिक दूरी का पूरी तरह पालन करें। बेवजह घूमने के बजाए घर पर ही सुरक्षित रहें। ऐसी सलाह है जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर चौधरी की।

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अस्थमा पीड़ित हॉटस्पॉट और भीड़-भाड़ में जाने से बचें

डॉ. चौधरी का कहना है कि अस्थमा श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है। इसमें प्रदूषण, धूल-धुआं, महीन कण एवं फूलों के परागकण श्वांस के जरिए श्वांसनली में जाकर एलर्जी पैदा करते हैं, जिससे संक्रमण होने लगता है। नतीजा, श्वांस नली में सूजन आने से सांस लेने में तकलीफ होती है। सूजन से फेफड़ों तक शुद्ध हवाएं पहुंचाने वाली नलिकाएं भी सिकुड़ जाती हैं। इससे सांस लेने में जोर लगाना पड़ता है, इस स्थिति में पीड़ित का हमेशा दम फूलता रहता है। इसमें जल्द आराम के लिए पीड़ितों को स्टेरॉयड के इनहेलर दिए जाते हैं। इससे पीड़ितों की रोग प्रतिरोधक प्रणाली (इम्यूनिटी सिस्टम) कमजोर हो जाती है इसलिए अस्थमा पीड़ित हॉटस्पॉट या भीड़-भाड़ में जाने से बचें, क्योंकि वहां एक्सपोजर का खतरा अधिक होता है। अधिकारी भी अस्थमा पीड़ितों की ड्यूटी ऐसी जगहों पर लगाने से बचें।

प्रदूषण घटा तो घट गए मरीज

डॉ. चौधरी बताते हैं कि प्रदूषण घटने से अस्थमा के मरीजों की संख्या घट गई है हालांकि यह प्रमाणिक नहीं है, क्योंकि अस्पताल की ओपीडी बंद है। साधन भी बंद है, इसलिए मरीज बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। अस्पताल की इमरजेंसी ओपीडी एवं इमरजेंसी में रोजाना औसतन 30-40 मरीज आ रहे हैं, जिसमें 5-6 मरीज अस्थमा के होते हैं। इसके आधार पर 45 फीसद तक घटने का दावा है। इस समय गले में संक्रमण व खांसी के मरीज बढ़ गए हैं।

अनिश्चितकाल के लिए स्थगित विश्व अस्थमा दिवस

डॉ. चौधरी ने बताया कि ग्लोबल इनीशिएटिव ऑफ अस्थमा (जीना) ने कोविड के कहर को देखते हुए विश्व अस्थमा दिवस को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया है। सिर्फ अस्थमा पीड़ितों के इलाज की गाइडलाइन जारी की है, जिसमें कहा है कि मरीज घर पर ही रहें। दवा का सेवन करते रहें। अगर कोई दिक्कत हो तो चिकित्सक से फोन पर ही सलाह लेकर दवा की डोज निर्धारित करा लें।

इन बातों का मरीज रखें ध्यान

  • किसी दूसरे से दो मीटर की दूरी बनाकर रखें।
  • हाथ और शरीर की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • मुंह, नाक और आंख पर हाथ कतई न लगाएं।
  • किसी भी वस्तु को पहले तो छुएं नहीं यदि छुएं तो हाथ साबुन से जरूर धोएं।
  • मास्क या रुमाल मुंह-नाक पर जरूर लगाएं।

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