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अब प्राथमिकता में होंगे जीएसवीएम एवं आगरा मेडिकल कॉलेज : आशुतोष टंडन

कानपुर आए प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने दैनिक जागरण को दिए साक्षात्कार में कहा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 01:41 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 03:00 AM (IST)
अब प्राथमिकता में होंगे जीएसवीएम एवं आगरा मेडिकल  कॉलेज : आशुतोष टंडन
अब प्राथमिकता में होंगे जीएसवीएम एवं आगरा मेडिकल कॉलेज : आशुतोष टंडन

कानपुर, साक्षात्कार। पुराने मेडिकल कॉलेजों पर मरीजों का दबाव अधिक है। इनकी दशा सुधारने के लिए एक कमेटी बनाई थी, उसकी रिपोर्ट के आधार पर राजकीय मेडिकल कॉलेजों की दशा में सुधार के लिए संसाधान, सुविधाएं और उपकरण बढ़ाए जा रहे हैं। पहले चरण में गोरखपुर एवं इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज में व्यापक सुधार कराए हैं। अब हमारी प्राथमिकता कानपुर का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और आगरा का एसएन सेन मेडिकल कॉलेज हैं। अभी तक सूबे में 13 मेडिकल कॉलेज थे। हमारी सरकार महज डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में 13 मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है। बस्ती, बहराइच, फैजाबाद, फीरोजाबाद एवं शाहजहांपुर के कॉलेज में अगले सत्र से पढ़ाई शुरू हो जाएगी। ये बातें सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय, कानपुर आए चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने कहीं। पेश हैं उनसे बातचीत के अंश :

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सवाल : जीएसवीएम सूबे का सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज है फिर भी उपेक्षित क्यों?

जवाब : ऐसा नहीं है, जीएसवीएम की प्रदेश में साख है। केजीएमयू के बाद जीएसवीएम ही छात्र-छात्राओं की पसंद होता है। पुराने सभी कॉलेजों को अपग्रेड किया जा रहा है। एम्स स्तरीय सुविधाएं मुहैया कराने को मल्टी सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक निर्माणाधीन हैं। गोरखपुर, इलाहाबाद, झांसी और मेरठ में बन चुके हैं, जबकि कानपुर एवं आगरा में निर्माण शुरू होना है।

सवाल : कानपुर में कब तक अटल बिहारी बाजपेई इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंसेज बनेगा?

जवाब : अटलजी से देशवासियों की भावनाएं जुड़ी हैं, इसलिए राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों से उनके नाम से जुड़े संस्थानों के कई प्रस्ताव आए हैं। इस पर अभी कोई विचार नहीं किया जा रहा है। लखनऊ में उनके नाम से चिकित्सा विश्वविद्यालय खोलने का विचार चल रहा है। उनके नाम पर ही केजीएमयू का सेटेलाइट कैंपस बलरामपुर में बन रहा है। सवाल : चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कोई योजना?

जवाब : सूबे में चिकित्सा में सुधार के लिए अटल बिहारी चिकित्सा विश्वविद्यालय खोलने की योजना है। इस विश्वविद्यालय से सभी राजकीय मेडिकल कॉलेज, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, पैरामेडिकल कॉलेज, नर्सिग कॉलेज को संबद्ध किया जाएगा। इसके लिए लखनऊ में 100 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसके लिए विशेषज्ञों की टीम लगाई है जो दूसरे राज्यों एवं एकेटीयू के प्रारूप को ध्यान में रखते हुए मसौदा तैयार करा रहे हैं। जिससे सभी मेडिकल कॉलेज सुव्यवस्थित हो सकें।

सवाल : मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर पढ़ाने के बजाय इलाज में फंसे हैं?

जवाब : मेडिकल कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई के साथ मरीजों का इलाज और देखभाल भी करनी होगी। इसलिए मेडिकल कॉलेजों के साथ अस्पताल जोड़े जाते हैं। मेडिकल शिक्षक छात्र-छात्राओं को शुरू से ही मरीजों से अच्छा बर्ताव करने का भी पाठ पढ़ाएं।

सवाल : सरकार नए मेडिकल कॉलेज खोल रही है, जबकि पुराने मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की कमी है, इसे कैसे दूर करेंगे?

जवाब : उत्तर प्रदेश ही नहीं, देशभर में चिकित्सा शिक्षकों की कमी है। पुराने मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सकों की भर्ती उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से होती है। छोटे जिलों के मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सक नहीं जाना चाहते हैं। इसलिए नए मेडिकल कॉलेजों में सोसाइटी बनाकर चिकित्सा शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण भी नहीं होगा।

सवाल : मेडिकल कॉलेज डॉक्टर तैयार करते हैं, फिर कमी क्यों?

जवाब : चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए राजकीय मेडिकल कॉलेजों के अंडर ग्रेजुएट (यूजी) एवं पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) छात्र-छात्राओं से दो साल का बांड भराया जाएगा। वहीं तीन साल में एमबीबीएस सीटें दो हजार से बढ़ाकर चार हजार करने का लक्ष्य है। इससे तीन वर्षो में चिकित्सकों की कमी दूर होगी।

सवाल : नए मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएंगे?

जवाब : नए मेडिकल कॉलेजों को जिला अस्पतालों से जोड़ा जा रहा है। वहां आठ वर्षो से कार्यरत पीजी चिकित्सकों को चिकित्सा शिक्षक बनाया जाएगा। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानक के अनुसार उनके दो पेपर प्रकाशित कराए जाएंगे। इससे पढ़ाई के साथ चिकित्सीय गुणवत्ता में सुधार आएगा।

सवाल : मरीजों की सुविधा के लिए किए गए प्रयास?

जवाब : मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों को ई-हॉस्पिटल सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। पर्चे बनने शुरू हुए हैं। तीन माह में फार्मेसी ऑनलाइन होगी। छह माह में डायग्नोस्टिक एवं पैथालॉजी की रिपोर्ट ऑनलाइन की जाएंगी। दस माह बाद मरीज की केस हिस्ट्री सुरक्षित होने लगेगी। उन्हें एक यूआइडी नंबर मिलेगा, जिससे देश में कहीं भी बिना पेपर के इलाज करा सकेंगे।

सवाल : मेडिकल कॉलेजों में गुटबाजी और जातिवाद से माहौल खराब हो रहा है?

जवाब : ऐसा कोई विशेष प्रकरण सामने नहीं आया है। अगर किसी संस्थान से ऐसी शिकायत मिलती है तो जांच करा सख्त कार्रवाई की जाएगी। संस्थानों में बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाना प्राथमिकता है।

इनसेट

एसजीपीजीआइ में बढ़ेंगे 550 बेड

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीआइ) लखनऊ में अभी 985 बेड हैं। मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए विस्तार का निर्णय लिया है। 550 बेड का अलग ब्लॉक बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए एसबीआइ से 473 करोड़ रुपये लोन लिया गया है। साढ़े तीन माह में ब्लॉक बनकर तैयार हो जाएगा।

एलएलआर का रिसेप्शन हॉल आधुनिक होगा

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) की ओपीडी में मरीजों का दबाव अधिक है। इसलिए आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित रिसेप्शन हॉल कम वेटिंग एरिया बन रहा है। यहां हेल्प डेस्क, मरीजों का पंजीकरण, कैश काउंटर, एटीएम, फार्मेसी और शौचालय होंगे। इसके अलावा कैफेटेरिया और 200 मरीजों के बैठने का इंतजाम होगा।


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