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पद्मश्री से नवाजे गए कानपुर के अशोक सिखा देते हैं जिंदगी जीने का मकसद, ऐसी है उनकी साधना

कानपुर में रहने वाले अशोक कुमार सहू को पद्मश्री से नवाजा जा रहा है। उन्होंने दस वर्ष पहले धम्म कल्याण कानपुर अंतरराष्ट्रीय विपश्यना साधना केंद्र की स्थापना की थी। यहां पर 47 भाषाओं में साधना कराने के लिए कई सॉफ्टवेयर हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 08:57 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 08:57 AM (IST)
पद्मश्री से नवाजे गए कानपुर के अशोक सिखा देते हैं जिंदगी जीने का मकसद, ऐसी है उनकी साधना
अशोक ने साधना केंद्र से दिखाई युवाओं को राह।

कानपुर, जेएनएन। भागदौड़ भरी जिंदगी में अवसाद के मामले बढ़ रहे हैं। तमाम युवा इसकी गिरफ्त में हैं। बुजुर्गों में भी एकाकीपन इसकी बड़ी वजह है। ऐसे युवाओं से लेेकर बुजुर्गों का अवसाद दूर करके उन्हें जीना सिखाना जिंदगी का मकसद बना तो 'धम्म कल्याण कानपुर अंतरराष्ट्रीय विपश्यना साधना केंद्र' के संस्थापक 68 वर्षीय अशोक कुमार साहू को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। 

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10 वर्ष पहले उन्होंने इस विपश्यना साधना केंद्र की स्थापना की थी। ड्योढ़ी घाट स्थित केंद्र की खासियत यह है कि यहां पर 47 भाषाओं में साधना कराई जाती है। इसके लिए कई सॉफ्टवेयर हैं। यहां विदेशियों का भी तांता लगा रहता है। महीने में दो कोर्स कराए जाते हैं, जो 10-10 दिन के समय अंतराल के होते हैं। वर्ष 2012 में विपश्यना साधना केंद्र की स्थापना हुई तो युवा इसके प्रति सर्वाधिक आकर्षित हुए थे। धीरे-धीरे हर आयु वर्ग के लोगों ने मन की शांति व आध्यात्म की खोज को लेकर यहां का रुख किया। देखते ही देखते संख्या बढ़ती गई। इस पर ऑनलाइन बुकिंग शुरू कर दी गई। केंद्र संस्थापक अशोक कुमार साहू ने बताया कि यहां पर किसी तरह का कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है।

खुद का माइग्रेन ठीक हुआ तो दूसरों का करने लगे इलाज

सिविल लाइंस निवासी अशोक कुमार साहू ने बताया कि उन्हें माइग्रेन की शिकायत हुई थी। उनके सिर में दर्द से बेचैनी रहती थी। एक जानकार ने बताया कि लखनऊ में विपश्यना साधना केंद्र का शिविर लग रहा है, वहां जाकर कोर्स कर लें। वह कोर्स में शामिल हुए तो बहुत लाभ हुआ। इतना प्रभावित हुए कि कानपुर में यह केंद्र स्थापित कर दिया। उन्होंने बताया कि शहर में बढ़ते शोर शराबे, भागदौड़ भरी जिंदगी व तनाव को यह कोर्स दूर करता है। अब तक हजारों लोग इसका लाभ उठा चुके हैं।

संयुक्त परिवार में 36 सदस्य, पिता भी थे उद्यमी

अशोक बताते हैं, उनका संयुक्त परिवार है। परिवार में पांच भाई हैं, जबकि बच्चों को मिलाकर 36 सदस्य हैं। पिता होरीलाल साहू उद्यमी थे, जबकि मां राम प्यारी साहू गृहणी थीं। उन्होंने बताया कि पीपीएन कॉलेज से वर्ष 1976 में एमए अर्थशास्त्र की डिग्री लेने के बाद पिता के साथ दाल मिल और कारोबार में हाथ बंटाना शुरू किया। कानपुर देहात के रनियां में फैक्ट्री स्थापित की। उसके कुछ वर्षों बाद अध्यात्म की ओर रुझान बढ़ा।

शहर में इन्हें भी मिल चुका है पद्मश्री

  • श्यामलाल गुप्त 'पार्षद : 1973
  • डॉ. श्याम नारायाण पांडेय : 2004
  • इरशाद मिर्जा : 2010
  • गिरिराज किशोर : 2007
  • प्रो. एचसी वर्मा : 2020

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