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कन्नौज बस हादसा : एआरटीओ की जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच, अब आगरा डीटीसी करेंगे जांच

सीटर बस को जोड़कर बनाया गया था स्लीपर परिवहन निगम ने बस की ओवरस्पीड को बताया हादसे का कारण।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 11:15 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 11:15 AM (IST)
कन्नौज बस हादसा : एआरटीओ की जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच, अब आगरा डीटीसी करेंगे जांच
कन्नौज बस हादसा : एआरटीओ की जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच, अब आगरा डीटीसी करेंगे जांच

कन्नौज, जेएनएन। छिबरामऊ में स्लीपर-बस से भिड़ंत के बाद ट्रक के डीजल टैंक का फटना ही हादसे की मुख्य वजह था। दूर तक डीजल छिटकने की वजह से ही बस आग का गोला बनी थी। कन्नौज एआरटीओ संजय कुमार झा की जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। जांच में पता चला कि हादसाग्रस्त बस सीटर थी, जिसे बाद में स्लीपर जोड़कर बनाया गया था। फर्रुखाबाद एआरटीओ कार्यालय में बाकायदा फीस लेकर इसका पंजीयन हुआ था। बस माल लाने-जाने के अवैध कारोबार में भी लिप्त थी। इससे संभागीय परिवहन विभाग भी सवालों के घेरे में है।

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कोहरा नहीं ओवरस्पीड बनी हादसे की वजह

हैरान करने वाले तथ्य सामने आने के बाद परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने तकनीकी जांच की जिम्मेदारी आगरा मंडल के उप परिवहन आयुक्त (डीटीसी) जगदीश कुशवाहा को सौंपी है, वहीं परिवहन निगम ने अपनी जांच में हादसे का कारण कोहरे की बजाय ओवरस्पीड को बताया है। फिलहाल प्रशासन मामले की जांच में जुटा है। डीएनए टेस्ट से शिनाख्त के लिए सभी कंकाल की हड्डियों को फॉरेंसिक टीम लखनऊ ले गई है वहीं शनिवार रात विधि विज्ञान प्रयोगशाला के डिप्टी डायरेक्टर ने भी मौके पर पहुंचकर छानबीन की।

अभी तक 12 से अधिक यात्री लापता

शुक्रवार को फर्रुखाबाद से जयपुर के लिए रवाना हुई विमल चतुर्वेदी बस सर्विस की स्लीपर बस छिबरामऊ से पांच किमी आगे ग्राम घिलोई खास के पास ट्रक से भिड़ गई थी। हादसे के बाद दोनों वाहनों में आग लगने से बस में बैठे 20 से अधिक यात्रियों के जिंदा जलने की आशंका जताई गई है। बस में मिले कंकाल के आधार पर प्रशासन ने 10 यात्रियों के मौत की पुष्टि कर दी है। हालांकि अभी तक 12 से अधिक यात्री लापता हैं जिनका कोई सुराग नहीं लग सका है।

बस में रखा था पॉलीथिन व प्लास्टिक शीट

एआरटीओ कन्नौज ने बताया कि यात्रियों से बातचीत में पता चला है कि बस में भारी मात्रा में पॉलीथिन व प्लास्टिक की शीट रखी थीं। एक छोटा गैस सिलिंडर भी था, हालांकि इनसे आग लगने की पुष्टि नहीं हुई। आग लगने का मुख्य कारण ट्रक का डीजल था। टैंक फटने से डीजल बस के अंदर तक छिटककर गिर गया था। इसीलिए आग तेजी से बढ़ी।

मुख्यालय भेजी गई जांच रिपोर्ट

परिवहन निगम के एमडी डॉ. राजशेखर के निर्देश पर कन्नौज डिपो के एआरएम राजेश कुमार और बेवर डिपो के एआरएम अपराजित श्रीवास्तव ने रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय भेज दी है। इसमें हादसे का कारण ओवरस्पीड को बताया गया है। अधिकारियों का अनुमान है कि हादसे के वक्त बस की स्पीड 90 किमी प्रति घंटा रही होगी। इसी कारण भिड़ंत के बाद ट्रक का डीजल टैंक फटा और दोनों वाहनों में आग लग गई।

डीएनए टेस्ट के लिए हड्डियों को लखनऊ ले गई टीम

सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में 20 से अधिक यात्रियों के जिंदा जलने की आशंका जताई गई है। यह भी कहा गया है कि शव पूरी तरह जल चुके हैं। कंकालों की स्थिति खराब है इसलिए शिनाख्त मुश्किल है। हालांकि बस और ट्रक से निकाले गए कंकाल अभी पोस्टमार्टम हाउस में रखे हैं। फॉरेंसिक टीम डीएनए टेस्ट के लिए कुछ हड्डियों को अपने साथ लखनऊ ले गई है।

जांच अफसरों ने कही ये बात

-हादसाग्रस्त बस से व्यापार होता था। बैठने की सीट वाली बस में इमरजेंसी गेट बंद कर ऊपर का हिस्सा बढ़ाकर स्लीपर बनाया गया था। पीछे बड़ा शीशा भी नहीं था। उसकी जगह टीन की चादर थी। बस में हथौड़ा भी नहीं मिला, जो यात्री बचाव के लिए बेहद जरूरी है। -संजय कुमार झा, एआरटीओ कन्नौज

-एमडी के निर्देश पर हादसे की जांच की है। प्रथम दृष्टया बस की ओवरस्पीड और चालक की लापरवाही सामने आ रही है। रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी है। -राजेश कुमार, एआरएम, कन्नौज डिपो।


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