शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा : कारीगर बोला, प्रत्येक लाइसेंस पर वसूले थे 60 हजार से एक लाख रुपये Kanpur News
रिमांड पर लेने के बाद एसआइटी कर रही है पूछताछ आरोपित से अब तक बरामद नहीं हो सकीं गायब 75 पत्रावलियां।
कानपुर, जेएनएन। फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए कारीगर जितेंद्र व उसके दलाल साथियों ने हर शस्त्र लाइसेंस के 60 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक वसूल किए थे। कोतवाली में पूछताछ के दौरान बुधवार दोपहर आरोपित ने एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) को यही जानकारी दी। उसने बताया कि इस रकम में से उसे केवल पांच से 10 हजार रुपये ही मिलते थे। बाकी रकम ऊपर वाले अधिकारियों को चली जाती थी। साथ ही उसने एक अधिवक्ता, उसके बेटे, तीन दलाल समेत सात लोगों के बारे में भी जानकारी दी। पुलिस उन सभी के खिलाफ सुबूत जुटा रही है। पुलिस अब तक उससे गायब हुई 75 पत्रावलियां बरामद नहीं कर सकी है।
77 शस्त्र लाइसेंसों के फर्जीवाड़े के मामले में कोर्ट में सरेंडर करने वाले आरोपित कारीगर जितेंद्र को एसआइटी ने तीन दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है। मंगलवार को भी कोतवाली में उससे पूछताछ की गई तो उसने रकम के आदान प्रदान के बारे में काफी जानकारी दी। उसने बताया कि आवेदकों से उसकी सीधे डील नहीं होती थी। पूरा काम अधिवक्ता व कुछ दलालों के जरिए होता था। रकम आने के बाद अपना हिस्सा अलग करके वह खुद या फिर लिपिक विनीत उसे आगे बढ़ाता था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक उसने जिस अधिवक्ता व उसके बेटे का नाम लिया है, वह कई वर्षों से शस्त्र लाइसेंस बनवाने का काम कर रहे हैं। कानपुर नगर के अलावा वे दोनों आसपास के जिलों में भी जाकर शस्त्र लाइसेंस बनवाने का ठेका लेते रहे हैं। एसआइटी के सीओ राजेश पांडेय ने बताया कि कारीगर ने अभी 75 शस्त्र लाइसेंसों की गायब पत्रावलियां बरामद नहीं कराई हैं। उसने जिन दलालों और मध्यस्थता करने वालों की मिलीभगत होने की बात कही है, उनके बारे में पुख्ता सुबूत जुटाए जा रहे हैं। सुबूत आने के बाद उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
चित्रकूट की धर्मशाला में छिपाई थीं पत्रावलियां, टीम रवाना
कारीगर ने 75 फर्जी शस्त्र लाइसेंसों की पत्रावलियां चित्रकूट में स्थित एक धर्मशाला में छिपाई थीं। मंगलवार शाम उसने सीओ को यह जानकारी दी। इस पर तुरंत एक टीम उसके साथ चित्रकूट रवाना की गई। सीओ ने बताया कि फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद कारीगर ने कार्यालय से पत्रावलियां गायब कर दी थीं और उन्हें लेकर चित्रकूट चला गया था। वहां एक धर्मशाला में नाम, पता बदलकर रहने लगा था। वहीं से वह अग्र्रिम जमानत पाने के लिए हाईकोर्ट आता जाता था। आरोपित ने पत्रावलियां सही सलामत होने की जानकारी दी है। उन्हें बरामद करने के लिए टीम भेजी गई है।