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घर लौट रहे फौजी की हादसे में मौत, बहन बर्दाश्त नहीं कर पाई सदमा तो काटी हाथ की नस Fatehpur News

गुरुवार देर रात औंग के पास अज्ञात वाहन ने बुलेट में मारी टक्कर पीछे बैठा फौजी दोस्त घायल।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 10:51 AM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 03:33 PM (IST)
घर लौट रहे फौजी की हादसे में मौत, बहन बर्दाश्त नहीं कर पाई सदमा तो काटी हाथ की नस Fatehpur News
घर लौट रहे फौजी की हादसे में मौत, बहन बर्दाश्त नहीं कर पाई सदमा तो काटी हाथ की नस Fatehpur News

फतेहपुर, जेएनएन। कानपुर-प्रयागराज हाईवे पर बुलेट सवार फौजी व उसके साथी को अज्ञात वाहन ने कुचल दिया। इससे फौजी की मौत हो गई, जबकि साथी गंभीर रूप से घायल हो गया। भाई के मौत की खबर मिलते ही उसकी छोटी बहन ने चाकू से अपने हाथ की नस काट ली। उसे अस्पताल में भर्ती किया गया है।

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औंग थाने के रानीपुर गांव निवासी 26 वर्षीय राघवेंद्र सिंह भारतीय थल सेना में जालंधर में तैनात थे। 28 सितंबर को वह छुट्टी पर घर आए थे। वह गुरुवार को उन्नाव थाना बीघापुर के लाल कुआं निवासी फौजी दोस्त के साथ अपनी बुलेट मोटर साइकिल से कानपुर के सिकठिया गए थे। वापस लौटते समय रात करीब 10 बजे औंग थाना क्षेत्र में हाईवे पर छिवली गांव के पास पीछे से किसी अज्ञात वाहन ने बुलेट में टक्कर मार दी। इससे दोनों फौजी गिर गए। तेज रफ्तार वाहन राघवेंद्र को कुचलता हुआ निकल गया, जिससे उनकी मौके पर मौत हो गई। वहीं साथी गंभीर रूप से घायल हो गया।

ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। घायल फौजी को तत्काल कानपुर के सेवन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। सूचना मिलते ही राघवेंद्र की छोटी बहन 16 वर्षीय नीतू इस हादसे को बर्दाश्त नहीं कर पाई। उसने चाकू से अपने हाथ की नस काट ली। उसे तुरंत एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। थाना प्रभारी राकेश मौर्य ने बताया कि दुर्घटना में फौजी राघवेंद्र की मौत हुई है, जबकि साथी घायल है।

बहन की शादी तय करने को छुट्टी पर आए थे

रानीपुर गांव निवासी फौजी राघवेंद्र सिंह तीन बहनों के बीच अकेला था। बड़ी बहन प्रियंका की शादी हो चुकी है। राघवेंद्र से छोटी दो बहनें रीतू व नीतू हैं। बहन रीतू की शादी तय होनी थी, जिसको देखने के लिए लड़के वालों को रविवार को आना था। इसी की वजह से राघवेंद्र छुट्टी लेकर आया था। उसका कहना था कि बहनों की शादी के बाद ही अपना घर बसाएगा। फौजी की मौत से न केवल परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है, बल्कि पूरा गांव दुखी है। 


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