दंगा पीड़ित राहत कमेटी ने एसआइटी की जांच पर उठाए सवाल
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों के 36 साल हुए पूरे।
(जांच)
-सिख विरोधी दंगे को 36 वर्ष पूरे, बोले-दोषियों को सजा से ही भरेंगे जख्म
-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बुजुर्गो से गवाही लेने और सुरक्षा प्रदान करने की रखी मांग
जासं, कानपुर : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों को अब पूरे 36 वर्ष होने जा रहे हैं। देश में हजारों की तादाद में सिखों की हत्या हुई थी और करोड़ों की संपत्ति नष्ट कर दी गई थी। शनिवार को अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी के पदाधिकारियों ने एसआइटी की कार्यशैली से असंतोष जताया। कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव सुरजीत सिंह ओबेराय ने कहा कि एसआइटी अपना कार्य ईमानदारी से नहीं कर रही है। कमेटी के सदस्यों ने जिनकी गवाही कराई, उन्हें आज तक सुरक्षा नहीं दी गई है। 1984 के बाद दंगे के जो पीड़ित विभिन्न प्रांतों व देशों में चले गए, उनमें से कई तो 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। ऐसे में उन्हें बुलाने की बजाए वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए बयान लेने की कोशिश नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि एसआइटी के इस रवैये से सिखों में रोष है। मुख्य सलाहकार कुलवंत सिंह खालसा ने कहा कि जब तक दंगों के दोषी जेल की सलाखों में नहीं जाएंगे, तब तक पीड़ितों के जख्म नहीं भर पाएंगे। सचिव जसविदर सिंह मल्होत्रा जस्सी ने कहा कि आरोपितों की निगरानी कराई जाए। पदाधिकारियों ने सांसद और महापौर से मोतीझील में स्मारक बनवाने की मांग भी उठाई।