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दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा तक है अंगूरी दहाडिय़ा की 'दहाड़', सात समंदर पार भी चर्चे

ग्रीन गैंग से 14942 महिलाएं दिल्ली-हरियाणा में भी सक्रिय हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 02:34 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 02:34 PM (IST)
दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा तक है अंगूरी दहाडिय़ा की 'दहाड़', सात समंदर पार भी चर्चे
दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा तक है अंगूरी दहाडिय़ा की 'दहाड़', सात समंदर पार भी चर्चे

कन्नौज, [प्रशांत कुमार]। तिर्वां की अंगूरी दहाडिय़ा की दहाड़ प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा तक हैं, इतना ही नहीं उनके चर्चे तो सात समंदर पार तक हो रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही अमेरिका की पत्रकार-लेखिका एलिजा ने उनका साक्षात्कार लिया था और अमेरिकी पत्रिका में उनकी कहानी प्रकाशित की है। आज उनके साथ 14,942 महिलाएं कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं, जो उनकी ताकत है।

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जिसे न्याय मिला साथ जुड़ता गया

अंगूरी दहाडिय़ा... यह नाम अन्याय और जुल्म के सताए लोगों के घावों पर मरहम की तरह है। तिर्वा में रहने वाली अंगूरी दहाडिय़ा ने दस साल पहले अन्याय के खिलाफ दहाड़ लगाई तब उनका साथ देने तीन महिलाएं आगे आईं, आज कारवां 14,942 महिलाओं तक पहुंच गया है। जिसे भी न्याय मिला, साथ जुड़ता गया। इस समूह का नाम ग्रीन गैंग रखा गया है, जो उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में भी सक्रिय है।

जुल्म का अंत करने उतरीं अंगूरी

50 वर्षीय अंगूरी वर्ष 2006 में जब खुद जुल्म का शिकार हुईं। बकौल अंगूरी, वह तिर्वा में किराए के मकान में पति सेवा लाल और बच्चों के साथ रहती थीं। एक पंडित जी ने किस्तों पर उन्हें प्लाट दिया। प्लाट में झोपड़ी डाल कर वह रहने लगीं। प्लाट के आसपास गैरकानूनी गतिविधियां चलाने वालों को उनसे पोल खुलने का भय हुआ तो प्लाट खाली करने का दबाव बनाया जाने लगा। 11 बदमाश घर आए और मारपीटा तो पास स्थित अस्पताल के डॉक्टर, तीमारदारों ने बचाया था। कुछ दिन बाद प्लाट खाली कर दिया। 25 हजार रुपये वापस मिले तो दूसरा प्लाट लिया। वह बताती हैं कि जब उन्हें प्लाट से भगाया गया तो मन मे विचार आया कि फूलन देवी बन जाऊं, मगर बच्चों के बारे में सोचकर इरादा बदल दिया।

दस साल पहले शुरू की लड़ाई

अंगूरी बताती हैं कि वर्ष 2009 में अन्याय के खिलाफ शुरू की लड़ाई में सबसे पहले सीमा, रामकली और उर्मिला साथ आईं। पहला केस एक किसान का आया, जिसकी दबंगों ने धान काट लिया था, प्रशासन की मदद से उसे न्याय दिलाया। वह बताती हैं कि जब मामले आते हैं तो पता लगाना मुश्किल होता है कि कौन सही है और कौन गलत। ऐसे में महिला की एक टीम पानी पीने या अन्य किसी काम से मौके पर भेजती हैं और सही तथ्य पता लगाती हैं। उनके दो बेटे धर्मेंद्र, जितेंद्र और बेटी प्रियंका हैं। बेटी छिबरामऊ में सरकारी शिक्षिका है। एक बेटा ब्लाक में संविदा पर तैनात है तो दूसरा पढ़ाई कर रहा है।

अंगूरी से जुड़े चर्चित मामले

  • कानपुर के रसूलाबाद निवासी अनुसूचित वर्ग की महिला ने गांव के देवी मंदिर में प्रसाद चढ़ा दिया तो दबंगों ने पिटाई कर दी। अंगूरी ने गैंग के साथ थाने में धरना दिया। दबंगो को पुलिस ने जेल भेजा।
  • तिर्वा के गांव सुखखापुरवा में तीन पतियों को छोड़ चुकी अनुसूचित वर्ग की युवती ने चौथा विवाह करने का मन बनाया तो मां-बाप राजी नहीं थे। युवती ने चौराहे पर पिता पर चप्पल चला दी। गैंग लीडर ने पुलिस से भिड़कर मां-बाप को न्याय दिलाया। अंगूरी को सात दिन जेल भी जाना पड़ा।

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