अगर आपके पास बेहतर आइडिया है तो खुल सकते कमाई के रास्ते
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट के अंतर्गत आइडिया को एक पूरी प्रक्रिया के तहत संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन के साथ फीस जमा की जाती है।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। अगर आपके पास कोई बेहतर आइडिया है तो वह आपकी कमाई का जरिया बन सकता है। वह आपको आगे ले जाने के लिए काफी है, यदि उसपर सकारात्मकता के साथ ऐसे काम किया जाए तो वह आर्थिक संपन्नता की राह दिखाने के साथ समाज के लिए भी बेहतर साबित हो सकता है। ऐसे में आपकी सोच को मजबूती का आधार देना जरूरी हो गया है।
बीस वर्षों तक संरक्षित कराएं अपनी सोच
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट (बौद्धिक संपदा का अधिकार) के अंतर्गत आइडिया को 20 वर्षों तक संरक्षित किया जा सकता है। यह एक पूरी प्रक्रिया के तहत होता है। इसमें ऑनलाइन या ऑफलाइन के माध्यम से फीस जमा की जाती है। बौद्धिक संपदा के अधिकार में पेटेंट, डिजाइन, कॉपी राइट, ट्रेड मार्क, जियोग्राफिकल इंडिकेशंस, ट्रेड सीक्रेट शामिल हैं। इसे सिंबल, निशान या कलर के माध्यम से सुरक्षित किया जा सकता है।
कॉपी राइट का अधिकार
कॉपीराइट के अधिकार के अंतर्गत साहित्यिक कार्य को सुरक्षित किया जा सकता है। इसमें कविताएं, गीत, गजल, धुन, स्क्रिप्ट, कहानी, फिल्म आदि शामिल हैं। इसकी फीस ज्यादा नहीं है। कविताएं, कहानी, गीत के लिए पांच सौ रुपये, फिल्म के लिए पांच हजार रुपये और गीतों की दो हजार रुपये निर्धारित है। कॉपी राईट का अधिकार आवेदक की मृत्यु के साठ साल तक सुरक्षित रहता है।
पेटेंट के लिए जरूरी अर्हता
आइडिया, शोध और आविष्कार को पेटेंट कराकर संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए सबसे जरूरी अर्हता है कि यह नया होना चाहिए। भविष्य की सकारात्मक योजना का हो। कुछ कार्य किया जा सके। इसमें आगे चलकर आविष्कार की भी संभावना रहे। शोध को पेटेंट कराने के लिए यह अर्हता है कि इसमें उत्पाद तैयार किया जा सके। काफी बड़े स्तर पर काम किया जाए। कई लोग इसमें शामिल हो सकें।
पेटेंट की क्या है फीस
भारत सरकार की ओर से पेटेंट की फीस निर्धारित की गई है। इसे तीन कैटेगरी में बांटा गया है। इसमें साधारण, लघु और अन्य शामिल हैं। साधारण में कोई भी सामान्य व्यक्ति पेटेंट करा सकता है। जबकि लघु में छोटी इकाई या समूह होता है। अन्य में बढ़ी औद्योगिक इकाई शामिल हैं। पटेेंट फाइल करने में साधारण की पांच हजार छह सौ रुपये, लघु की चौदह हजार रुपये और अन्य में अ_ाइस हजार रुपये फीस निर्धारित है।
चार साल की है प्रक्रिया
आवेदन की फाइल जमा करने से लेकर पेटेंट होने तक की प्रक्रिया चार साल की है। इसमें पहले के 18 महीने पेटेंट को वहां के जरनल में प्रकाशित किया जाता है। अगर उसमें कोई सवाल या किसी की आपत्ति आती है तो प्रक्रिया रोक दी जाती है। किसी तरह की आपत्ति न आने पर इसको आगे बढ़ा दिया जाता है।
पेटेंट की स्वीकृति पर वार्षिकी शुल्क
पेटेंट की स्वीकृति के बाद हर साल (एन्युटी फीस) वार्षिकी शुल्क लगता है। 20 साल के लिए साधारण व्यक्ति को 76 हजार 800 रुपये निर्धारित हैं। लघु इकाईयों की एक लाख 92 हजार रुपये और बड़े उद्योगों के लिए तीन लाख 84 हजार रुपये फीस है। ऑनलाइन प्रक्रिया में 10 फीसद की छूट मिलती है। वेबसाइट द्बश्चद्बठ्ठस्रद्बड्ड.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ
पर लॉग इन किया जा सकता है। ऑफ लाइन प्रक्रिया में सहयोग के लिए पेटेंट अर्टानी (प्रतिनिधि) भी होता है। उनकी फीस 20 से 50 हजार रुपये निर्धारित है।
ऑनलाइन प्रक्रिया में दस फीसद छूट
आइआइटी कानपुर के पेटेंट ऑफिसर रवि पांडेय बताते हैं कि पेटेंट की ऑनलाइन प्रक्रिया में 10 फीसद की छूट मिल रही है। सरकार की ओर से स्टार्ट अप चलाया जा रहा है, जिसमें 80 फीसद तक छूट दी जा रही है। इसके अंर्तगत ट्रेडमार्क को सुरक्षित किया जा सकता है।