जानिए कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखने में मददगार रही सहजन के फायदे
कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह ने बताया कि विवि के लिए ये उपलब्धि है कि तीन नई प्रजातियां तैयार की गई हैं। इसके पोषक तत्व निश्चित तौर पर लोगों के लिए फायदेमंद होंगे।
समीर दीक्षित, कानपुर। कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखने में मददगार रही सहजन अब पूरे साल उगाने-खाने को मिलेगी। अब तक साल के चार माह ही उगने वाली सहजन की तीन प्रजातियां-पीकेएम-वन, पीकेएम-टू और ओडीसी थ्री तैयार हो गई हैं, जो हर सीजन में उपलब्ध होंगी। चंद्र शेखर आजाद (सीएसए) कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से संबद्ध कृषि विज्ञान केंद्र (कानपुर देहात) में इन्हें वरिष्ठ विज्ञानी डा.अशोक कुमार ने तैयार किया है। इन्हें तैयार होने में करीब एक साल का वक्त लगा। उनका दावा है कि इन तीनों प्रजातियों में विटामिन और कैल्शियम की मात्र उपलब्ध सहजन के मुकाबले ज्यादा है।
..तो इसलिए पड़ी जरूरत: डा. अशोक कुमार बताते हैं कि सहजन की साधारण प्रजातियां आमतौर पर मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर में दो बार तैयार होती हैं। देश भर में कृषि विज्ञान केंद्रों की मानिटरिंग का जिम्मा संभाल रहे हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन ने पिछले साल हुई वर्चुअल बैठक में अधिक पोषक तत्व वाली सहजन व अन्य सब्जियां और फल तैयार करने के सुझाव दिए थे। इसके साथ ही तय हुआ कि प्रजातियां ऐसी हो जो 12 माह तक फल दे सकें। इसके बाद वरिष्ठ विज्ञानी डा. अशोक कुमार व अन्य विज्ञानियों के साथ इस पर काम शुरू किया गया।
आनुवांशिक बदलाव से तैयार किए पौध व बीज: डा. अशोक कुमार ने बताया कि इन प्रजातियों को तैयार करने के लिए बीज तमिलनाडु से मंगाए गए थे। इसके बाद पीकेएम-वन, पीकेएम-टू व ओडीसी थ्री प्रजातियों को तैयार किया गया। तमिलनाडु से बीज मंगाने की वजह यह थी कि वहां पूरे साल सहजन की पैदावार होती है। साल भर मौसम में आद्र्रता और गर्मी रहती है। जो सहजन के लिए मुफीद है। हालांकि यहां के जलवायु के मुताबिक सहजन की पौध तैयार करना बड़ी चुनौती था। लेकिन उनके मुफीद माहौल तैयार करने के साथ ही आनुवांशिक बदलाव कर तीनों प्रजातियों के बीज तैयार किए गए। अब इन्हें किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। वहां के विज्ञानियों ने बीजों का जो नाम दिया था, वही नाम प्रजातियों के रखे। सहजन की इन नई प्रजातियों में सामान्य सहजन के मुकाबले 20 से 25 फीसद ज्यादा विटामिन ए, सी और डी हैं। इसे सब्जी या सूप की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इन प्रजातियों में दूध से 17 गुना अधिक कैल्शियम मौजूद है।
कानपुर देहात के कृषि विज्ञान केंद्र में तैयार की गईं तीन नई प्रजातियां, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पोषक तत्वों से हैं भरपूर
खासियत
पीकेएम-वन: इस प्रजाति में विटामिन ए व कैल्शियम की मात्र अधिक होती है।
पीकेएम-टू: इस प्रजाति में विटामिन सी सबसे ज्यादा होता है, इसके अलावा विटामिन बी व ए भी पाया जाता है।
ओडीसी-थ्री: इस प्रजाति में भरपूर मात्र में विटामिन डी मौजूद होता है। इसके अलावा विटामिन ए व कैल्शियम भी है।
कानपुर देहात के कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी डा. अशोक कुमार ने बताया कि तीनों नई प्रजातियों को तैयार करके चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में छह माह से अधिक समय तक परीक्षण किया गया। इन प्रजातियों में वह सारे पोषक तत्व हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है, इसलिए ये प्रजातियां कोरोना को मात देने में मददगार होंगी।
कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह ने बताया कि विवि के लिए ये उपलब्धि है कि तीन नई प्रजातियां तैयार की गई हैं। इसके पोषक तत्व निश्चित तौर पर लोगों के लिए फायदेमंद होंगे।