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Defence Expo 2020 : लगातार अचूक मार करेगी 'अल्फा कार्बाइन 5.56', खास है इसका ट्रिगर

डिफेंस एक्सपो की गई लांच कानपुर की ही अंशू मेटल एंड पॉलीमर कंपनी ने तैयार किया है मैकेनिज्म।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 10:12 AM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 10:12 AM (IST)
Defence Expo 2020 : लगातार अचूक मार करेगी 'अल्फा कार्बाइन 5.56', खास है इसका ट्रिगर
Defence Expo 2020 : लगातार अचूक मार करेगी 'अल्फा कार्बाइन 5.56', खास है इसका ट्रिगर

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। लखनऊ में आयोजित डिफेंस एक्सपो में लांच की गई ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव (5.56-एमएम जेवीपीसी )अल्फा कार्बाइन दुश्मनों के छक्के छुड़ा देगी। कानपुर की स्माल आम्र्स फैक्ट्री में तैयार यह कार्बाइन लगातार अचूक मार करने में सक्षम हैं। इसकी निरंतरता में खास योगदान इसके ट्रिगर मैकेनिज्म कंपोनेंट का है, जिसे कानपुर की ही अंशू मेटल एंड पॉलीमर कंपनी ने तैयार किया है।

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एक साल में तैयार किए प्लास्टिक मोल्डिंग और ट्रिगर मैकेनिज्म कंपोनेंट

शानदार मारक क्षमता, चलाने में सुलभ व सुरिक्षत इस गन के ट्रिगर मैकेनिज्म को तैयार करने वाली कंपनी के संस्थापक मनीष अरोड़ा और हिमांशु अरोड़ा हैं। मनीष ने राजकीय पॉलीटेक्निक कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग की डिग्री ली है वहीं हिमांशु एमबीए हैं। डिफेंस एक्सपो में उन्होंने कंपनी द्वारा निर्मित ट्रिगर मैकेनिज्म कंपोनेंट की प्रदर्शनी लगाई थी। मनीष और हिमांशू ने संयुक्त रूप से बताया कि कार्बाइन की अत्याधुनिक तकनीक और डिजाइन स्माल आम्र्स फैक्ट्री ने विकसित कर ट्रिगर मैकेनिज्म कंपोनेंट के लिए टेंडर जारी किए थे। एक साल की मेहनत के बाद प्लास्टिक मोल्डिंग और ट्रिगर मैकेनिज्म कंपोनेंट तैयार किए। उन्होंने बताया कि अन्य कार्बाइन के मुकाबले बेहद एडवांस अल्फा-5.56 कार्बाइन ज्यादा सटीक है। इसका ट्रिगर मैकेनिज्म इस तरह तैयार किया गया, ताकि फायङ्क्षरग के दौरान बीच-बीच में रुकने की समस्या न हो।

रेडियो से नियंत्रित होगी क्रेन

डिफेंस कंपनियों व सैन्य कार्यशालाओं में सामान रखने के लिए अब सैनिकों को क्रेन के समीप खड़ा नहीं होना होगा। वह दूर से ही सामान लोड करके उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचा सकेंगे। इसके लिए शहर के वरुण बक्शी ने डिफेंस एक्सपो में रेडियो रिमोट कंट्रोल क्रेन का डेमो दिया। यूनिवर्सल इंटरप्राइजेज (होस्ट डिवीजन) के तहत उन्होंने बिना किसी ड्राइवर के चलने वाली ऐसी इलेक्ट्रिकल ऑपरेटिव क्रेन के बारे में बताया जो एक बार में 70 टन तक वजन उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा सकती है। इससे पहले वह सीओडी कार्यशाला के लिए भी ऑपरेटिव क्रेन बना चुके हैं। उन्होंने इफोक्सी फ्लोङ्क्षरग की नई तकनीक भी ईजाद की है। इस पर धूल, गंदगी व केमिकल का कोई असर नहीं होता। इसके लिए फर्श के ऊपर कम से कम पांच मिमी की कोटिंग की जाती है।

माइक्रो गैस टरबाइन से रोशन होंगे गांव

पेट्रोल और डीजल से बढ़ते प्रदूषण के खतरे को देखते हुए आइआइटी कानपुर ऊर्जा के लिए ऐसा सिस्टम बनाने की तैयारी में है, जिससे पर्यावरण सुरक्षित व संरक्षित रहेगा। उनके विशेषज्ञ माइक्रो गैस टरबाइन बनाएंगे, जिसकी वजह से गांव और मोहल्ले रोशन हो सकेंगे। पहाड़ी और सूनसान जगहों पर सड़क किनारे इलेक्ट्रिकल वाहनों का चार्जिंग प्वाइंट बनाएंगे। यह योजनाएं भविष्य की संभावनाओं को देखकर तैयार की जा रही हैं।

आइआइटी और टर्बोटेक प्रिसिजन इंजीनियङ्क्षरग के बीच हुआ करार

शनिवार को डिफेंस एक्सपो में आइआइटी और टर्बोटेक प्रिसिजन इंजीनियङ्क्षरग प्राइवेट लिमिटेड की ओर से करार हुआ। दोनों मिलकर कई तरह का शोध करेंगे। आइआइटी से डिजाइन विभाग के एचओडी प्रो. शांतनु भट्टाचार्या और प्रो. शांतनु डे उपस्थित रहे। कंपनी की ओर से सीओओ रिटायर्ड गु्रप कैप्टन विशेष सेवा मेडल प्रकाश अंगदी मौजूद रहे। प्रो. शांतनु डे ने बताया कि प्रिसिजन टी-90 टैंक के इंजन के लिए टर्बोचार्जर और तेजस के लिए अपलॉक सिस्टम तैयार कर रही है। आइआइटी ने कई मॉडल बना लिए हैं। 


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