एलिम्को स्वदेशी तकनीक पर बनाएगा उपकरण, थावरचंद गहलोत ने किया बिल्डिंग का वर्चुअल उद्घाटन
आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत निर्मित होंगे कृत्रिम अंग व उपकरण भवन में कई तरह की खूबियां।
कानपुर, जेएनएन। भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) तकनीक के क्षेत्र में पूरी तरह से आत्मनिर्भर होगा। यहां उपकरण और कृत्रिम अंग मेक इन इंडिया की तर्ज पर बनाए जाएंगे। बुधवार को इसकी शुरुआत हो गई। शाम को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने संस्थान की रिसर्च एंड डेवलेपमेंट बिङ्क्षल्डग का वर्चुअल उद्घाटन किया। इसमें दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव शकुंतला डी. गामलिन, संयुक्त सचिव डॉ. प्रबोध सेठ और सीएमडी डीआर सरीन समेत एलिम्को के अन्य अधिकारी ऑनलाइन शामिल हुए।
बिल्डिंग का निर्माण 4.9 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है, जिसमें क्वालिटी कंट्रोल, डिजाइन और इलेक्ट्रॉनिक विभाग बने हैं। भवन में कान की मशीन बनाने वाले विभाग को शिफ्ट किया गया है, जबकि कई अत्याधुनिक उपकरण आने वाले हैं। पहली मंजिल पर क्वालिटी कंट्रोल और लैब है। दूसरे पर डिजाइन और डेवलपमेंट ऑफिस है जबकि तीसरी मंजिल इलेक्ट्रॉनिक विभाग के लिए बनाई गई है।
आइआइटी के साथ विकसित होगी तकनीक
सीएमडी डीआर सरीन ने बताया कि आरएंडडी बिङ्क्षल्डग में आइआइटी कानपुर समेत अन्य तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर तकनीक विकसित की जाएगी। नए और बेहतर उत्पाद तैयार किए जाएंगे। भवन की तीसरी मंजिल पर इलेक्ट्रोस्टेटिक डिस्चार्ज की फ्लोङ्क्षरग की गई है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर काम करने वालों के शरीर में बनने वाला चार्ज डिस्चार्ज हो जाएगा।
अन्य देशों से आ रहे थे उपकरण
संस्थान चीन, मलेशिया, ताइवान, जर्मनी, इंग्लैंड आदि देशों के सहयोग से उपकरण तैयार करता आया है। इसमें कान की मशीन, मोटरचलित ट्राईसाइकिल, स्मार्ट केन(सेंसर युक्त छड़ी), दिव्यांगों को चलने में मदद करने वाले कृत्रिम पैर आदि शामिल हैं। स्वेदशी तकनीक से संस्थान को कच्चा माल आसानी से मिल जाएगा।