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फॉच्र्यूनर में नहीं खुले थे एयर बैग, दिल्ली से चुनाव लड़े दो प्रत्याशियों को गंवानी पड़ी अपनी जान

आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बिल्हौर के मकनपुर में बस और फाच्र्यूनर की भिड़ंत में छह लोगों की जान चली गई।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 10:56 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 10:56 AM (IST)
फॉच्र्यूनर में नहीं खुले थे एयर बैग, दिल्ली से चुनाव लड़े दो प्रत्याशियों को गंवानी पड़ी अपनी जान
फॉच्र्यूनर में नहीं खुले थे एयर बैग, दिल्ली से चुनाव लड़े दो प्रत्याशियों को गंवानी पड़ी अपनी जान

कानपुर, जेएनएन। आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बिल्हौर के मकनपुर में सोमवार रात वॉल्वो बस और फाच्र्यूनर की भिड़ंत में जान गंवाने वाले छह लोगों में दो ने हाल ही में दिल्ली में हुआ विधानसभा चुनाव लड़ा था। हादसे के बाद सभी के जुबान पर एक ही बात रही कि फॉच्र्यूनर के एयर बैग खुल जाते तो शायद किसी की जान जरूर बच जाती। पुलिस की जांच में एयर बैग न खुलने का कारण भी सामने आ गया।

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बस और कार की भिड़ंत में गई जान

सोमवार रात साढ़े 12 बजे कौशांबी (गाजियाबाद) से बिहार रोडवेज की वॉल्वो बस करीब 40 यात्रियों को लेकर लखनऊ जा रही थी। एक्सप्रेस वे पर मकनपुर में चालक को झपकी आने से बस अनियंत्रित होकर डिवाइडर पार कर दूसरी लेन में सामने से आ रही तेज रफ्तार फॉच्र्यूनर को टक्कर मारते हुए बैरीकेडिंग तोड़कर सर्विस लेन पर जा गिरी थी। हादसे में बस चालक और सभी कार सवारों की मौत हो गई थी।

कार सवारों में दिल्ली मयूर विहार फेज वन स्थित चिल्ला गांव निवासी सुरजीत सिंह, उनके दोस्त डीडी जनता फ्लैट निवासी विक्रम, पटपडग़ंज स्थित आचार्य निकेतन निवासी तीस हजारी कोर्ट के अर्दली और हाईकोर्ट जज के ड्राइवर मुकेश ठाकुर, सुरजीत के ड्राइवर सन्नी खत्री और चिल्ला गांव स्थित डीडी जनता फ्लैट निवासी पान कारोबारी रमाशंकर थे। मृत बस चालक की पहचान कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) के रक्कड़ अलोह चनब्याला गांव के जतींद्र सिंह के रूप में हुई।

मैनेजर के बेटे की शादी में गए थे प्रतापगढ़

हादसे में मरने वाले सुरजीत सिंह ने दिल्ली में पटपडग़ंज विस क्षेत्र और विक्रम ने त्रिलोकपुरी से चुनाव लड़ा था। कार सवार सभी लोग प्रतापगढ़ से एक शादी से लखनऊ होकर लौट रहे थे। सुरजीत के मैनेजर मूलरूप से प्रतापगढ़ के गंगापुर गांव निवासी सुनील सिंह ने बताया कि 16 फरवरी को उनके बेटे की शादी थी। सभी साथ गांव आए थे। रात में लालगंज के लीलापुर गांव में रमाशंकर के घर पर रुके और 17 की सुबह शगुन देकर लखनऊ चले गए। वहां उन्हें खेल मंत्री चेतन चौहान से मिलना था। देर शाम सभी दिल्ली लौट रहे थे।

बेटे से बोले था-रात में ही आ जाऊंगा

आधा दर्जन गाडिय़ों से 20 रिश्तेदारों संग आए सुरजीत के बेटे राहिल ने बताया, सोमवार पूर्वाह्न 11 बजे पिता से बात हुई थी। तब वह प्रतापगढ़ में थे और कह रहे थे कि एक दोस्त से मिलने लखनऊ जा रहा हूं। शाम को वहां से निकलूंगा। रात नौ बजे दोबारा बात हुई तो कहा कि लखनऊ से चले हैं, देर रात तक पहुंचेंगे। देर रात पुलिस ने हादसे की जानकारी दी। एलएलबी कर रहे राहिल ने बताया कि परिवार में दो छोटे भाई और बहन हैं।

कार में किसी ने नहीं लगाई थी सीट बेल्ट

हादसे के वक्त कार सवारों में से किसी ने सीटबेल्ट नहीं लगाई थी। टक्कर से बाद शायद इसी वजह से एयरबैग भी नहीं खुले। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक पांचों व्यक्तियों के सिर, सीने व हाथ पैर में गंभीर चोटें थीं, शीशा भी टूटकर उन्हें लगा था। मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कार सवारों ने यदि सीट बेल्ट बांधी होती तो एयर बैग भी खुल जाते, जिससे निश्चित ही जान बचने की संभावना रहती। बिल्हौर सीओ ने बताया कि तलाशी में कार के अंदर से तीन शराब की बोतलें, मोबाइल फोन, कुछ नकदी मिली थी। फोन व नकदी दिल्ली से आए स्वजन के सिपुर्द किया गया है।

पूर्वी दिल्ली में पार्षद भी रहे सुरजीत

केबल संचालक सुरजीत सिंह वर्ष 2007 में पूर्वी दिल्ली से पार्षद भी रहे थे। साइन सेना नाम से वह पत्रिका निकालते थे। वह त्रिलोकपुरी में ओम साईं न्याय ट्रस्ट के संस्थापक, साईं धाम मंदिर न्याय ट्रस्ट के संस्थापक, चिल्ला विकास समिति के चेयरमैन, साईं केबल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। प्रिया केबल नेटवर्क नाम से उनकी फर्म है। विक्रम प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार करते थे। रमाशंकर का दिल्ली में पान का थोक व्यवसाय है। वह प्रतापगढ़ में जिला पंचायत सदस्य भी रहे थे। उनके परिवार में पत्नी सीता, बेटा नीरज व बेटी अन्नू है।

जगुआर से चलते थे सुरजीत, पत्नी की कार से आए थे प्रतापगढ़

सुरजीत जगुआर कार से चलते थे लेकिन शादी में जाने के लिए पत्नी सुनीता की फॉच्र्यूनर कार लेकर निकले थे। घटना की सूचना पर उनके पुत्र वकालत कर रहे राहिल अपने चाचा राजेंद्र, जितेंद्र व अन्य लोगों के साथ आए। जितेंद्र की कंपनी में कार्यरत बर्रा निवासी रोहित के रिटायर्ड प्रोफेसर पिता राजकुमार सचान ने काफी मदद की। जितेंद्र ने बताया कि सुरजीत के परिवार में राहिल के अलावा बेटे शिवेन, राघव व बेटी आराध्या है।

निर्दलीय चुनाव लड़े थे दोनों दोस्त

चचेरे भाई राजेंद्र ने बताया कि सुरजीत और विक्रम ने दिल्ली विस चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था। दोनों हार गए थे। देर शाम पोस्टमार्टम के बाद सुरजीत के घर वाले पांचों शव दिल्ली ले गए। बस चालक के शव को बस मालिक आकर दिल्ली ले गए।


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