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दो साल पहले छोड़ दी थी अब दोबारा पाने के लिए मार रहे हाथ पांव

गैस सिलेंडर के दाम बढऩे के बाद अब उपभोक्ताओं ने छोड़ी हुई सब्सिडी को दोबारा पाने के लिए आवेदन करना शुरू कर दिए हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 04:04 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 04:06 PM (IST)
दो साल पहले छोड़ दी थी अब दोबारा पाने के लिए मार रहे हाथ पांव
दो साल पहले छोड़ दी थी अब दोबारा पाने के लिए मार रहे हाथ पांव
कानपुर (जागरण संवाददाता)। रसोई गैस के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में जिन उपभोक्ताओं ने दो साल पहले सब्सिडी छोड़ दी थी, अब वह पुन: सब्सिडी पाने के लिए हाथ पांव मार रहे हैं। हालांकि ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 100 से 150 के आसपास है। एजेंसियों की बात करें तो महीने में दो से तीन आवेदन आ रहे हैं। दैनिक जागरण ने पड़ताल की तो इससे भी ज्यादा चौकाने वाले आंकड़े सामने आए।
7.93 लाख उपभोक्ता, 7.45 लाख ले रहे सब्सिडी
वर्ष 2015 में जब सब्सिडी खाते में जाने का सिलसिला शुरू हुआ तो प्रधानमंत्री ने देश में सक्षम लोगों से सब्सिडी छोडऩे की अपील की थी। सब्सिडी के लिए आधार कार्ड खाते से लिंक कराने की अंतिम तिथि जुलाई 2015 तय की गई थी। उपभोक्ताओं को बैंक और गैस एजेंसी दोनों में आधार कार्ड लिंक कराना था। ऐसे में अधिकतर उपभोक्ताओं के पास आधार कार्ड न होने और गैस एजेंसी संचालकों के नई प्रक्रिया से अनजान रहने के चलते करीब 1.50 लाख लोग आधार लिंक नहीं करा सके। करीब एक वर्ष के अंतराल में सितंबर 2016 को शहर के 50 हजार उपभोक्ता ऐसे थे जिन्होंने सब्सिडी नहीं ली थी। वर्तमान में बात करें तो शहर की 45 एजेंसियों में 7.93 लाख गैस उपभोक्ता हैं जिनमें 7.45 लाख उपभोक्ता सब्सिडी ले रहे हैं जबकि 48 हजार उपभोक्ता सब्सिडी नहीं लेते।
किस कंपनी में कितने उपभोक्ता
-आइओसी (इंडियन ऑयल कारपोरेशन) की शहर में 32 गैस एजेंसियां हैं जिनमें 5,09,058 उपभोक्ता हैं। इनके करीब 30 हजार उपभोक्ता सब्सिडी नहीं ले रहे।
-बीपीसी (भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन) की शहर में छह गैस एजेंसियां हैं जिनमें 1,74,115 उपभोक्ता हैं। इनमें करीब 11 हजार उपभोक्ता सब्सिडी नहीं ले रहे।
-एचपीसी (ङ्क्षहदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन) की शहर में सात गैस एजेंसियां हैं जिनमें 1,10,731 उपभोक्ता हैं। इनके करीब सात हजार उपभोक्ता सब्सिडी नहीं ले रहे हैं।
दस लाख की आय पर स्वत: कटती सब्सिडी
नियम है कि जिन उपभोक्ताओं की आय (पति-पत्नी) संयुक्त रूप से दस लाख रुपये या इससे अधिक है, उनका आधार कार्ड लिंक होते ही सब्सिडी स्वत: की कट जाएगी। जो 48 हजार उपभोक्ता सब्सिडी नहीं ले रहे, उनमें व्यापारी, उद्यमी और उच्च सर्विस क्लास शामिल हैं।
तीन वर्ष में 84 से 396 रुपये हुई सब्सिडी
-अक्टूबर 2016 में सिलेंडर 513 रुपये का था और सब्सिडी 84.91 रुपये मिलती थी।
-अक्टूबर 2017 में सिलेंडर 667 रुपये का था और सब्सिडी 177.39 रुपये मिलती थी।
-अक्टूबर 2018 में सिलेंडर 897.50 रुपये का है और सब्सिडी 396.60 रुपये मिलती है।
इनकी भी सुनिये
-गैस वितरक संघ के अध्यक्ष भारतीश मिश्र कहते हैं उस वक्त दबाव था इसलिए कई उपभोक्ताओं से सब्सिडी छुड़वायी थी। बाद में उन्होंने भी सब्सिडी लेना शुरू कर दिया। जो नहीं ले रहे वह दस लाख या इससे अधिक आय वाले उपभोक्ता हैं। एजेंसी में अभी तक एक भी आवेदन सब्सिडी के लिए नहीं आया।
-गैस वितरक संघ के महामंत्री अमित पांडेय कहते हैं सब्सिडी सरेंडर करने वाले दो आवेदन आए हैं। सभी एजेंसियों की बात करें तो संख्या 100-150 होगी। आइवीआरएस के जरिये बुकिंग कराने वाले उपभोक्ता अक्सर गलत नंबर दबा देते हैं जिससे उनकी सब्सिडी सरेंडर हो जाती है। आवेदन करने वाले अधिकतर उपभोक्ता ऐसे ही हैं।
-आइओसी के सेल्स अफसर खुशमीत सिंह का कहना है कि सब्सिडी पुन: मांगने के लिए आवेदन करने वालों की सही संख्या नहीं बता सकता लेकिन औसतन दो से तीन आवेदन आ रहे हैं जिन्हें अग्रिम कार्यवाही के लिए भेज दिया था। सही डाटा लखनऊ मुख्यालय से ही मिल सकता है।

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