शिवम हत्याकांड : नौ साल बाद परिजनों में जगी इंसाफ की उम्मीद
जिलाधिकारी के पेशकार के बेटे के अपहरण व हत्या के मामले में अदालत में सुनवाई पूरी हुई, अब अंतिम बहस पर आया मुकदमा।
कानपुर, जेएनएन। शहर के चर्चित शिवम अपहरण व हत्याकांड में सुनवाई पूरी हो गई। नौ वर्ष के लंबे इंतजार के बाद परिजनों को अब इंसाफ की उम्मीद जगी है। मामला अंतिम बहस पर आ चुका है, जिसके बाद निर्णय की उम्मीद है। सभी आरोपित जेल में हैं।
यह हुई थी घटना
हंसपुरम के आवास विकास कालोनी निवासी प्रदीप बाजपेयी का 17 वर्षीय बेटा शिवम 17 अगस्त 2009 को कोचिंग पढऩे जा रहा था। साइकिल से टूटी पुलिया के पास पहुंचा तो यहां से उसका अपहरण कर लिया गया। देर शाम तक वह घर नहीं पहुंचा तो परिजनों ने खोजबीन शुरू की। दस लाख रुपये फिरौती का फोन आया तो प्रदीप को बेटे के अपहरण की जानकारी हुई। प्रदीप फतेहपुर में जिलाधिकारी के पेशकार थे। उनके बेटे के अपहरण के बाद शहर की पुलिस अफसरों में अफरा तफरी मच गई थी। फिरौती के रुपयों का इंतजाम न होने से अपहर्ताओं ने शिवम का गला दबाकर हत्या कर शव पांडु नदी में फेंक दिया था।
अब कोर्ट में होगी अंतिम बहस
वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्मदत्त मिश्र, सत्येंद्र अवस्थी ने बताया कि मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है। 20 दिसंबर को अंतिम बहस होगी जिसके बाद निर्णय आने की उम्मीद है। अधिवक्ता ऋषि मिश्रा ने बताया कि इस मामले में घटना के बाद गिरफ्तार किए गए अमित यादव, उसका ममेरा भाई संजय यादव, क्रांति सिंह, कुलदीप यादव, सुनील परिहार, अखिलेश अवस्थी और संजय यादव की हाईकोर्ट से भी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। सभी आरोपित जेल में हैं।