भारत की जेल में दो महीने बिताकर वतन लौटे अफगानी जमाती, संक्रमण फैलाने के आरोप में हुई थी गिरफ्तारी
Afghani Jamati Returned एक अप्रैल 2020 को बाबूपुरवा स्थित सुफ्फा मस्जिद से आठ विदेशी जमातियों को गिरफ्तार किया गया था। यह सभी दिल्ली में आयोजित उस मरकज से लौटे थे जहां से देश के तमाम इलाकों में कोरोना फैलने का आरोप है।
कानपुर, जेएनएन। Afghani Jamati Returned शहर में कोरोना संक्रमण फैलाने के आरोप में पिछले साल गिरफ्तार किए गए चारों अफगानी जमाती अपने वतन लौट गए हैं। इन जमातियों ने पिछले दिनों अदालत में गुनाह कबूल कर लिया था, जिसके बाद कोर्ट ने जेल में बिताए गए समय को पर्याप्त मानते हुए उन्हें डेढ़ हजार रुपये का जुर्माना लगाकर वीजा पासपोर्ट देकर वतन वापसी की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था।
क्या था पूरा मामला: एक अप्रैल 2020 को बाबूपुरवा स्थित सुफ्फा मस्जिद से आठ विदेशी जमातियों को गिरफ्तार किया गया था। यह सभी दिल्ली में आयोजित उस मरकज से लौटे थे, जहां से देश के तमाम इलाकों में कोरोना फैलने का आरोप है। गिरफ्तार जमातियों में चार अफगानिस्तान, तीन ईरान और एक ब्रिटेन के रहने वाले थे। पुलिस ने इनके खिलाफ लॉकडाउन का उल्लंघन, महामारी एक्ट और विदेशी नियम उल्लंघन का मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान यह भी प्रकाश में आया कि सभी टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे और धर्म प्रचार कर रहे थे। इसीलिए इनके खिलाफ विदेशी नियम उल्लंघन का मामला भी दर्ज हुआ था और इनके पासपोर्ट व वीजा जब्त कर लिए गए थे। अदालत में चार्जशीट दर्ज होने के बाद पिछले दिनों अफगानिस्तान के जमाती महमूद शाह हुसैनी, शब्बीर अब्दुल रहीम, जरीन जायजान मोहम्मद, बारात रहमदुल्लाह ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था।
इनका ये है कहना: इंस्पेक्टर बाबूपुरवा देवेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि गुनाह कबूल करने के बाद अदालत ने जेल में बिताए गए इनके समय को पर्याप्त मानते हुए डेढ़ हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। अदालत के आदेश के बाद चारों अफगानी नागरिकों के वीजा और पासपोर्ट रिलीज कर दिए गए थे। पांच दिन पहले चारों अफगानी अपने वतन वापस चले गए। वह करीब एक साल तक भारत में रहे, जिसमें करीब दो महीना उन्होंने जेल में बिताया।
चार के वाद अभी अदालत में विचाराधीन: ईरान के इब्राहिम फौलादी, अब्दुल रहीम मजदनी, यूनुस रेगी और ब्रिटेन के दाऊद अयूब इस्माइल के खिलाफ अभी मुकदमा अदालत में चल रहा है। माना जा रहा है कि इनके द्वारा भी अदालत में गुनाह कबूल कर लेने के बाद इनके स्वदेश रवानगी की राह भी खुल जाएगी। मगर, बड़ा सवाल है कि लंबा समय गुजर जाने के बाद भी चारों विदेशी नागरिक गुनाह कबूल करने में देरी क्यों कर रहे हैं।