79.18 करोड़ रुपये की कर चोरी मामले में अधिवक्ता को नहीं मिली जमानत, 20 फर्जी कंपनियां बनाने का आरोप
कानपुर की अदालत ने 79.18 करोड़ रुपये की कर चोरी के मामले में अधिवक्ता अमन जिंदल की जमानत याचिका खारिज कर दी है। उन पर 20 फर्जी कंपनियां बनाने और फर्जी ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कानपुर। अपर जिला जज 21 विनय सिंह की कोर्ट ने 20 फर्जी कंपनियां बनाकर 79.18 करोड़ रुपये की कर चोरी में अधिवक्ता का जमानत प्रार्थनापत्र खारिज कर दिया।
निदेशक जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआइ) कानपुर की रीजनल यूनिट की टीम ने सोनीपत हरियाणा निवासी अधिवक्ता अमन जिंदल को गिरफ्तार किय था। वह इस समय जेल में है। विशेष लोक अभियोजक अंबरीश टंडन ने बताया कि अमन जिंदल की तरफ से कोर्ट में जमानत प्रार्थनापत्र दिया गया। इसमें कहा गया कि उसे विधिक व्यवसाय करते दो ही वर्ष हुए हैं।
सुनियोजित साजिश के तहत उसे झूठे तथ्यों के आधार पर फंसाया गया है केवल सह अभियुक्त के बयान के आधार पर अभियुक्त बनाया गया है। इसलिए उसे जमानत दी जाए। अभियोजन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त ने 20 फर्जी कंपनियां बनाई। उन्हें फर्जी इनवाइस और फर्जी ई वे बिल बनाए।
उसने सह अभियुक्त लोकेश हसीजा, शुभम जैन, तुषाल रहेजा के साथ मिलकर फर्जी कंपनियां बनाते हुए कर चोरी की। विवेचना में अभी तक 79.18 करोड़ रुपये की कर चोरी सामने आई है। सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने के गंभीर अपराध हैं। इसलिए जमानत पर रिहा न किया जाए। कोर्ट ने अमन जिंदल का जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त कर दिया।

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