CBI से कम नहीं है UP पुलिस, बस विश्वास बनाए रखें, पढ़िए - साक्षात्कार में और क्या कहते हैं एडीजी भानु भाष्कर
साक्षात्कार के दौरान उन्होंने दैनिक जागरण संवाददाता के साथ अपनी प्राथमिकताओं समेत अन्य कई मुद्दों पर बातचीत की। साफ तौर पर कहा कि माफिया टारगेट पर हैं। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। पंचायत चुनाव को पारदर्शिता के साथ संपन्न कराने के लिए भी प्लान तैयार है।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। ADG Bhanu Bhaskar Interviewएडीजी भानु भाष्कर ने कानपुर जोन का कार्यभार संभाल लिया है। उनकी गिनती तेजतर्रार अधिकारियों में होती है। शायद यही वजह रही कि उन्होंने लंबे समय तक सीबीआइ को अपनी सेवाएं दीं। अपने कार्यकाल में उन्हें दो बार सीबीआइ में जाने का मौका मिला। उनका मानना है कि यूपी पुलिस भी सीबीआइ की तरह से ही जांच करती है, मामला केवल विश्वास बनाए रखने का है। पुलिस पर विवेचना के अलावा भी कई जिम्मेदारियां होती हैं। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने दैनिक जागरण संवाददाता के साथ अपनी प्राथमिकताओं समेत अन्य कई मुद्दों पर बातचीत की। साफ तौर पर कहा कि माफिया टारगेट पर हैं। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
- लंबे समय बाद आप सीबीआइ से यूपी पुलिस में लौटे हैं। सूचनाओं के संकलन में दोनों एजेंसियों की कार्य प्रणाली में क्या अंतर है। क्यों लोग पुलिस की जांच से सीबीआइ जांच को अधिक विश्वसनीय मानते हैं?
- सीबीआइ के पास केवल विवेचनाओं की जिम्मेदारी है। साल भर में पूरी सीबीआइ मिलकर तकरीबन एक हजार केस सुलझाती है, जबकि पुलिस को विवेचनाओं के अलावा कानून व्यवस्था, अपराधियों की गिरफ्तारी, निरोधात्मक कार्रवाई, यातायात, शराब व हथियारों की तस्करी समेत तमाम मोर्चों पर जूझना पड़ता है। संख्याबल के हिसाब से केस भी बेहिसाब होते हैं। इसीलिए विवेचना के मामले में सीबीआइ ज्यादा तेज है। विवेचना का तरीका एक जैसा ही है।
- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक बार फिर चर्चा में है। कानपुर में भी पीएफआइ काफी सक्रिय रही है, कानपुर व आसपास के जिलों में पीएफआइ की क्या स्थिति है?
- पीएफआइ से जुड़े ऐसे लोगों पर नजर रखी जा रही है जो लोगों को भड़का रहे हैं। भटके हुए युवाओं को धन मुहैया करा रहे हैं। कानपुर में सीएए बवाल के दौरान पांच लोग पकड़े गए थे। उनसे जुड़े लोगों पर नजर रखने को कहा गया है।
- बिकरू कांड को लेकर पुलिस कर्मियों के खिलाफ जांच कहां तक पहुंची है?
- एसआइटी ने जिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा था, उनमें से अधिकांश को चार्जशीट दे दी गई है। कई के जवाब भी मिल चुके हैं। जवाब मिलने के बाद आरोपितों को जांच अधिकारी के सामने अपनी बात कहने और जिरह करने का मौका भी मिलेगा। इस प्रक्रिया के बाद ही दंड तय होगा। इसमें समय लगेगा। बिकरू मामले में शहीद पुलिसकर्मियों के स्वजन को नौकरी दिलाने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है।
- कानपुर परिक्षेत्र में आप एक बार तैनात रहे हैं। पिछला अनुभव कैसा रहा है, यहां के बारे में आपकी क्या राय है?
- मैं औरैया में एसपी रहा हूं। पड़ोसी जनपद लखनऊ में भी तैनात रहा। कानपुर जोन में शामिल अधिकांश जिलों के बारे में मैं जानता हूं। यहां के अपराध और अपराधियों से वाकिफ हूं। पहले भी अच्छा अनुभव रहा है, इस बार भी बेहतर करूंगा।
- बिकरू जैसी घटना दोबारा ना हो इसके लिए पुलिस ने अपनी कार्यप्रणाली में क्या बदलाव किए हैं ?
- बिकरू जैसी घटना दोबारा न हो इसके लिए एसआइटी ने दबिश को लेकर तमाम दिशा निर्देश दिए हैं। पुलिस फोर्स को ऐसी स्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। हर जिले में ऐसे अभियानों के लिए विशेष प्रशिक्षित दस्ते तैयार किए जा रहे हैं। पुलिस के हथियारों की थानेवार जांच कराई जा रही है, ताकि मौके पर हथियार धोखा न दें।
- पंचायत चुनाव को लेकर अब तक क्या तैयारियां हो चुकी हैं, क्या कोई नई प्लानिंग की गई है ताकि चुनाव निष्पक्ष व पारदर्शी रहे ?
- निष्पक्ष व पारदर्शी पंचायत चुनाव पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। पहले चरण में उन गांवों को चिह्नित किया जा रहा है, जहां पूर्व के चुनावों में बवाल हुआ हो। इन गांवों में पुलिस की विशेष नजर रहेगी। इसके अलावा विवादित व्यक्तियों को चिह्नित करके उनके खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है। गांवों में अब पेशबंदी के चलते तमाम विवाद सामने आएंगे। पुलिस से कहा गया है कि ऐसे मामलों को हल करने में विशेष सावधानी बरतें।
- पंचायत चुनाव में शराब माफिया भी सक्रिय हो जाते हैं। चुनाव के दौरान अवैध शराब की तस्करी भी बढ़ जाती है, पुलिस क्या योजना बना रही है ?
- पंचायत चुनाव में शराब के साथ हथियारों की तस्करी भी बढ़ जाती है। पुलिस को ग्रामीण क्षेत्रों में मुखबिर तंत्र और अधिक दुरुस्त करने को कहा गया है। इसके अलावा शराब व हथियारों की तस्करी में जो अपराधी पूर्व में पकड़े जा चुके हैं, उनकी लिस्ट बनाकर शिकंजा कसने को कहा गया है।
- अपराधियों के खिलाफ 72 घंटे के अभियान का क्या रिजल्ट रहा है?
- मिशन 72 घंटे के तहत कानपुर जोन में 274 गैर जमानती वारंटियों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें कानपुर मंडल में 157 और झांसी मंडल में 117 के खिलाफ कार्रवाई की गई। अन्य निरोधात्क कार्रवाईयों में भी तेजी आई है। औरैया और कन्नौज जैसे जिन जनपदों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है, उन्हें चेतावनी दी गई है।
- कानपुर परिक्षेत्र में क्राइम कंट्रोल को लेकर आपकी क्या योजना है?
- मेरे टारगेट में माफिया सबसे ऊपर है। सख्त से सख्त कार्रवाई की योजना है। इसके अलावा दूसरी योजना अदालत में चल रहे केस हैं, जिसमें पैरवी करके अपराधियों को सजा दिलाना है। अपराधी जितना अधिक जेल में रहेगा, अपराध उतना कम होगा।
- शहर में जाम एक बड़ी समस्या है। इसके लिए आप की क्या योजना है?
- आइजी और डीआइजी संयुक्त रूप से यातायात प्रबंधन का कार्य कर रहे हैं। अभी मैं शहर की भौगोलिक स्थितियों से अवगत नहीं हूं। जल्द ही दोनों अधिकारियों के साथ बैठक करके समस्याओं पर विचार विमर्श करके उपाय तलाशा जाएगा।
- शहर में भूमाफिया की सक्रियता तेजी के साथ बढ़ी है। कटरी में सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। ऐसे लोगों के लिए आप की क्या योजना है?
- किसी भी तरह के माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश मैंने दिए हैं। भूमाफिया को दोबारा चिह्नित करके उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई करने को कहा गया है। कटरी में सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर एसआइटी जांच कर रही है। पुलिस का काम है कि ऐसे लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भेजना है।