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रजा मुराद बोले-दुआओं में ताकत, अमिताभ बच्चन को डॉक्टरों ने 12 सेकेंड के लिए बताया था मृत

शहर के एक स्कूल में आए मशहूर फिल्म अभिनेता रजा मुराद ने बताया दुआओं की ताकत का असर।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 26 Nov 2018 02:42 PM (IST)Updated: Mon, 26 Nov 2018 02:55 PM (IST)
रजा मुराद बोले-दुआओं में ताकत, अमिताभ बच्चन को डॉक्टरों ने 12 सेकेंड के लिए बताया था मृत
रजा मुराद बोले-दुआओं में ताकत, अमिताभ बच्चन को डॉक्टरों ने 12 सेकेंड के लिए बताया था मृत

कानपुर, [अभिषेक अग्निहोत्री]। दुआओं में बहुत ताकत होती है, जिसका जीता जागता उदाहरण है अमिताभ बच्चन साहब। कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान एक हादसे में अमिताभ बच्चन साहब घायल हो गए और उनकी आंत फट गई थी। अस्पताल में भर्ती अमिताभ बच्चन को डॉक्टरों ने 12 सेकेंड के लिए मृत बता दिया था। ये उनके फैंस, चाहने वालों और माता पिता के दुआओं का ही असर था कि बच्चन साहब पूरी तरह स्वस्थ्य हो गए। ये यादगार पल मशहूर फिल्म अभिनेता रजा मुराद ने शहर के चर्चित स्कूल के वार्षिकोत्सव में बच्चों और अभिभावकों से बड़ों के अशीर्वाद और दुआओं पर चर्चा करते हुए साझा किए। 
दुनिया में सर्वोपरी भारतीय तहजीब
शहर के वुडबाइन गार्डेनिया स्कूल में वार्षिकोत्सव के मंच पर पत्नी शाहरुख के साथ अभिनेता रजा मुराद ने कहा कि दुनिया के कई देशों में घूमा लेकिन भारत जैसी तहज़ीब कहीं भी नहीं है। हमारे बच्चे अपने से बड़ों के पैर छूते हैं तो बुजुर्ग भी खुश रहो और लंबी उम्र हो का आशीर्वाद देते हैं। यही दुआएं हमारी जिंदगी में कहीं न कहीं हमें बचाने और ऊंचाई तक ले जाने में काम आती हैं। यह बिल्कुल सच है जब दवाएं काम नहीं करती है तब दुआएं काम आती हैं, दुआओं में बहुत ताकत होती है।
मां के पैरों के नीचे होती जन्नत
रजा मुराद ने बच्चों से कहा कि शिक्षा जड़ की तरह है, यदि जड़ मजबूत होगी तो निश्चित ही हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। हमारे कहा जाता है कि मां के पैरों के नीचे जन्नत होती है। हम अमेरिका गए तो देखा कि बड़े होने बच्चे ही अपने मां-बाप को ओल्डएज होम भेज देते हैं, जब उन मां-बाप को अपने बच्चों के सहारे की सख्त जरूरत होती है। हमें अपने मां-बाप के त्याग को समझना चाहिये, हमें पढ़ाने से लेकर हर जरूरतों को पूरा करके बेहतर भविष्य देने वाले मां-बाप को इस तरह नहीं छोडऩा चाहिये। उनका आशीर्वाद और दुआएं ही हमें सफल बनाती हैं।
भारत जैसा नहीं कोई दूसरा मुल्क
दुनिया में भारत जैसा कोई दूसरा मुल्क नहीं है। हमें अपनी तहजीब और संस्कृति को हमेशा बनाकर रखना होगा। हमारे देश में बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है, रक्षाबंधन जैसा पर्व मनाया जाता है। एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई उसे जीवन भर सुरक्षा का वचन देता है। यह सिर्फ हमारे ही देश में है, ऐसा किसी अन्य देश में नहीं है। हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है।

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दिल से नहीं अब दिमाग से बन रही फिल्में
संक्षिप्त वार्ता में एक सवाल पर अभिनेता रजा मुराद ने कहा कि सालों पहले जो फिल्में बनती थीं, वह 'दिल' से बनती थीं। मगर अब जो फिल्में बन रही हैं, वह 'दिमाग' से बन रही हैं। दिल से बनीं फिल्में दिलों को छूती थीं, मगर इस दौर की फिल्में कितने करोड़ के क्लब में शामिल हो रही हैं, यह पता किया जाता है। बालीवुड की दुनिया में 45 सालों से अधिक का सफर पूरा कर चुके रजा ने बताया कि 1990 के दशक में फिल्मों को लेकर प्लानिंग नहीं होती थी, वक्त की पाबंदी नहीं थी। केवल अभिनेता के ऊपर सारा दारोमदार रहता था। पर अब सब बदल गया, ओवरसीज मार्केट बढ़ गई। अगर निर्देशक ने बेहतर तरीके से फिल्म बनाई है तो उसके वारे-न्यारे हैं। बोले इस कुछ सालों से बायोपिक फिल्में बनने लगीं, जो आमतौर पर 2000 से पहले नहीं बनीं।
बदल गई संगीत की दुनिया
फिल्मों के साथ ही संगीत की दुनिया भी बदल गई। अभिनेता रजा मुराद ने कहा कि पहले फिल्मों में रफी साहब, किशोर कुमार, मन्ना डे के गीत सुनने को मिलते थे। लेकिन आज कौन गाना गा रहा है, क्यों गा रहा है, किसलिए गा रहा है। यह तक कोई नहीं जान पाता। कहा आज शोर बहुत हो गया है। हर गायक की आवाज एक जैसी लगती है।
रामतेरी गंगा मैली का रोल सबसे अधिक पसंद
अधिकांश फिल्मों में विलेन की भूमिका में नजर आने वाले रजा मुराद ने कहा कि वैसे तो कई नामचीन निर्देशकों, अभिनेताओं के साथ काम किया। पर राम तेरी गंगा मैली में जो रोल किया, वह सबसे अधिक पसंद है। अभिनेता रजा मुराद ने कहा कि उनकी पहली वेब सीरिज- 'अंकल ऑन द रॉक्स' में वह रोमांटिक भूमिका में नजर आएंगे। बोले जिसने जिंदगी भर डराया, वह अब नए किरदार में सामने है। अंत में उन्होंने कहा कि कानपुर मेरे घर जैसा है। यहां कई बार आ चुका हूं, यहां की मेहमाननवाजी सबसे अच्छी है।


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