एसिड अटैक पीड़िताओं को 'नई जिंदगी' का इंतजार
जीएसवीएम में एसिड पीड़िताओं के इलाज के लिए होनी थी सेंटर की स्थापना, नहीं मिला बजट
जागरण संवाददाता, कानपुर : एसिड अटैक पीड़िताओं को दो साल से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में नई जिंदगी का इंतजार है। केंद्र सरकार की मदद से जीएसवीएम समेत सूबे के तीन चिकित्सीय संस्थानों में एसिड पीड़िताओं के इलाज के लिए सेंटर की स्थापना होनी थी। मेडिकल कॉलेज से भेजा गया 6.50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भी एक साल से शासन में लंबित है।
सर्वोच्च न्यायालय से केंद्र सरकार को एसिड अटैक पीड़िताओं का निश्शुल्क इलाज कराने का आदेश था। इस पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जिम्मेदारी ली और उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष से इलाज का सेंटर विकसित करने का निर्णय लिया था। इस पर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (कानपुर), लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) एवं इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज, आगरा, झांसी, मेरठ और गोरखपुर को चिह्नित किया था। इनमें जीएसवीएम, केजीएमयू एवं इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज में स्थापना की स्वीकृति मिली, जहां प्लास्टिक सर्जन तैनात थे। केजीएमयू एवं इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज को 6-6 करोड़ रुपये का बजट मिल गया है। जीएसवीएम के प्रस्ताव में कई बार संशोधन हुआ पर बजट नहीं मिला।
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ये होंगी सुविधाएं
पीड़ितों का पूरा इलाज, उनकी दवा, प्रेशर गारमेंट, चिकित्सीय उपकरण, प्लास्टिक सर्जरी, करेक्टिव सर्जरी, प्रोस्थेसिस, टिश्यू एक्सपैंडर व फॉलोअप सर्जरी के अलावा पीड़ित परिवार को मानसिक आघात से उबारने को मनोवैज्ञानिक चिकित्सा व काउंसिलिंग भी होगी।
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जीएसवीएम में इलाज सेंटर, प्लास्टिक एवं बर्न यूनिट को मिलाकर बनाने का प्रस्ताव के साथ तीन मंजिला भवन का नक्शा भेजा गया था। लगातार पत्र व्यवहार होने पर भी बजट नहीं मिला। इसका प्रस्ताव शासन में लंबित है।
- डॉ. संजय काला, विभागाध्यक्ष, सर्जरी, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।