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कानपुर की अनोखी गली, जहां हर दूसरे कदम पर सजता है बड़ा बाजार, पूरे प्रदेश से माल खरीदने आते हैं व्यापारी

मेस्टन रोड से बड़ा चौराहा जाते समय दायीं तरफ की गलियों में स्थित बाजार अपने आपमे अनोखा है। यहां प्रदेश भर से थोक माल खरीदने व्यापारी आते हैं। फुटकर भी बिक्री की जाती है। यह बाजार कानपुर के अन्य कई बाजारों को जोड़तीं भी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 01:22 AM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 01:22 AM (IST)
कानपुर की अनोखी गली, जहां हर दूसरे कदम पर सजता है बड़ा बाजार, पूरे प्रदेश से माल खरीदने आते हैं व्यापारी
कानपुर के मेस्टन रोड में स्थित यह बाजार अपने आपमे अनोखा है।

कानपुर, (शिवा अवस्थी)। यूं ही अनोखे नहीं हैं अपने कानपुर के बाजार। कहीं तौल में कपड़े बिक रहे तो कहीं तमाम छोटे-बड़े व्यापारी एक ही बाजार में हैं। यहां हजारों हाथों को काम मिलने से उनके परिवार पल रहे। बाजार भले थोक का है, प्रदेश भर के व्यापारी खरीदारी करते हैं, लेकिन बिक्री फुटकर भी होती है। ऐसे ही अनोखे बाजारों का हाल जानने आज हम आपको ले चलते हैं मेस्टन रोड। मूलगंज चौराहा से बड़ा चौराहा को जोड़ने वाली इस सड़क की दायीं ओर हर संकरी गली में एक बड़ा बाजार है। ये गलियां कई और बाजारों को भी जोड़ती हैं। ज्यादातर बाजारों के नाम वहां मिलने वाले सामान के अनुरूप होते हैं, लेकिन यहां की तासीर अलग है। बाजार का नाम कुछ तो वहां मिलने वाला सामान कुछ और। हर गली में बाजार के पीछे की कहानी भी है। शहर के अस्तित्व में आने के साथ ही ये बाजार धीरे-धीरे पनपे। फिर घर के बाहर खुली दुकान ने कब पूरे मकान को गोदाम की शक्ल दे दी, ये तब पता चला जब दोपहिया ही नहीं, पैदल चलने में भी दुश्वारियां हुईं। यहां रहने वालों का बसेरा किदवईनगर, साकेतनगर, गोविंदनगर, आनंदपुरी, कल्याणपुर, विकास नगर, आर्यनगर जैसे क्षेत्रों में बन गया। उनकी मेहनत से लक्ष्मी माता की कृपा बरसी। कुछ जगह ऊपर खूबसूरत घर है तो नीचे व्यापार हो रहा। इन बाजारों से शहर के आम लोग भले ठीक ढंग से परिचित नहीं हैं, लेकिन यहां खरीदारी करने आने वाले आसपास जिलों तक के व्यापारी हर गली, दुकान, गोदाम और मिलने वाले सामान से बखूबी वाकिफ हैं। पढ़ें शिवा अवस्थी की रिपोर्ट।

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घंटाघर से मूलगंज चौराहा और फिर मेस्टन रोड होकर बड़ा चौराहा, कचहरी, कलेक्ट्रेट, पुलिस कार्यालय, उर्सला अस्पताल, परेड, सरसैया घाट, ग्रीनपार्क स्टेडियम, वीआइपी रोड की तरफ आप अक्सर आते-जाते होंगे। इस दौरान मेस्टन रोड पर कहां क्या है पूछते ही ज्यादातर लोग बगलें झांकने लगेंगे। कोई झट से गन बाजार (पुलिसकर्मियों की वर्दी, रिवाल्वर आदि रखने के कवर, कारतूस, रिवाल्वर व रायफल की दुकानें) व चमड़े के सामान मिलने की बात कह आगे बढ़ जाएगा तो कोई इक्का-दुक्का बाजारों के नाम गिना देगा।

खोवा मंडी रोड...बाजार प्लास्टिक, लोहा व कपड़े के

मूलगंज चौराहा से मेस्टन रोड पर मुड़ते ही बायीं तरफ है मूलगंज थाना तो दायीं ओर पहली ही गली है खोवा मंडी रोड। खास बनारसी पान तैयार करने वाले रामजी मिश्रा एक सांस में कई बाजारों के नाम गिना जाते हैं। पड़ोस की दुकान के नरेश कुमार शर्मा बताते हैं, छप्पर मोहाल प्लास्टिक बाजार है ये, यहां 50 बड़ी दुकानों से आसपास जिलों तक के लोग खरीदारी करते हैं। आगे बढ़ेंगे तो 700 मीटर बाद खोवा मंडी मिलेगी। इसमें लोहा, बक्सा व कपड़ा बाजार भी हैं। आगे यही गली आपको नयागंज बाजार तक पहुंचा देगी। 50 साल पहले दो-तीन दुकानदार थे। अब संख्या बढ़ गई है।

मनीराम बगिया...बिजली से जुड़ा सभी सामान उपलब्ध

मनीराम बगिया पहुंचाती है मूलगंज चौराहा से मेस्टन रोड पर दायीं ओर की दूसरी गली। नाम भले मनीराम बगिया है, लेकिन यहां सामान बिजली से जुड़ा मिलता है। यह इलेक्ट्रिकल वस्तुओं का थोक बाजार है। कारोबारी मनोज मेघानी बताते हैं, गली में घुसकर थोड़ी दूर पर मनीराम पार्क है, जिससे नाम मनीराम बगिया पड़ गया। वर्ष 1960 में यहां कारोबार शुरू हुआ। अब करीब 400 दुकानें हैं। अंदर पुराने मकान टूटकर मार्केट बन गए, जिनमें दुकानें खुल गईं। यह गली लाठी मोहाल तक जाती है। दोनों तरफ दुकानों में 90 प्रतिशत थोक और 10 प्रतिशत फुटकर कारोबार होता है। घरेलू से लेकर उद्योगों तक से जुड़ा बिजली का हर सामान उपलब्ध है। कानपुर, आसपास जिलों के साथ प्रदेश भर से व्यापारी व खरीदार आते हैं। दिल्ली के बाद यह सबसे बड़ी मंडी मानी जाती है।

गयाप्रसाद लेन...कास्मेटिक्स व आर्टिफिशियल ज्वैलरी का हब

तीसरी गली है गयाप्रसाद लेन...जो आगे जाकर दो तरफ बंट जाती है। दायीं ओर मनीराम बगिया, जबकि बायीं ओर चौक मिलता है। कारोबारी मोहम्मद वासिफ बताते हैं, शहर के नामचीन समाजसेवी गयाप्रसाद जी के नाम पर गली को पहचान मिली। उनके नाम पर परेड में लाइब्रेरी है तो यहां से कुछ दूर धर्मशाला भी। गयाप्रसाद लेन में 350 दुकानें हैं। ये बाजार कास्मेटिक्स, आर्टिफिशयल ज्वैलरी बिक्री का बड़ा हब है। 35 साल पुरानी बाजार में आसपास जिलों समेत प्रदेश भर से खरीदार आते हैं।

टोपी बाजार...स्पोर्ट्स व पार्टी डेकोरेशन का सामान भी मिलता

चौथी गली में है टोपी बाजार...कारोबारी मुदित मेहरोत्रा बताते हैं, देश में कानपुर और बेंगलुरु में टोपी बाजार हैं। यहां 45 दुकानें हैं। टोपी खरीदने में कमी के कारण धीरे-धीरे स्पोर्ट्स और पार्टी डेकोरेशन से जुड़े सामान की दुकानें बढ़ी हैं। आजादी से पहले के इस बाजार में हिंदुस्तानी, गांधी, जनसंघ व मौलानाओं वाली टोपी बिकती थीं। खूब खरीदारी होती थी। गर्मी में बिक्री बढ़ती थी। अब भी प्रदेश भर में यहां से माल भेजा जाता है और लोग खरीदारी करने आते हैं। गली के आखिर में सराफा बाजार है। फिर दाहिनी और बायीं ओर गली मुड़ती है। दाहिनी तरफ चौक स्टेशनरी बाजार है तो बायीं ओर फिर मेस्टन रोड पहुंच जाएंगे।

यहीं शिवाला और क्राइस्टचर्च मार्केट भी

मूलगंज से बड़ा चौराहा जाते समय मेस्टन रोड पर दायीं ओर पांचवीं और छठवीं गली भी आपको टोपी बाजार पहुंचाएंगी। इनसे चौक भी पहुंच सकते हैं। सातवीं गली में कांग्रेस पार्टी का कार्यालय तिलक हाल है तो आगे प्रयागनारायण शिवाला की बाजार मिलती है। आठवीं गली में क्राइस्टचर्च मार्केट है, जहां चूड़ी, चप्पल व महिलाओं से जुड़े सामान मिलते हैं।

ऐसे पड़ा मेस्टन रोड नाम

कानपुर की व्यावसायिक सड़क मेस्टन रोड का नाम आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स मेस्टन पर रखा गया था। इसे गन बाजार के रूप में भी जाना जाता है। यहां रायफल, रिवाल्वर, कारतूस व उनसे जुड़े सामान की बिक्री की तमाम दुकानें हैं। छाता बाजार भी है।


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