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अभी राखी नहीं बाधी है, कोई मेरे भाइयों को ले आओ..

चित्रकूट में बंधुइन बांध पर मंदाकिनी नदी में दो सगे भाई डूबे, गोताखोर तलाश में जुटे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 12:01 PM (IST)Updated: Sun, 26 Aug 2018 06:28 PM (IST)
अभी राखी नहीं बाधी है, कोई मेरे भाइयों को ले आओ..
अभी राखी नहीं बाधी है, कोई मेरे भाइयों को ले आओ..

जेएनएन, कानपुर : एक ओर जहां बहनें अपने भाइयों को राखी बांध कर मंगल जीवन की कामना कर रही थीं, वहीं दूसरी ओर एक बहन चिल्ला-चिल्ला कर रोते हुए बस एक रट लगाए थी, 'अभी राखी नहीं बाधी है, कोई मेरे भाइयों को ले आओ..'। रविवार सुबह ही कजरी मेले में परंपरा का निर्वहन करने आए उसके दोनों भाई मंदाकिनी नदी में डूब गए हैं और गोताखोर उनकी तलाश में जुटे हैं। रक्षाबंधन पर्व पर यह घटना चित्रकूट जिले की है और घटनास्थल पर सिर्फ परिजनों का करुण क्रंदन ही सुनाई दे रहा है।

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कर्वी कोतवाली क्षेत्र के कसहाई गाव के अनुसुइया पुरवा निवासी राजेंद्र वर्मा के दो पुत्र श्यामू वर्मा (15), भानु वर्मा (13) कजली मेला के दौरान बन्धुइन बाध पर आए थे। कजली प्रवाह के दौरान नदी की तेज धारा की चपेट में आकर दोनों भाई बह गए। बंधुइन बांध में पानी अधिक होने के कारण गोताखोर और मल्लाह उनको ढूंढने में जुटे हैं। रक्षाबंधन के पर्व पर सगे भाइयों के नदी में बहने के बाद घर पर मातम का माहौल है। गाव के भी सैकड़ों लोग घाट पर पहुंच गए हैं। दोनों भाइयों के साथ बहन लक्ष्मी भी घाट पर आई थी। उसकी जुबान पर सिर्फ एक ही रट है कि अभी राखी नहीं बाधी है, कोई मेरे भाइयों को ले आओ। मौके पर पहुंचे परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। प्रशासन व पुलिस के सहयोग में कमी को लेकर लोगों में नाराजगी बढ़ रही है। - - - - - - - - - - - - - -

ये यह परंपरा

रक्षाबंधन पर्व पर परंपरा के अनुसार पहले कजली को नदी, पोखर या तालाब में प्रवाहित किया जाता है। इसके बाद कजरिया वापस ले जाकर कान में रखे जाने के बाद राखी बांधी जाती है। दो भाई व बहन नदी किनारे इसी परंपरा का निर्वहन करने पहुंचे थे, जहां पर हादसा हो गया।


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