बंद हुई 33 साल पुरानी ये कुरियर कंपनी, कभी देश भर में था 1200 शाखाओं का विशाल नेटवर्क
कानपुर के प्रमुख क्षेत्रों में काम कर रही 11 शाखाओं पर एक मई से ताला लग गया है।
कानपुर, जेएनएन। 33 साल पुरानी फर्स्ट फ्लाइट कुरियर कंपनी ने देश भर में अपना कारोबार समेट लिया है। कानपुर में कंपनी की सभी 11 शाखाओं में ताला पड़ गया है। अचानक लिए गए कंपनी के इस फैसले से कर्मचारियों में आक्रोश है। फर्स्ट फ्लाइट कोरियर की स्थापना नवंबर 1986 को हुई थी। तब कोलकाता, मुम्बई और दिल्ली में तीन शाखाएं थी, जो आगे बढ़कर देश में भर 1200 शाखाओं के विशाल नेटवर्क में तब्दील हो गई थी।
घाटे से जूझ रही थी कंपनी
कंपनी के एचआर मैनेजर रहे पवन सिंह ने बताया कि उन्होंने कंपनी से इस्तीफा दे दिया है। लगातार घाटे के चलते कंपनी ने देश भर में अपना कारोबार समेट लिया है। कानपुर सबसे आखिरी केंद्र था। महाप्रबंधक बलजीत मल्होत्रा ने कॉल रिसीव नहीं की।
देश-विदेश में फैला था कारोबार
फर्स्ट फ्लाइट के देश भर में बीस क्षेत्रीय कार्यालय थे, जबकि सात देशों में कारोबार फैला था। कंपनी के अहमदाबाद, बेंगलुरू, चंडीगढ़, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गुडग़ांव, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जमशेदपुर, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ, लुधियाना, मुम्बई, नोएडा, पुणे और सलेम में क्षेत्रीय कार्यालय थे, जबकि कनाडा, मलेशिया, नेपाल, ओमान, कतर, यूएई और यूएसए में भी कंपनी का कारोबार था।
सभी कस्टमर केयर नंबर बंद
कंपनी द्वारा ग्राहकों के लिए सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में कस्टमर केयर नंबर दिए गए थे। जब इन नंबरों पर संपर्क किया गया तो सभी नंबर बंद मिले। कंपनी की उत्तर प्रदेश के सभी छोटे-बड़े शहरों में शाखाएं थीं वहीं देश के भी सभी बड़े शहरों में कंपनी की पहुंच थी। कंपनी ने कानपुर में स्वरूप नगर, विकास नगर, किदवई नगर, मालरोड, सोमदत्त प्लाजा, बर्रा, कराचीखाना, जाजमऊ, ट्रांसपोर्ट नगर, दर्शनपुरवा और रेलबाजार में शाखाएं थी जिनमें रोजाना हजारों कोरियर देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाए जाते थे।
कर्मचारियों ने श्रमायुक्त कार्यालय में प्रदर्शन किया
कंपनी के दर्जनों कर्मचारी अपर श्रमायुक्त कार्यालय पहुंचे और कंपनी प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया। आरोप है कि कंपनी ने तीन माह का वेतन दिए बिना ही कार्यालय बंद कर दिए। कन्हैयालाल सिंह, ओपी तिवारी, संदीप बाजपेयी, विशाल वर्मा, इंद्रभूषण, प्रवीन गौतम, सोमेंद्र शुक्ला, अनिल मिश्रा आदि कर्मियों ने बताया कि कंपनी ने 1 मई को सभी शाखाएं अचानक बंद कर दीं। शाखाएं बंद करने से पहले अधिकारियों ने उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया लेकिन वह नहीं टूटे। आरोप लगाया कि कंपनी ने फरवरी से अप्रैल का वेतन नहीं दिया। इसके अलावा साल भर से उन लोगों का पीएफ व ईएसआइ की अंशदान भी जमा नहीं किया गया है।
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