PF Scam : कानपुर के बिजली कर्मियों के फंसे 268 करोड़, सताने लगी भविष्य की चिंता Kanpur News
अगले दो वर्षों में सेवानिवृत्त हो जाएंगे 15 से 20 फीसद कर्मचारी केस्को व दक्षिणांचल के हैं 1700 कर्मी।
कानपुर, जेएनएन। पावर कारपोरेशन में जनरल प्रॉविडेंट फंड (जीपीएफ) और कंट्रीब्यूटरी प्रॉविडेंट फंड (सीपीएफ) में 2267 करोड़ रुपये के घोटाले में कानपुर के बिजली कर्मचारियों के भी लगभग 268 करोड़ रुपये डूब गए हैं। अनुमान के मुताबिक अगले दो वर्षों में 15-20 फीसद कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे। उन्हें भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है।
दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में पीएफ के 2267.90 करोड़ रुपये फंस गए हैं। उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट ने जीपीएफ का 2631.20 करोड़ रुपये और सीपीएफ का 1491.50 करोड़ रुपये डीएचएफएल में निवेश किया था। इसमें 1854.80 करोड़ वापस आए हैं जबकि जीपीएफ के 1445.70 करोड़ और सीपीएफ के 822.20 करोड़ रुपये वापस नहीं मिले हैं। कानपुर के बिजली कर्मचारियों का भी करीब 268 करोड़ रुपया फंसा हुआ है। केस्को में 1450 बिजली कर्मी हैं और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) व पनकी पावर हाउस के 250 कर्मचारी हैं। अनुमान के मुताबिक केस्को कर्मचारियों का करीब 170 करोड़ रुपये और अन्य बिजली कर्मचारियों का करीब 98 करोड़ रुपया फंस गया है।
हर महीने रिटायर होते हैं सात से आठ कर्मचारी
केस्को के सूत्रों के मुताबिक हर महीने कर्मचारियों का 60 से 80 लाख रुपये अंशदान उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट में जमा होता है। औसतन हर महीने सात से आठ कर्मचारी रिटायर होते हैं। अगले तीन महीने में रिटायर होने वाले कर्मचारियों को चिंता सताने लगी है। एक सामान्य कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद 20 से लेकर 30 लाख रुपये मिलते हैं जबकि अधिकारियों का पैसा एक करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है।
कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी
पीएफ घोटाले को लेकर बिजली कर्मचारियों का प्रदर्शन लगातार जारी है। गुरुवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले केस्को मुख्यालय, कार्यालय मुख्य अभियंता विद्युत कार्यालय, बर्रा और पनकी पावर हाउस पर बिजली कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। बिजली कर्मचारी संघ के जोनल अध्यक्ष रवींद्र सिंह चौहान ने बताया कि संघर्ष समिति को जो दस्तावेज मिले हैं, उसके मुताबिक इस सरकार में भी डीएचएफएल को जमकर पैसे दिए गए।
17 मार्च 2017 को डीएचएफएल को पहली किस्त 21 करोड़ रुपये की दी गई तो एक हफ्ते बाद दूसरी किस्त 33 करोड़ की। तीन अप्रैल को 215 करोड़, 15 अप्रैल को 96 करोड़, एक मई को 220 करोड़ और 19 मई को 169 करोड़ रुपये दिए गए। डीएचएफएल को दिसंबर 2018 तक पैसा जारी होता रहा। सपा सरकार के बाद भाजपा सरकार में भी पैसा फंसाया गया। सरकार ने अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है। रिटायर होने वाले कर्मचारी असमंजस में हैं कि उनका क्या होगा।