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घाटमपुर में फिर चार मवेशियों की मौत, रहस्यमयी बीमारी बनी आफत, जांच को नहीं भेजे गए सैंपल

कैथा गांव निवासी भाकियू (अंबावत) के जिला उपाध्यक्ष आदित्य दीक्षित ने बताया कि सोमवार को भी गांव में चार मवेशियों की मौत हुई। इसमें बाराती छंगू छोटे प्रजापति और प्रमोद सचान की एक-एक पड़िया की जान चली गई।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 07:42 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 07:42 PM (IST)
घाटमपुर में फिर चार मवेशियों की मौत, रहस्यमयी बीमारी बनी आफत, जांच को नहीं भेजे गए सैंपल
अभी तक जानवरों के सैंपल जांच को नहीं भेजे गए हैं। प्रतीकात्मक फोटो।

घाटमपुर, जागरण संवाददाता। भीतरगांव क्षेत्र के कैथा गांव में मवेशियों के मरने का सिलसिला नहीं थम रहा है। सोमवार को भी गांव में चार मवेशियों की मौत हो गई। ग्रामीणों के मुताबिक बीमारी पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है, जबकि पशु चिकित्साधिकारी का कहना है कि बीमारी पर काबू पाया जा चुका है। 

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कैथा गांव निवासी भाकियू (अंबावत) के जिला उपाध्यक्ष आदित्य दीक्षित ने बताया कि सोमवार को भी गांव में चार मवेशियों की मौत हुई। इसमें बाराती, छंगू, छोटे प्रजापति और प्रमोद सचान की एक-एक पड़िया की जान चली गई। सोमवार को भी पशु चिकित्सकों की टीम ने गांव पहुंचकर जानवरों का इलाज किया। ग्रामीणों का कहना है कि अभी इलाज का ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा है और मवेशी लगातार मर रहे हैं। वहीं, भीतरगांव ब्लाक के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. ओपी वर्मा का कहना है कि हालात नियंत्रण में है। उनके मुताबिक रविवार को सिर्फ एक मवेशी की मौत हुई।    

जांच के लिए सैंपल नहीं भेजा

कैथा में मवेशियों में बीमारी के बारे में अभी कुछ पता नहीं चल पाया है। पशु चिकित्साधिकारी के मुताबिक ये बीमारी खुरपका और मुंहपका जैसी ही है, लेकिन इसके बारे में बहुत कुछ पक्का नहीं कहा जा सकता। इसके बावजूद अभी तक पशु चिकित्साधिकारी ने बीमारी या वायरस की जांच के लिए सैंपल नहीं लिया है। उनका कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है। 

टीके न लगने की वजह से पनपे हालात

कोरोना महामारी की वजह से बीते दो सालों से पशुओं को खुरपका और मुंहपका (एफएमडी) का टीका नहीं लग पाया है। हालांकि, पिछले साल अक्टूबर में गलाघोंटू (एचएस) का टीका लगाया गया था। गांव में फैली बीमारी खुरपका या मुंहपका जैसी ही है। ग्रामीणों के मुताबिक टीका न लगने की वजह से यही वायरस ज्यादा विकृत रूप में अब मौजूद हो सकता है। हालांकि, ये तभी पता चलेगा जब सैंपल की जांच की जाएगी। 


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