Jajmau Teela Kanpur: राजा ययाति के किला की खोदाई में मिले थे 2800 साल पुरानी संस्कृति के अवशेष, भूल गया पुरातत्व विभाग
कानपुर के जाजमऊ में राजा यायाति का किला टीले में तब्दील हो गया था और पुरातत्व विभाग की खोदाई में 2800 साल पुरानी संस्कृति के अवशेष मिलने पर उसे संरक्षित कर दिया गया था। इसके बाद अनदेखी के चलते संरक्षित किला परिसर में बस्ती बस गई।
कानपुर, जेएनएन। भू-माफिया के कब्जे में कराह रहा राजा ययाति का किला खुद में हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत संजोए है। जागरण टीम ने इस संबंध में जब भारतीय पुरातत्व विभाग के लखनऊ कार्यालय से संपर्क करके इसकी ऐतिहासिकता जानने की कोशिश तो पता चला कि पूर्व में हुई खोदाई में 2800 साल पुराने साक्ष्य मिल चुके हैं। मौर्य काल से लेकर मुगल काल तक हर शासन व्यवस्था के सबूत आज भी टीले में दफन हैं। मगर, अंधेर देखिए कि इतने महत्व वाले किले के एक बड़े भूभाग में खोदाई करके भू-माफिया ने उसका जर्रा-जर्रा बेच डाला और जिम्मेदार सोते रहे।
राजा ययाति का किला सबसे पहले वर्ष 1968 में तब चर्चाओं में आया, जब पुराना गंगा पुल बनाने को टीले की खोदाई की जाने लगी। यहां खोदाई में मिले पुराने अवशेषों के बाद एएसआइ ने किले को अपने संरक्षण में ले लिया और स्थानीय स्तर पर इसकी देखरेख की जिम्मेदारी कानपुर विकास प्राधिकरण को सौंप दी। खोदाई में बेशकीमती सामान मिलने के चलते ही भू-माफिया ने साजिश के तहत स्थानीय प्रशासन और पुलिस के साथ मिलकर कब्जे शुरू किए। मिट्टी खोदकर बेची और उत्खनन में जो मिला उसे हजम कर लिया। सालों से यही चला आ रहा है और किले का अधिकतर भाग अब तक नष्ट किया जा चुका है।
भारतीय पुरातत्व विभाग लखनऊ कार्यालय में तैनात और राजा ययाति के किले से जुड़े प्रकरणों को देखने वाले उत्खनन एवं अन्वेषण अधिकारी राम नरेश ङ्क्षसह ने बताया कि एएसआइ की खोदाई में कुछ बर्तन मिले थे। कार्बन डेङ्क्षटग व बनावट के आधार पर माना गया कि यह 2600 से 2800 साल पुराने हैं। कुछ निर्माण भी मिले। इसके आधार पर माना गया कि यह सभी मौर्यकाल के थे। बाद में यहां से कुषाण काल, गुप्त काल से जुड़े अवशेष भी मिले, जिसमें मिट्टी के बर्तन, मिट्टी के अभूषण, मिट्टी की मुहरें प्रमुख हैं। उत्खनन में चांदी के कई सिक्के भी मिले थे।