दिल्ली की कंपनी में पार्टनर है फर्जी काल सेंटर का मास्टरमाइंड, 12 हजार Americans को लगाया करोड़ों का चूना
कानपुर की क्राइम ब्रांच टीम ने चार दिन पहले काकादेव के हास्टल से अंतरराष्ट्रीय फर्जी काल सेंटर का पर्दाफाश करके चार लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपित की सभी कंपनियों के आय का ब्योरा जुटाना शुरू किया है।
कानपुर, जेएनएन। अमेरिकी कंपनियों और नागरिकों को करोड़ों का चूना लगाने वाला फर्जी काल सेंटर संचालक मोहिंद्र शर्मा दिल्ली की एक कंपनी में भी साझीदार है। अब काल सेंटर और उस कंपनी से उसे होने वाली आय, टर्नओवर व टैक्स देने का ब्योरा खंगाला जा रहा है। इसके लिए पुलिस ने आयकर और जीएसटी विभाग से संपर्क साधा है। चार दिन पहले पुलिस ने काकादेव से उसे तीन साथियों के साथ गिरफ्तार किया था। वह अमेरिका के अबतक 12 हजार लोगों को आठ से नौ करोड़ रुपये का चूना लगा चुका है।
काकादेव में हास्टल के बेसमेंट खुला था ठगी का दफ्तर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी का जाल फैलाने वाले मोहिंद्र शर्मा ने कानुपर में काकादेव में ओम चौराहा स्थित हास्टल में 45 हजार रुपये किराये पर बेसमेंट लेकर क्वाड्रेंट रिसर्च एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नाम से कॉल सेंटर का फ्रंट आफिस बना रखा था। यहां 27 कंप्यूटर सेट लगे मिले थे, जानकारी यह भी है कि यहां पर एक शिफ्ट में 15 से 20 कर्मचारी ही काम करते थे, जिसमें कुछ युवतियां भी थीं। डेढ़ वर्ष पूर्व दफ्तर खोलने के बाद काकादेव व कल्याणपुर क्षेत्र में नौकरी पर युवाओं को रखने के लिए पोस्टर वाले विज्ञापन लगाए थे।
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इसमें कोचिंगों में पढऩे वाले तमाम युवक-युवतियों और लाकडाउन के दौरान नौकरी छोड़कर घर बैठे युवाओं ने संपर्क किया था। योग्यता व कंप्यूटर संचालन के अनुसार 10 से 15 हजार रुपये तक की नौकरी देकर नोएडा ले जाकर प्रशिक्षित किया था। इसके बाद आफिस में काम शुरू कराया। पुलिस के मुताबिक आरोपित अबतक 12 लाख डालर की ठगी कर चुके हैं और हर माह में करीब 300 अमेरिकन लोगों को शिकार बनाते थे। हास्टल मालिक राम कुमार ने बताया कि ब्रोकर के माध्यम से काल सेंटर के लिए हाल किराये पर दिया गया था।
रिटायर्ड एयरफोर्स अधिकारी का बेटा है मास्टर माइंड
अमेरिकियों को करोड़ों का चूना लगाने वाला मास्टरमाइंड मोहिंद्र शर्मा नोएडा सेक्टर 25 में रहने वाले सेवानिवृत्त एयरफोर्स अधिकारी का बेटा है। उसने कुछ साल पहले पुणे विवि के इंजीनियरिंग कालेज से कंप्यूटर साइंस एंड इंफार्मेशन टेक्नोलाजी में बीटेक पास किया और पिछले वर्ष लाकडाउन के दौरान दिल्ली की एक कंपनी के संपर्क में आया था। उसकी एक ब्रांच अमेरिका में भी है, उसी कंपनी के अधिकारी के कहने पर लोगों को साफ्टवेयर सपोर्ट देने के लिए काल सेंटर बनाया था।
काल सेंटर के कर्मचारी अमेरिकी कंपनियों, लोगों के सिस्टम पर एड या लिंक के रूप में मालवेयर वायरस भेजते और इससे कंप्यूटर व सर्वर का डाटा इनक्रिप्ट हो जाता है। कंप्यूटर स्क्रीन पर सिस्टम ठीक कराने के लिए एक नंबर प्रदर्शित होने लगता है। डाटा हैक होने पर पीडि़त जब उस नंबर पर फोन करता है तो उसके काल सेंटर में बैठा कर्मचारी सिस्टम ठीक करने का झांसा देकर 200 या 300 डालर चार्ज करता था। ये कर्मचारी खुद को कभी माइक्रोटेक तो कभी एचपी या डेल जैसी कंपनियों का प्रतिनिधि बताकर बात करते थे। बैंक खातों में रकम जमा कराने के बाद उसे डिक्रिप्शन कोड भेजकर डाटा रिकवर करा देते थे।
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नोएडा में चल रहा था बैक ऑफिस
मास्टर माइंड मोहिंद्र शर्मा नोएडा सेक्टर 25 में भी काबिल साफ्टवेयर इंजीनियरों को नौकरी पर रखकर बैक आफिस चला रहा था। क्राइम ब्रांच के मुताबिक, जांच में पता चला है कि मोहिंद्र दिल्ली की राशे एसोसिएट्स नाम की एक और कंपनी में भी पार्टनर है। अब काल सेंटर व उस कंपनी के आय-व्यय व टर्नओवर की जांच शुरू की गई है। इसके लिए क्राइम ब्रांच ने आयकर व जीएसटी विभाग से संपर्क किया है। साथ ही काल सेंटर की निदेशक सुचेता शर्मा व शिशिर खन्ना को पकडऩे के लिए नोएडा पुलिस से संपर्क किया गया है, लेकिन दोनों का अब तक सुराग नहीं लगा है। विवेचक स्वरूप नगर इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार पांडेय ने बताया कि जांच के लिए आयकर व जीएसटी विभाग से संपर्क किया गया है। आरोपित के बैंक खातों की भी पड़ताल की जा रही है। पुलिस ने पीड़ित अमेरिकी नागरिकों को ई-मेल भेजकर कंप्लेन की डिमांड की है।
अबतक ये हुए गिरफ्तार
1-माेहिंद्र शर्मा निवासी नोएडा सेक्टर-25
2-संजीव कुमार गुप्ता निवासी फीरोजाबाद
3-मो. जिरकुल्ला निवासी प्रतापगढ़
4-सूरज सुमन मूल निवासी बिहार
काल सेंटर से यह हुआ था बरामद : पुलिस ने कॉल सेंटर पर छापा मारकर 27 हार्ड डिस्क, विभिन्न बैंकों के 16 एटीएम कार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक का डेबिट कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, दो पैन कार्ड, पांच मोबाइल फोन और होटल ताज की सदस्यता का कार्ड आदि दस्तावेज बरामद किए थे। बैंक स्टेटमेंट से नौ लाख डालर का ट्रांजेक्शन होने और 12 हजार लोगों को शिकार बनाए जाने के सुबूत मिले थे।