Dilip Kumar Memories: इटावा की वारसी दरगाह से दिलीप कुमार का था खास लगाव, पत्नी संग दो बार आकर टेका था माथा
Dilip Kumar Memories दरगाह अबुल हसन शाह वारसी मसोलियम ट्रस्ट के प्रबंधक व सचिव हनी वारसी बताते हैं दिलीप कुमार और सायरा बानो पहली बार 1972 में दरगाह में पूरे दिन रहे थे। दूसरी बार 1975 में तीन दिवसीय उर्स के मौके पर आए और करीब डेढ़ दिन रुके थे।
इटावा, जेएनएन। Dilip Kumar Memories हर दिल अजीज फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार अपनी पत्नी सायरा बानो के साथ दो बार इटावा आए थे। यहां स्थित दरगाह वारसी से उनका आध्यात्मिक रिश्ता रहा। शादी के छह साल बाद तक कोई संतान नहीं होने पर अबुल शाह हसन वारसी दरगाह में आकर उन्होंने माथा टेककर दुआ मांगी थी।
दरगाह अबुल हसन शाह वारसी मसोलियम ट्रस्ट के प्रबंधक व सचिव हनी वारसी बताते हैं, दिलीप कुमार और सायरा बानो पहली बार 1972 में दरगाह में पूरे दिन रहे थे। दूसरी बार 1975 में तीन दिवसीय उर्स के मौके पर आए और करीब डेढ़ दिन रुके थे। कटरा साहब खां स्थित दरगाह के बगल में रहने वाले इफ्तिखार मिर्जा बताते हैं, दरगाह सायरा बानो की मां मशहूर अदाकारा नसीम बानो का पीरखाना (गुरु का घर) है। उनके पीर (गुरु) महमूद शाह वारसी यहीं रहते थे। वह अपनी मां नसीम बानो के साथ भी कई बार दरगाह आईं। नसीम बानो ही दामाद दिलीप कुमार और बेटी सायरा को संतान को लेकर दुआ मांगने के लिए दरगाह पर लाई थीं। इफ्तिखार बताते हैं, उनके पिता मिर्जा इकबाल बेग से भी मां के साथ सायरा बानो मिल चुकी हैं। उनके मुताबिक, पूर्वज बताते थे कि सायरा की मां नसीम बानो इटावा के कबीरगंज मोहल्ले की थीं। कुछ लोग सायरा के यहीं पैदा होने की बात भी कहते हैं।
इटावा निवासी के. आसिफ की फिल्म से मिला बड़ा मुकाम: शायर नदीम अहमद खां कहते हैं कि दिलीप कुमार ने करिश्माई व्यक्तित्व के जादू से करोड़ों दिलों पर राज किया। वर्ष 1960 में के. आसिफ की फिल्म मुगल-ए-आजम ने उनके कद को और बड़ा कर दिया। के. आसिफ इटावा के कटरा पुर्दल खां मोहल्ले में पैदा हुए थे।