Parshuram Jayanti Special: अयोध्या के राम मंदिर की तरह ही पारासर की तपोभूमि में बन रहा परशुराम मंदिर
Parshuram Jayanti 2021 वो बताते हैं कि परशुराम की सुनहले संगमरमर की चार फिट ऊंची दिव्य प्रतिमा जयपुर से मंगाई गई है। मंदिर बनते ही प्रतिमा की विधिवत स्थापना कराई जाएगी।उनका दावा है कि क्षेत्र का यह पहला परशुराम मंदिर होगा।
कानपुर (शैलेन्द्र त्रिपाठी)। अयोध्या के राम मंदिर की तरह ही नागापुर में गंगा किनारे बहुत जल्द भगवान परशुराम का भव्य मंदिर बनकर खड़ा होगा। ऋषि पारासर की तपोभूमि में गंगा किनारे नागापुर में भगवान परशुराम का भव्य मंदिर बन रहा है। महाराजपुर व आसपास के क्षेत्र का यह पहला परशुराम मंदिर होगा। मंदिर के लिए जमीन उपलब्ध कराने से लेकर निर्माण कार्य में लगने वाले धन की व्यवस्था सब जनसहयोग से हो रही है। गंगा किनारे बन रहे इस मंदिर की रमणीयता देखते ही बनती है। जयपुर से भगवान परशुराम की दिव्य प्रतिमा भी मंगा ली गई है। मंदिर बनते ही स्थापना कराई जाएगी।
महाराजपुर के गंगा किनारे नागापुर गांव में भगवान परशुराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। नागापुर निवासी रामबाबू त्रिपाठी ने मंदिर निर्माण के लिए अपनी खुद की दो हजार वर्ग मीटर दान दी है। रामबाबू की देखरेख में ही मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। रामबाबू बताते हैं कि पूरा काम जनसहयोग से किया जा रहा है। कोई ईंट तो कोई मौरंग व सीमेंट आदि निर्माण सामग्री दान कर रहा है। कुछ लोग मिस्त्री व मजदूरों का खर्च वहन कर रहे हैं। वो बताते हैं कि परशुराम की सुनहले संगमरमर की चार फिट ऊंची दिव्य प्रतिमा जयपुर से मंगाई गई है। मंदिर बनते ही प्रतिमा की विधिवत स्थापना कराई जाएगी।उनका दावा है कि क्षेत्र का यह पहला परशुराम मंदिर होगा।
ऋषि पारासर ने कराए थे 99 यज्ञ : गांव के पूर्व प्रधान करुणा शंकर त्रिपाठी बताते हैं कि उनके पूर्वज बताते थे कि यहां ऋषि पारासर ने तपस्या की थी। पारासर ऋषि 100 यज्ञ का अनुष्ठान करा रहे थे। सौवां यज्ञ चल रहा था तभी आकाश मार्ग से उड़ते हुए कौवे ने यज्ञ कुंड में हड्डी डाल कर हविष्य को विध्वंश कर दिया। अनुष्ठान पूरा न होकर नागा रह गया जिसके चलते गांव का नाम नागापुर पड़ा।
सती देवी व नागेश्वर की महिमा को कल्याण पत्रिका ने है सराहा : नागापुर निवासी हरेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि 2016 में गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित गंगा विशेषांक में नागापुर को दर्शाया गया है। यहां बने नागेश्वर महादेव व सती माता मंदिर की महिमा का गान किया गया है। साथ ही सिद्ध संत खाखी बाबा से जुड़ा एक रोचक प्रसंग भी उल्लखित है। जो यहां की प्राचीनता व ऐतिहासिकता को दर्शा रहा है। आज भी लोग गंगा किनारे जब अधिक गहराई पर खुदाई करते हैं तो हविष्य सामग्री जली हुई निकलती है।