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कोरोना काल में IGD का शिकार हो रहे बच्चे, Doctor बोले...अब नहीं रोका तो आगे आएंगी ये समस्याएं

IGD ऐसे न जाने कितने परिवारों में यह रोज का किस्सा हो गया है। कोरोना काम में केवल मरीज और उनके परिवार के सदस्यों के मन-मस्तिष्क ही प्रभावित नहीं हो रहे बल्कि बच्चों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इसकी प्रमुख वजह है मोबाइल पर लगातार गेम खेलना।

By Akash DwivediEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 09:10 AM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 10:58 AM (IST)
कोरोना काल में IGD का शिकार हो रहे बच्चे, Doctor बोले...अब नहीं रोका तो आगे आएंगी ये समस्याएं
महानगर में इस समय काफी बच्चे इससे जूझ रहे हैं

कानपुर (गौरव दीक्षित)। कोरोना संक्रमण काल में स्कूल बंद होने से सातवीं का छात्र 12 वर्षीय रोहित (परिवर्तित नाम) बीते एक साल से घर पर है। स्कूल की कक्षाएं ऑनलाइन होने की वजह से स्वजन ने उसे मोबाइल फोन दिलवा दिया। ऑनलाइन क्लास के बाद उसे इंटरनेट पर गेम की लत लग गई। स्वजन ने शुरू में टोका तो रोहित ने घर में बोरियत होने की बात कहकर उन्हेंं मना लिया। घर वाले निगरानी करने लगे तो वह चोरी-छिपे गेम खेलने लगा और स्वजन से दूरी तो बढ़ी ही, खाने-पीने से ध्यान भी हटता गया। बात-बात पर जवाब देना उसकी आदत में शुमार हो गया। एक दिन तो नाराज होकर उसने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। जिद्दी और चिडि़चड़े हो चुके रोहित के पिता ने अब मनोचिकित्सक की मदद ली है।

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यह तो एक उदाहरण है, ऐसे न जाने कितने परिवारों में यह रोज का किस्सा हो गया है। दरअसल, कोरोना काम में केवल मरीज और उनके परिवार के सदस्यों के मन-मस्तिष्क ही प्रभावित नहीं हो रहे बल्कि बच्चों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इसकी प्रमुख वजह है मोबाइल पर लगातार गेम खेलना। चिकित्सकों के मुताबिक यह एक मनोरोग है, जिसे IGD (Internet Gaming Disorder) कहते हैं। महानगर में इस समय काफी बच्चे इससे जूझ रहे हैं।

डॉक्टर दे रहे ये सलाह

  • कई अभिभावकों के फोन आ रहे हैं। वह बच्चों के बदले हुए व्यवहार से परेशान हैं। ऐसे बच्चों की काउंसलिंग बहुत जरूरी है।

                                                     डॉ. गणेश शंकर, मनोचिकित्सक, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

  • घर में बंद बच्चों ने मोबाइल को साथी बना लिया है। वह मोबाइल गेम्स के लती हो रहे हैं। बच्चे ही नहीं 25 साल की उम्र के नीचे के युवा भी प्रभावित हैं।

                                                                      डॉ. प्रदीप सहगल, मनोचिकित्सक

क्या है इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर : गेमिंग डिसऑर्डर मूलत: व्यवहार से जुड़ी बीमारी है। वर्ष 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी गेमिंग डिसऑर्डर को अंतरराष्ट्रीय बीमारी की श्रेणी में शामिल किया था। इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर इससे मिलती-जुलती बीमारी है, जिसे अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन ने सबसे पहले बीमारी के रूप में स्वीकारा था। इस श्रेणी को आइसीडी-11 भी कहते हैैं, जिसमें इलाज के लिए इलाज की जरूरत पड़ती है। इस बीमारी में बच्चा यह तय नहीं कर पाता कि वह कितना समय डिजिटल या मोबाइल गेम खेलकर बिताए।

यह हैं लक्षण

  •  गेम खेलने की आदत पर नियंत्रण न रख पाना।
  •  सिर्फ और सिर्फ गेम को ही प्राथमिकता देना।
  •  परिवार, सामाजिक जीवन, शिक्षा और खुद के निजी जीवन पर भी गेम हावी रहता है।
  •  चिड़चिड़ापन और उग्रता बढ़ जाती है।

क्या हो सकती हैं समस्याएं : बच्चों में डिप्रेशन, स्ट्रेस, अनिद्रा की शिकायतें बढ़ती हैं। ऐसे बच्चों में मोटापा की समस्या भी बढ़ जाती है।  


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