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आचार्य गोरेलाल त्रिपाठी ने 46 साल तक किया था परशुराम का अभिनय

जेएनएन बिधनू (कानपुर) गोस्वामी तुलसी दास रचित श्री रामचरितमानस पर आधारित रामलीला नाट्य मंच में आचार्य श्री भगवान परशुराम का किरदार निभाया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 02:01 AM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 02:01 AM (IST)
आचार्य गोरेलाल त्रिपाठी ने 46 साल  तक किया था परशुराम का अभिनय
आचार्य गोरेलाल त्रिपाठी ने 46 साल तक किया था परशुराम का अभिनय

जेएनएन, बिधनू (कानपुर) : गोस्वामी तुलसी दास रचित श्री रामचरितमानस पर आधारित रामलीला नाट्य मंच की परंपरा बहुत पुरानी है। एक दिवसीय से लेकर 15 दिवसीय रामलीलाओं में लक्ष्मण-परशुराम संवाद दर्शकों के लिए सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहता है। परशुराम के अभिनय को जीवंत रखने में कानपुर महानगर के आचार्य गोरेलाल त्रिपाठी का अहम योगदान रहा। उन्होंने 46 साल तक अपने अभिनय का लोहा मनवाया। घाटमपुर तहसील के पतारा ब्लॉक अंतर्गत रायपुर गांव में 27 दिसंबर 1925 को जन्मे श्रेष्ठ परशुराम अभिनेता आचार्य गोरेलाल त्रिपाठी ने महज 17 वर्ष की आयु में ही परशुराम का अभिनय शुरू कर दिया था। उनकी कला को देखकर स्वामी करपात्री जी महाराज ने बिधनू ब्लाक के कठेरुआ गांव स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर में उन्हें कलाहंस उपाधि से विभूषित किया था। नैमिष पीठाधीश्वर नारदानंद सरस्वती ने उन्हें फरसा और धनुष भेंट किए थे। उन्होंने परशुराम अभिनेता बाबूलाल अवस्थी और व्यास नारायन बाजपेई से प्रेरणा पाकर अद्वितीय अभिनय किया। पीली धोती, काली दाढ़ी और लंबी जटाओं को लगाकर भगवान परशुराम के वास्तविक स्वरूप के दर्शन कराने वाले वह पहले परशुराम अभिनेता थे। वह केवल अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि उनका जीवन भी भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत था। नाट्य कला के साथ-साथ वह विद्वता की पराकाष्ठा थे। उनके ज्येष्ठ पुत्र अवधी लोक नाट्य विशेषज्ञ डॉ. विजय प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि आचार्य श्री ने 1942 से 1988 तक भावपूर्ण लीला में परशुराम के चरित्र को जीकर अपनी कला का कई जनपदों में डंका बजाया। उन्होंने 1988 में अभिनय से सन्यास लेकर अपने शिष्य डॉ. राजेंद्र त्रिपाठी को गद्दी सौंप दी थी। वर्तमान में भगवान परशुराम के अभिनय को जीवंत करने वाले कई अभिनेता हैं। कठेरुआ गांव के पंडित चंद्रेश पांडेय भी अपने अभिनय में आचार्य गोरेलाल त्रिपाठी का अनुकरण करते हैं। चोरसा गांव निवासी पंडित रामबाबू द्विवेदी, शहर के ही राजेंद्र मिश्र, किसान नगर के पंडित जितेंद्र पांडेय अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। भगवान परशुराम का आज घर-घर होगा पूजन, कानपुर : भगवान परशुराम के जन्मोत्सव पर शुक्रवार को घरों में विधिवत पूजन और अर्चन होगा। भक्त घरों में 11-11 दीप जलाकर प्रभु से सुख-समृद्धि के साथ महामारी के विनाश की कामना करेंगे। इस बार कोरोना की वजह से आयोजन व शोभायात्राएं स्थगित कर दी गई हैं। भगवान परशुराम महासभा द्वारा साकेत नगर स्थित कार्यालय में प्रात:काल भगवान परशुराम का पूजन, अभिषेक किया जाएगा। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए इसमें सीमित लोग शामिल होंगे। महासभा के अध्यक्ष भूपेश अवस्थी ने बताया, संक्रमण को देखते हुए भक्तों को इस बार घरों में भगवान का जन्मोत्सव 11-11 जलाकर मनाने का आग्रह किया गया है। समिति से जुड़े परिवार घरों में सुंदरकांड का पाठ कर संक्रमण के विनाश की कामना करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष भगवान के जन्मोत्सव पर विभिन्न प्रकार के आयोजन व शोभायात्रा निकाली जाती थीं, जो इस बार स्थगित कर दी गई हैं। महासभा ने तीन दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की है। कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए पहले दिन भगवान का पूजन व दीपोत्सव मनाया जाएगा। दूसरे दिन सुंदरकांड का पाठ और संक्रमण से मुक्ति की प्रार्थना और तीसरे दिन जरूरतमंद लोगों के बीच सूखा राशन और मास्क व सैनिटाइजर का वितरण किया जाएगा। साकेत नगर स्थित कार्यालय में होने वाले पूजन अभिषेक से इंटरनेट मीडिया द्वारा भक्त जुड़ेंगे। वहीं, भगवान परशुराम सर्व कल्याण सेवा समिति द्वारा आर्यनगर स्थित परशुराम वाटिका में पूजन सीमित लोगों द्वारा किया जाएगा। इसके बाद महामारी नाशक हवन पूजन व पौधे लगाए जाएंगे। कोरोना पर जीत के लिए आज स्वयंसेवक करेंगे जाप, कानपुर : कोरोना पर जीत हासिल करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक अक्षय तृतीया यानी शुक्रवार को अपने-अपने घरों में विजय मंत्र 'श्रीराम जय राम जय जय राम' का जाप करेंगे। इसके अलावा महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप किया जाएगा। इसके बाद शनिवार को घरों में पारिवारिक सहभोज आयोजित होगा। संघ सेवा कार्यों के जरिए लोगों की मदद करने के साथ ही आध्यात्मिक रूप से भी सभी के मनोबल को मजबूत करने का भी काम कर रहा है। इसके तहत अक्षय तृतीया के दिन विजय मंत्र का उच्चारण स्वयंसेवक करेंगे। कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की तरफ से इसका आयोजन किया जा रहा है। परिवार के सेवा कार्य में पशुओं को चारा खिलाना, चींटियों को आटा खिलाना, पक्षियों को दाने खिलाना। उनके लिए छतों पर पानी रखने जैसे कार्य शामिल हैं। इसके अलावा सभी सदस्यों द्वारा मिलकर घर की सफाई भी करनी है। घर व मोहल्ले को सैनिटाइज करने वाले कार्य भी इसमें शामिल हैं। इसके साथ ही घर के आसपास कोई भूखा है तो उसे भोजन या राशन भी दिया जाएगा। इस संबंध में जारी पत्रक में यह भी कहा गया है कि सभी सदस्य मिलकर भोजन तैयार करें और रात्रि में एक साथ मंत्र के उच्चारण के बाद भोजन ग्रहण करें। इस संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक श्रीराम, सह प्रांत कार्यवाह भवानी भीख और पश्चिम जिले के जिला प्रचारक प्रवीण ने बताया कि इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। ऋषि पराशर की तपोभूमि पर बन रहा परशुराम मंदिर, सरसौल : नागापुर में गंगा किनारे भगवान परशुराम का भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। ऋषि पराशर की तपोभूमि पर निर्माणाधीन इस मंदिर में चार फीट ऊंची भगवान की प्रतिमा स्थापित होगी। जयपुर से भगवान परशुराम की दिव्य प्रतिमा भी मंगा ली गई है। नागापुर निवासी रामबाबू त्रिपाठी ने मंदिर निर्माण के लिए दो हजार वर्ग मीटर भूमि दान दी है। मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। रामबाबू बताते हैं कि पूरा काम जनसहयोग से किया जा रहा है। कोई ईंट तो कोई मौरंग व सीमेंट दान कर रहा है। कुछ लोग मिस्त्री व मजदूरों का खर्च वहन कर रहे हैं। मान्यता है कि ऋषि पराशर ने यहां 99 यज्ञ कराए थे। गांव के पूर्व प्रधान करुणा शंकर त्रिपाठी के मुताबिक ऋषि पराशर जब सौवां यज्ञ करा रहे थे तभी कौवे ने यज्ञ कुंड में हड्डी डाल दी। अनुष्ठान पूरा न होकर नागा रह गया, जिसके चलते गांव का नाम नागापुर पड़ा।

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