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Corona Crisis In UP: रिक्शा चालक इम्तियाज से सुनिए, कैसे नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लाॅकडाउन ने उनकी उम्मीदों पर फेरा पानी

Corona Crisis In UP इम्तियाज बताते हैं कि आगरा में ट्रक पर ट्राली रखकर दो सौ रुपये देकर औरैया पहुंचे। कानपुर में नौबस्ता के आगे फ्लाईओवर पर दोबारा हिम्मत टूटी तो एक लोडर चालक को लखनऊ तक पहुंचाने के लिए मदद मांगी।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 07:50 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 09:31 AM (IST)
Corona Crisis In UP: रिक्शा चालक इम्तियाज से सुनिए, कैसे नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लाॅकडाउन ने उनकी उम्मीदों पर फेरा पानी
अपने रिक्शे से दिल्ली से चल कर पुहचे प्रवासी यह से लोडर मेंरखकर रिक्शे को जा रहे लखनऊ।

कानपुर, जेएनएन। Corona Crisis In UP ऊपर वाले के यहां हर एक सांस का हिसाब होता है। सही मायने में देखो तो मर तो पिछले ही लॉकडाउन में गए थे। कुछ सांसे बची थीं जिससे हाथ पैर चल रहे थे। दूसरे लॉकडाउन ने वो भी खींच कर निकाल लीं। यह दर्द दिल्ली से कानपुर रिक्शा-ट्राली चलाकर आए अमेठी निवासी रिक्शा चालक इम्तियाज ने भौंती-रूमा फ्लाईओवर पर यशोदा नगर बाईपास चौराहे के आगे बयां किया।

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उन्होंने बताया कि वह दिल्ली के आरके पुरम सेक्टर चार में खुराना फर्नीचर की दुकान में ट्राली से लोगों के घरों में फर्नीचर पहुंचाने का काम करते थे। करीब एक माह पहले ही गांव से वापस दिल्ली गया थे कि नए सिरे से काम शुरू कर जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ाएंगे, लेकिन शायद ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था। यहां से जाने के बाद कुछ ही दिन काम चला था। हाथ-पैर खुलने शुरू ही हुए थे कि पहले रात्रिकालीन कर्फ्यू, फिर साप्ताहिक लॉकडाउन ने रही सही बची कसर दिल्ली में दोबारा हुए संपूर्ण लॉकडाउन ने पूरी कर दी। कुछ दिन तो लॉकडाउन खुलने की आस में काटे। फिर पिछली बार की तरह इस बार भी लॉकडाउन में फंसने का डर सता रहा था। जेब में सिर्फ 15 सौ रुपये बचे थे। इसी में बेटे समीर अहमद के साथ घर भी पहुंचना था। जब कोई रास्ता समझ नहीं आया तो वापस लौटने की ठान ली। सोमवार की दोपहर रिक्शा-ट्राली पर कपड़े, पानी का जार, छोटा गैस सिलिंडर और चूल्हा, बर्तन, उपलब्ध राशन और सब्जी आदि लेकर चल पड़े थे। कुछ दूर बेटा गाड़ी खींचता था तो कुछ दूर वह खुद गाड़ी चलाते थे। दिल्ली से आगरा तक गाड़ी चलाकर पहुंचने के बाद हिम्मत जवाब दे गई। जिसके बाद आगरा में ट्रक पर ट्राली रखकर दो सौ रुपये देकर औरैया पहुंचे। मंगलवार की रात औरैया में रुकने के बाद तड़के चार बजे वहां से चल दिए। कानपुर में नौबस्ता के आगे फ्लाईओवर पर दोबारा हिम्मत टूटी तो एक लोडर चालक को लखनऊ तक पहुंचाने के लिए मदद मांगी। दो सौ रुपये उसने भी किराए के बताए। उन्होंने बताया कि लोडर पर रिक्शा ट्राली लादकर लखनऊ के लिए रवाना हुए। इम्तियाज ने बताया कि लखनऊ से अमेठी तक फिर से गाड़ी चलाकर गांव पहुंचेंगे।

साग-सब्जी की लगाएंगे फेरी,नहीं जाएंगे दिल्ली: इम्तियाज का कहना था कि दो बार दिल्ली जाकर देख चुके हैं। जितनी किस्मत है उससे ज्यादा नहीं मिलेगा। अब वापस दिल्ली लौटकर नहीं जाएंगे। गांव और आसपास साग-सब्जी की फेरी लगाकर पेट पालेंगे।


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