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अप्रैल के पहले पखवारे में ऑडिट के समय चल रहा, लेकिन इस वजह से कई बैंकों की शाखाएं खाली

कोरोना की वजह से पिछले वर्ष भी बहुत से बैंक अधिकारी व कर्मचारी प्रभावित हुए थे क्योंकि उन्हेंं नियमित रूप से लोगों के संपर्क में आना होता है। इस बार फिर जैसे ही कोरोना का संक्रमण बढ़ा बैंकों अधिकारी और कर्मचारी इसकी चपेट में आने लगे हैं।

By Akash DwivediEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 12:09 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 12:09 PM (IST)
अप्रैल के पहले पखवारे में ऑडिट के समय चल रहा, लेकिन इस वजह से कई बैंकों की शाखाएं खाली
ग्राहकों के जमा व निकासी के कार्य ही किसी तरह जारी रखने के प्रयास किए जा रहे हैं

कानपुर, जेएनएन। अप्रैल के पहले पखवाड़े में होने वाला ऑडिट इस समय ज्यादातर बैंक शाखाओं में चल रहा है लेकिन ऑडिट करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट के सामने यह समस्या है कि ज्यादातर शाखाओं में अधिकारी और कर्मचारी कोरोना संक्रमित होने की वजह से छुट्टी पर हैं। वहीं कुछ बुखार होने की वजह से बैंक नहीं आ रहे। शाखाएं खाली खाली हैं और ग्राहकों के जमा व निकासी के कार्य ही किसी तरह जारी रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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कोरोना की वजह से पिछले वर्ष भी बहुत से बैंक अधिकारी व कर्मचारी प्रभावित हुए थे क्योंकि उन्हेंं नियमित रूप से लोगों के संपर्क में आना होता है। इस बार फिर जैसे ही कोरोना का संक्रमण बढ़ा, बैंकों अधिकारी और कर्मचारी इसकी चपेट में आने लगे हैं। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा में ही करीब आधा दर्जन अधिकारी कोरोना और बुखार से पीडि़त होने की वजह से छुट्टी पर हैं। मुख्य शाखा होने के बाद भी काफी सन्नाटे की स्थिति है। यही हाल बैंक ऑफ इंडिया की कई शाखाओं में प्रबंधक को छोड़कर सिर्फ एक या दो कर्मचारी काम संभाल रहे हैं। बाकी सभी बीमार हैं। कभी किसी शाखा से कर्मचारी भेजा जाता है तो कभी किसी दूसरी शाखा से। बैंक ऑफ बड़ौदा के रीजनल आफिस के अलावा पटेल नगर, किसान नगर की शाखाओं में कर्मचारी संक्रमित हो चुके हैं। इन हालात को लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट भी चितिंत हैं कि शाखाओं में जब ज्यादातर अधिकारी व कर्मचारी संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं तो उनसे कैसे बचा जाए।

इनका ये है कहना

बैंकों में ज्यादातर अधिकारी व कर्मचारी इस समय किसी ना किसी तरह बीमार हैं. किसी को सीधे कोरोना है तो कोई बुखार से पीडि़त है। खांसी, जुकाम के बाद भी बहुत से लोग काम कर रहे हैं. इसलिए चार्टर्ड अकाउंटेंट को बहुत सावधान होकर कार्य करना पड़ रहा है।

                                                                      अतुल मेहरोत्रा, सदस्य, सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल। 


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