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Panchayat Chunav Kanpur: गांव की तस्वीर बदलने के लिए चुनावी मैदान में एमबीए-एलएलबी प्रत्याशी, जानिए- क्या है उनकी सोच

कानपुर के चौबेपुर ब्लॉक के कई गांवों में शिक्षित युवाओं ने पंचायत चुनाव से राजनीति में कदम रखा है। उनका मानना है कि पढ़ी-लिखी गांव की सरकार ही बेहतर विकास करा सकती है और गांव को मॉडल बनाने का संकल्प भी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 08:52 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 08:52 AM (IST)
Panchayat Chunav Kanpur: गांव की तस्वीर बदलने के लिए चुनावी मैदान में एमबीए-एलएलबी प्रत्याशी, जानिए- क्या है उनकी सोच
गांव की पढ़ी-लिखी सरकार बनाने चुनाव में उतरे शिक्षित युवा।

कानपुर, [नरेश पांडेय, चौबेपुर]। ग्राम पंचायतों में कभी मुखिया व सरपंच चुने जाते थे, लेकिन अब एमबीए, एमकॉम व बीएड-एलएलबी करने के बाद युवा वर्ग गांवों की तस्वीर बदलने को पंचायत चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसा की कुछ देखने को मिला चौबेपुर के महाराजपुर व नाढूपुर व देवकली गांव में। मैदान में उतरे इन शिक्षित प्रत्याशियों की सोच है कि जीत के बाद शिक्षा व रोजगार के साधन तैयार कर गांव को मॉडल के रूप में तैयार करेंगे।

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चौबेपुर के नाढ़ूपुर गांव से क्षेत्र पंचायत का चुनाव लड़ रहे अनुभव शुक्ला उर्फ रोमी बीकॉम, एलएलबी हैं। वह चौबेपुर के निवर्तमान क्षेत्र पंचायत प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि अपने कार्यकाल में पारदर्शिता के साथ कूड़ा निस्तारण व कस्बा की जलभराव समस्या का बेहतर प्लेटफार्म तैयार कराया। गांवों में महिलाओं के लिए शौचालय बनाने का प्रस्ताव भी प्रमुख सचिव को भेजा था। इसके बाद गांवों में महिला शौचालय बनने शुरू हुए। उन्हे मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया गया। यदि पंचायतों का प्रतिनिधित्व पढ़े लिखे युवाओं के हाथ में हो तो ग्राम्य विकास का सपना वास्तव में साकार होगा।

चौबेपुर के महाराजपुर गांव के एक वार्ड से एमबीए, एलएलबी विनोद शुक्ला क्षेत्र पंचायत का चुनाव लड़ रहे हैं। वह उच्चतम न्यायालय में वकालत भी करते हैं। उनका कहना है कि पहले पंचायतों में कागजों पर प्रस्ताव बनते थे। अब ऑनलाइन सिस्टम से विकास कार्य हो रहे हैं। ऐसे में अशिक्षित प्रतिनिधि अपने गांव का विकास कैसे करेगा। इसी तरह देवकली गांव से ग्राम प्रधान के लिए चुनाव मैदान में उतरे विवेक कटियार एमकाम के साथ बीफार्मा हैं। उन्होंने बताया कि उनका गांव कस्बे से दूर है।

क्षेत्र के युवा पढ़ाई के लिए गांव से शहर चले गए। गांव में अच्छी शिक्षा व रोजगार के साधन नहीं हैं। सभी काम ऑनलाइन होते हैं। यदि पढ़ा-लिखा प्रधान बने तो सब कुछ संभव है। चौबेपुर तृतीय क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए चुनाव मैदान में उतरे कार्तिकेय दीक्षित भी एलएलबी हैं। वह विकास कार्य में डिजिटल व्यवस्था के पक्ष में हैं। उन्होंने बताया कि कई गांवों के प्रधानों के अशिक्षित होने के कारण विकास की धनराशि वापस लौट गई। सब कुछ ऑनलाइन हो चुका है। ऐसे में पढ़ा लिखा प्रतिनिधि ही गांव का विकास कर सकेगा।

क्या है लोगों की राय

  • सब कुछ डिजिटल हो रहा हैं। ऐसे में पढ़े-लिखे पंचायत प्रतिनिधि बनें तो गांव में विकास की गंगा बहे। अशिक्षा के चलते गांव की समस्याएं अधिकारियों तक पहुंच ही नहीं पाती हैं। -सत्येंद्र शुक्ला, चौबेपुर
  • गांव में रोजगार के साधन उपलब्ध हों, इसके लिए शिक्षित प्रधान जरूरी है। गांव में जनसुविधा केंद्र बने। शिक्षा का वातावरण तैयार हो तो पलायन रुके। -देव कटियार, देवकली
  • युवा वर्ग की नई सोच है। गांव का मुखिया पढ़ा लिखा होने पर जनता की समस्याओं का निराकरण होगा। पारदर्शिता बढऩे पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और गांवों का समग्र विकास होगा। -ब्रज मोहन सिंह, खरगपुर

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