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इटावा से CM योगी के गढ़ को रवाना हुए पटौदी और मरियम, डेढ़ साल बाद धूमधाम से सपाइयों ने दी विदाई

Etawah Lion Safari News जिला गोरखपुर स्थित शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान के लिए वाहन से शेर और शेरनी को किया गया रवाना। सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव गाजेबाजे के साथ सफारी के गेट पर पहुंच गए। उन्होंने बैंड की धुनों के बीच शेरों को विदा किया।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 08:48 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 08:48 PM (IST)
इटावा से CM योगी के गढ़ को रवाना हुए पटौदी और मरियम, डेढ़ साल बाद धूमधाम से सपाइयों ने दी विदाई
इटावा लॉयन सफारी के पटौदी और मरियम रविवार की सुबह पहुंचेंगे गोरखपुर।

इटावा, जेएनएन। Etawah Lion Safari News इटावा सफारी पार्क से शेर पटौदी और शेरनी मरियम को शनिवार शाम करीब सवा पांच बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिला गोरखपुर स्थित शहीद अशफाक उल्ला खां प्राधि उद्यान के लिए वाहन से रवाना कर दिया गया। उनके साथ दो डाॅक्टर, तीन जू कीपर व एक वन रेंजर को भी भेजा गया है। उधर, इससे पहले सफारी के मुख्य द्वार पर उस समय हलचल मच गई, जब सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव गाजेबाजे के साथ सफारी के गेट पर पहुंच गए। उन्होंने बैंड की धुनों के बीच शेरों को विदा किया। निदेशक राजीव मिश्रा की सूचना पर तत्काल मौके पर एसडीएम सदर सिद्धार्थ और सीओ सिटी राजीव प्रताप सिंह पहुंच गए।

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डेढ़ साल के बाद भेजे गए याेगी के गढ़

सफारी निदेशक ने बताया कि शेर और शेरनी को बंद वाहन में पांच बजकर 15 मिनट पर रवाना किया गया, जो रविवार सुबह गोरखपुर पहुंचेंगे। रास्ते में जहां भी जरूरत होगी, वहां पर उन्हें रोका जाएगा। पटौदी व मरियम ने जाने से पहले छह-छह किलो चिकन खाया है। इतना ही चिकन रास्ते में खाने के लिए पैक करके वाहन में रखा गया है। बताया कि गुजरात के दोनों शेर 26 सितंबर 2019 को यहां लाए गए थे। करीब डेढ़ साल यहां रहने के बाद गोरखपुर भेजा गया है। गोरखपुर से भी वन विभाग के कर्मचारियों की एक टीम आई थी, जो साथ में गई है।  

शेर हमारे परिवार का हिस्सा, इटावा को मिली पहचान

सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव ने  कहा कि अभी तक शेर इटावा सफारी पार्क में अपने घर में थे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। सफारी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के क्षेत्र में इटावा को पहचान मिली है। शेरों से जिले के लोगों को विशेष लगाव है। ये हमारे परिवार का हिस्सा हैं। जब भी परिवार का कोई सदस्य किसी दूसरी जगह जाता है तो हम उसकी विदाई धूमधाम से करते हैं, ताकि वो जहां रहे सुखी रहे और शहर का नाम रोशन करे। इसलिए शेरों को खुशी-खुशी विदा किया गया।


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