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Kanpur Rojnamcha Column: थानेदार साहब ने पुलिस स्टेशन में ही बनवा दिया मंदिर

कानपुर शहर खबरों का शहर है पुलिस महकमे में अपराध की खबरें तो रोजाना जानकारी में आ जाती हैं लेकिन पर्दे के पीछे क्या हो रहा है यह बताता है रोजनामचा का कॉलम। महकमे में कोई कुर्सी बचाने में लगा है तो कोई मनमानी कर रहा है।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 08:12 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 09:18 AM (IST)
Kanpur Rojnamcha Column: थानेदार साहब ने पुलिस स्टेशन में ही बनवा दिया मंदिर
कुछ पर्दे के पीछे की बातें होती हैं, जो बाहर नहीं आ पाती हैं।

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। कानपुर शहर में पुलिस महकमे में कुछ ऐसी खबरें जो सुखियां नहीं बन पाती हैं लेकिन चर्चा का विषय बनी रहती हैं। कुछ पर्दे के पीछे की बातें होती हैं, जो बाहर नहीं आ पाती हैं। ऐसी ही खबरों को लेकर आता है हमारा रोजनामचा...।

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लड्डू खाकर धर्म संकट में थानेदार

कभी-कभी कुछ घटनाएं धर्मसंकट खड़ा करा देती हैं। हुआ यह कि एक थानेदार साहब अपने कार्यालय में बैठकर मातहतों की चरित्र पंजिका भर रहे थे। उनके दिमाग में एक-एक सिपाही और दारोगा की कार्यप्रणाली की तस्वीर घूम रही थी। उन्होंने एक चरित्र पंजिका खोली ही थी कि इसी बीच एक महिला सिपाही हाथों में लड्डू का डिब्बा लेकर उनके सामने प्रकट हो गई। परिवार में कोई शुभ समाचार था। थानेदार साहब ने लड्डू खाते हुए उसे शुभकामनाएं दीं। महिला सिपाही के जाने के बाद दोबारा जब उनका ध्यान चरित्र पंजिका की ओर गया तो देखा कि यह उसी महिला सिपाही की चरित्र पंजिका थी जिसने अभी-अभी उन्होंने लड्डू खिलाया था। थानेदार साहब कुछ देर तक शांत बैठकर सोचते रहे और बिना कोई टिप्पणी किए ही चरित्र पंजिका बंद कर दी। बोले, अब इसमें तभी लिखूंगा जब धर्मसंकट से बाहर निकल आऊंगा। मीठा खाकर उसे मीठा या नमकीन स्वाद नहीं दूंगा।

जय हनुमान... थाने में बन ही गया मंदिर

प्रदेश के अधिकांश पुलिस थानों में मंदिर स्थापित हैं। एक थानेदार साहब हैं जिनके एजेंडे में यही है कि अगर थाने में मंदिर नहीं होता तो उसे बनवाते। अबकी बार जिस थाने में तैनाती हुई, वहां भी मंदिर नहीं था। कई बार सोचा, लेकिन जेब जवाब दे रही थी। मगर, अंतर्यामी ने ऐसी माया रची कि सब काम खुद ब खुद बनते चले गए। एक विवादित जमीन पर हनुमान मंदिर बनने जा रहा था। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची तो बातचीत करके तय हुआ कि मंदिर नहीं बनेगा। अब सवाल था कि हनुमान जी की आदमकद प्रतिमा का क्या होगा। इंस्पेक्टर साहब हनुमान जी की प्रतिमा को थाने ले आए। इसके बाद तो गजब ही हो गया। सीमेंट, मौरंग, सरिया आदि के इंतजाम खुद ब खुद होते गए और देखते देखते थाने में मंदिर बनकर खड़ा हो गया। चमत्कार देख अब सब जय हनुमान का नारा लगा रहे हैं।

थाना फजलगंज पर सबकी नजर

जिले के 46 थानों में फजलगंज को मलाईदार थानों की लिस्ट में सबसे ऊपर माना जाता है। इसके पीछे बड़ा कारण है फजलगंज थाने में स्थित कबाड़ी मार्केट है। इस कबाड़ी मार्केट को वाहनों का स्लाटर हाउस भी कहा जाता है। देश भर से चोरी और लूटे गए वाहनों को यहां के खिलाड़ी पलक झपकते ही तिनके तिनके में बिखेर देते हैं। फिर कोई लाख कोशिश कर ले, गाड़ी का सुबूत नहीं मिल सकता। रोजाना बड़ी संख्या में यहां वाहन काटे जाते हैं और इसकी एवज में खाकी को हर महीने मोटी रकम मिलती है। यही वजह है कि खाकी की दर्जनों ललचाई आंखें फजलगंज थाने पर लगी रहती हैं। मौजूदा थानेदार के गैर जनपद स्थानांतरण के बाद यहां की कुर्सी खाली होने वाली है। कुर्सी की चाहत में साहब के दर की गणेश परिक्रमा हो रही है। अब यह देखना है कि इस बार लॉटरी किसके नाम पर लगेगी।

कंबल पॉलिटिक्स वाले नेताजी

शहर में तमाम व्यापारी गुट हैं जो एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं। इसके लिए सबसे बड़ा जरिया प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी हैं। वह गुट उतना ही प्रभावशाली माना जाता है, जो इन अफसरों के जितने करीब होता है। इन दिनों एक व्यापारी नेता कंबल पॉलिटिक्स के जरिए अफसरों से नजदीकी बनाने में लगे हैं। सर्दी के बहाने वह पुलिस अधिकारियों के घर या कार्यालय कंबल लेकर पहुंच जाते हैं। इसके बाद अफसर के साथ खाकी को कंबल बांटते फोटो और वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर वाहवाही लूटते हैं। पिछले दिनों वह बड़े साहब के यहां भी कंबल लेकर गए थे। बड़े साहब ने इस मौके पर उनके साथ मुंह से मास्क हटाकर फोटो ङ्क्षखचा ली। नेता जी के लिए यही काफी था। इंटरनेट मीडिया पर इसी का प्रचार करने लगे कि बड़े साहब उनसे इतने प्रभावित हैं कि मुंह से मास्क हटाकर फोटो ङ्क्षखचा ली।


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