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उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में ओएसडी के पद को लेकर फिर घमासान शुरू

उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में ओएसडी के पद को लेकर फिर घमासान शुरू हो गया है। एक शिकायत के बाद मुख्यमंत्री की नाराजगी पर सोमवार को ओएसडी को बर्खास्त किया गया था इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन बैकफुट पर आ गया है।

By Sarash BajpaiEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 09:44 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 09:44 PM (IST)
उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में ओएसडी के पद को लेकर फिर घमासान शुरू
सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में ओएसडी के पद पर चल रहा विवाद।

इटावा, जेएनएन। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में पद स्वीकृत नहीं होने के बावजूद ओएसडी की तैनाती पहले में भी सवालों के घेरे में रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त तेवर और ओएसडी की बर्खास्तगी के आदेश पर विश्वविद्यालय प्रशासन बचाव की मुद्रा में आ गया है। लखनऊ पीजीआइ की नियमावली का हवाला देकर खुद को पाक साफ साबित करने का प्रयास कर रहा है।

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एक दिन पूर्व ही चिकित्सा विश्वविद्यालय सैफई के कुलाधिपति एवं मुख्यमंत्री ने कुलपति के ओएडी गुरजीत ङ्क्षसह कल्सी को हटा दिया था। निर्देश दिए कि नियम विरुद्ध ढंग से ओएसडी के पद पर नियुक्त करने वाले अधिकारी का उत्तरदायित्व निर्धारित कर उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। गुरजीत सिंह कल्सी को 31 अगस्त 2020 को विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद कुलसचिव सुरेश चंद्र शर्मा ने तीन सितंबर 2020 को पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड के जरिए ओएसडी पद पर तैनाती कर दी थी।

पूर्व में भी रहे ओएसडी चर्चाओं में

पूर्व ओएसडी जयशंकर प्रसाद की 65 साल की उम्र में सितंबर 2018 में विश्वविद्यालय में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर नियुक्ति की गई थी। शासन ने संविदा पर इस उम्र के व्यक्ति को रखने से मना कर दिया था। फिर भी एक वर्ष तक जयशंकर पद पर बने रहे। वर्ष 2019 में कुलपति ने उनको भूतपूर्व सैनिक कल्याण के जरिए संविदा पर 48 हजार रुपये वेतनमान पर ओएसडी नियुक्त करवा दिया था।

पूर्व ओएसडी के पुत्र और पूर्व ठेकेदार का ऑडियो हुआ था लीक

जयशंकर प्रसाद के पुत्र और पूर्व सफाई फर्म साबरीन चौधरी के मालिक सिराज चौधरी के बीच करीब 13 मिनट के वायरल ऑडियो में फर्म दोबारा बहाल करने के एवज में साढ़े पांच लाख रुपये पहुंचाने के बाद भी काम न होने की बात सामने आई थी। कुलपति ने जांच की बात कही थी। जांच रिपोर्ट आने के पहले ही जयशंकर प्रसाद ने इस्तीफा दे दिया था। दैनिक जागरण किसी वायरल ऑडियो की पुष्टि नहीं करता।

गवर्निंग बॉडी की बैठक में लिया गया अनुमोदन

कुलपति प्रो. राजकुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधिनियम की धारा-48 में उल्लेख है, उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई की नियमावली नहीं बन जाती है तब तक लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआइ) की नियमावली का पालन किया जाएगा। 16 जून 2006 की गर्वङ्क्षनग बॉडी की हुई बैठक में इसका अनुमोदन लिया गया। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की नियमावली के नियम-97 के अनुसार संस्थान को किसी संकाय के सदस्य या भिन्न अधिकारी की सेवाओं की आवश्यकता हो तो अधिवर्षता पर सेवानिवृत्ति के पश्चात नियोजक ऐसे व्यक्ति को पुन: नियोजित कर सकता है। विश्वविद्यालय में 31 अगस्त 2020 से निदेशक वित्त का पद खाली है। शासन ने दो बार जिन अधिकारियों की नियुक्ति की, उन्होंने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। वित्त अधिकारी प्रदीप कुमार विश्वविद्यालय विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैंै। उनकी जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। कोरोना महामारी में कोरोना कमेटी के दो सितंबर 2020 को लिए गए फैसले के अनुसार गुरजीत ङ्क्षसह कल्सी की नियुक्ति की गई थी। शासन को सही जानकारी से अवगत कराया जाएगा। 


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