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Music Threrapy को विकसित कर आइआइटी Kanpur के विशेषज्ञ खोज रहे संगीत से टेंशन कम करने की दवा

मानविकी एवं समाज विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने शुरू किया काम। सिर के न्यूरॉन्स हो जाते सक्रिय जिससे कुछ देर बाद मिलती राहत। मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ इसी तरह के गीतों का दिमाग संग कनेक्शन को खोज रहे हैं।

By ShaswatgEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 09:29 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 05:35 PM (IST)
Music Threrapy को विकसित कर आइआइटी Kanpur के विशेषज्ञ खोज रहे संगीत से टेंशन कम करने की दवा
अन्य फैकल्टी दो वर्ष पूर्व राग दरबारी पर शोध कर चुके हैं।

कानपुर, जेएनएन। आपने कभी सोचा है जब कभी दिल उदास, बोझिल या तनावग्रस्त रहता है तो अधिकतर लोग दुख भरे और हल्के मूड वाले गाने सुनना पसंद करते हैं। ऐसा करने से भले ही समस्या का समाधान न निकले, लेकिन कुछ देर के लिए राहत जरूर मिलती है। हो सकता है यह तनाव कम कम करने दवा सभी के लिए न हो, जबकि ऐसा करने वालों की संख्या काफी रहती है। इसमें युवाओं का फीसद सबसे ज्यादा है। 

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ज्यादातर लोग मनाेस्थिति और परिस्थितियों के मुताबिक दुखभरे गीत सुनते हैं और उसी को हमेशा गुनगुनाते हैं। इन गीत और संगीत को सुनने के बाद दिमाग के न्यूरॉन्स सक्रिय हो जाते हैं, जो कि शरीर को सकारात्मक रूप से राहत मिलने का अहसास कराते हैं। इन गानों से सिर के कौन से हिस्से के न्यूरॉन्स सक्रिय होते हैं और इनका असर कितनी देर तक रहता है। तनाव और अवसाद से बाहर निकलने में दर्द भरे गीतों का कितना रोल है। इन सब पर आइआइटी के विशेषज्ञों ने काम शुरू कर दिया है।

इसका मुख्य मकसद म्यूजिक थैरेपी को विकसित करना है, जिससे बढ़ते हुए डिप्रेशन को कम किया जा सकेगा। निराश व्यक्ति अपने विचार और अपनी बात को गाने के माध्यम से अभिव्यक्त कर पाएगा। मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ इसी तरह के गीतों का दिमाग संग कनेक्शन को खोज रहे हैं। कई दुखभरे गाने, गजलों पर काम करना शुरू कर दिया है।

दिमाग का पूरा नेटवर्क देखा जाएगा

मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. बृज भूषण ने बताया कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा और अन्य फैकल्टी मिलकर काम कर रहे हैं। इसमें सिर्फ न्यूरॉन्स की सक्रियता ही नहीं, बल्कि पूरा नेटवर्क देखा जाएगा। गाना सुनने के बाद दिमाग में कितनी देर तक सक्रियता बनी रहती है। 

राग दरबारी पर हो चुका शोध

प्रो. बृजभूषण, प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा और अन्य फैकल्टी दो वर्ष पूर्व राग दरबारी पर शोध कर चुके हैं। उसमें सिद्ध किया गया है कि कुछ देर राग दरबारी को सुनने के बाद बहुत ही तेजी से न्यूरॉन्स सक्रिय हो जाते हैं।


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