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ShriKrishna Janmashtami 2020: रईस अली ने बनवाया श्रीकृष्ण मंदिर, लीलाधर की लीला से भक्त बने मुस्लिम दंपती

कानपुर देहात के रसूलाबाद में श्रीकृष्ण मंदिर सांप्रादयिक सौहार्द और सद्भावना का मिसाल बन गया है रईस का परिवार अगाध श्रद्धा रखता है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 11:56 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 11:56 AM (IST)
ShriKrishna Janmashtami 2020: रईस अली ने बनवाया श्रीकृष्ण मंदिर, लीलाधर की लीला से भक्त बने मुस्लिम दंपती
ShriKrishna Janmashtami 2020: रईस अली ने बनवाया श्रीकृष्ण मंदिर, लीलाधर की लीला से भक्त बने मुस्लिम दंपती

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। कानपुर देहात के रसूलाबाद के मुर्रा गांव में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और सद्भावना की मिसाल है। यह मंदिर रईस अली का बनवाया है और मुसलिम दंपती रोजाना सुबह-शाम की आरती में शामिल ना हों, आज तक ऐसा नहीं हुआ है। पूरे क्षेत्र में हर कोई उनकी कृष्ण भक्ति का कायल है।

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कृष्ण की भक्ति से स्वस्थ हुई बीमार पत्नी

मूल रूप से कन्नौज जिले के रैगवां निवासी रईस अली की कृष्ण भक्ति के पीछे ऐसी कहानी है जो संदेश देती है कि बंदगी-भक्ति, कुछ भी कह लें, धर्म या मजहब की सीमाओं में जकड़ी नहीं जा सकती। मुसीबत में रईस को ऊपर वाले की मदद चाहिए थी तो सामने दिखी भगवान कृष्ण की मूर्ति के समक्ष फरियाद लगा दी। लीलाधर की भी लीला देखिए, बिना देरी कृपा कर दी। यह वाकया खुद रईस अली से ही सुनिए। वह बताते हैं कि उनका विवाह मुर्रा गांव निवासी जमीलुन्निशां से हुआ था। बाद में रईस यहीं आकर बस गए। आठ वर्ष पहले पत्नी गंभीर रोगों से ग्रस्त हो गई। कई अस्पतालों में इलाज हुआ, मगर फायदा नहीं मिला।

आखिर में एक अस्पताल में पत्नी को सात दिन रखा, यहां भी डॉक्टरों ने हालत नाजुक ही बताई। अस्पताल में ही भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति थी, जिसके सामने जीवनसाथी को बचाने की प्रार्थना सच्चे मन से करते थे। कन्हैया ने उनकी सुन ली और चमत्कारिक रूप से जमीलुन्निशां सही हो गई। खुद डॉक्टर चकित रह गए। इसके बाद दंपती के अंदर भगवान श्रीकृष्ण के लिए अगाध प्रेम जागा। गांव में रईस ने श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण कराया। आज यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना हुआ है।

भक्ति में डूबा रहता पूरा परिवार

मंदिर में गांव के रामकुमार चौहान पूजा-पाठ का काम देखते हैं। सुबह-शाम को आरती की जाती है, जिसमें नियमित रूप से रईस पत्नी के साथ हाजिरी लगाते है। जन्माष्टमी भी दोनों बड़ी धूमधाम से मनाते हैं और लोगों को प्रसाद बांटते है। रामकुमार चौहान कहते है कि क्षेत्र में सभी दंपती को बहुत ही सम्मानित नजर से देखते हैं और भाईचारे की मिसाल कायम करने के लिए सराहते हैं। रईस के दो बेटे सईद, आरिफ व चार बेटियां है। बच्चे भी माता पिता की तरह परिवार पर भगवान की कृपा मानते हैं। जन्माष्टमी की तैयारी में बच्चे भी पहले से जुट जाते हैं।


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